हिन्दू पंचांग के दसवें महीने को पौष कहते हैं। इस महीने सूर्य 11,000 रश्मियों के साथ व्यक्ति को उर्जा और स्वास्थ्य प्रदान करता है। पौष मास में अगर सूर्य की नियमित उपासना की जाए तो सालभर व्यक्ति स्वस्थ्य और संपन्न रहता है। इस बार पौष मास 13 दिसंबर से 10 जनवरी तक रहेगा। आइए जानते हैं इस महीने कौन से कार्य करने से बचना चाहिए।
मकर संक्रांति से खर मास की समाप्ति होती है। खरमास के दौरान हिन्दू जगत में कोई भी धार्मिक कृत्य और शुभ मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं।
पौष मास विवाह चर्चा या विवाह से जुड़े कार्यक्रम करने के लिए शुभ नहीं माना जाता है। इसके अलावा गृह प्रवेश, भूमि पूजन, हवन, ग्रह प्रवेश, व्यापार मुहूर्त, देव पूजन, मुंडन और जनेऊ संस्कार जैसे कार्यों पर भी रोक लग जाती है।
क्या खाएं
पौष के महीने में खान-पान को लेकर भी काफी सावधानी बरतनी पड़ती है। इस महीने में मेवे और स्निग्ध चीजों का इस्तेमाल करने के लिए कहा जाता है।
चीनी की बजाय गुड़ का सेवन करें। अजवाइन, लौंग और अदरक का सेवन लाभकारी होता है। गेहूं, चावल और जौ का सेवन करना भी अच्छा होता है।
पौष के महीने में आपको खाने में सेंधा नमक का इस्तेमाल करना चाहिए। तिल का सेवन करने से भी आपको स्वास्थ्य लाभ मिलता है।
पौष के महीने में क्या न खाएं
इस महीने में ठंडे पानी का प्रयोग, स्नान में गड़बड़ी और अत्यधिक खाना खतरनाक हो सकता है। इस महीने में बहुत ज्यादा तेल घी का प्रयोग भी उत्तम नहीं होगा।
इस महीने में तामसिक भोजन करने से बचना चाहिए। तामसिक भोजन को पचाने के लिए बहुत ज्यादा मेहनत करना पड़ती है। उड़द या मसूर की दाल से भी परहेज करना चाहिए।
मदिरा-मास के निषेध के अलावा बैंगन, फूल गोभी और मूली का भी कम सेवन करना चाहिए।