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पुरुषोत्तम मास में दान करने से पहले जान लें ये नियम, नहीं होगा बुरा...

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श्री रामानुज

* मलमास/पुरुषोत्तम मास में दान के नियम समझें, फिर करें दान... 
 
वैसे तो दान कभी भी, कहीं भी और किसी को भी किया जा सकता है, परंतु किसी विशेष अवसर पर तय विधि से किए दान-धर्म से अनुकूल और सही लाभ होता है। हिन्दुओं के पवित्र अधिक मास, मलमास या पुरुषोत्तम मास में किया गया विधिपूर्वक दान, धर्मसिद्ध हो जाता है।
 
दीपदान- मंदिरों और घरों में दीपक लगाने को ही दीपदान कहते हैं। इस दीपदान में तेल/घी कुछ भी प्रयोग में ला सकते हैं। मलमास या अधिक मास में दीपदान करने से जातक के जीवन में परेशानियों का अंधकार मिटता है और आशाओं का प्रकाश फैलता है।
घट दान और कांसे का सम्पुट : जल से भरे हुए घड़े का और कांसे के सम्पुट में मालपुओं का दान देना चाहिए। इस दान की महिमा के बारे में पुरुषोत्तम महात्म्य के 31वें अध्याय में बताया गया है। इसके दान से जातक को धन-धान्य की प्राप्ति होती है।
 
विशेष रूप से याद रखें कि दान सदैव यथाशक्ति और सत्पात्र व्यक्ति को देना चाहिए अर्थात सही व्यक्ति को देना चाहिए और जितनी क्षमता हों, उतना ही दान देना चाहिए।

 

 


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