Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

क्या आप जानते हैं मधुबाला का असली नाम, फकीर की भविष्यवाणी के बाद पिता लाए थे मुंबई

मधुबाला को बतौर बाल कलाकार 'बेबी मुमताज' के नाम से फिल्म बसंत में काम करने का मौका मिला

हमें फॉलो करें क्या आप जानते हैं मधुबाला का असली नाम, फकीर की भविष्यवाणी के बाद पिता लाए थे मुंबई

WD Entertainment Desk

, शुक्रवार, 23 फ़रवरी 2024 (16:06 IST)
Madhubala Death Anniversary: बॉलीवुड में मधुबाला को एक ऐसी अभिनेत्री के रूप में याद किया जाता जिन्होंने अपनी दिलकश अदाओं और दमदार अभिनय से लगभग चार दशक तक सिने प्रेमियों का भरपूर मनोरंजन किया। मधुबाला का मूल नाम मुमताज बेगम देहलवी था। उनका जन्म दिल्ली में 14 फरवरी 1933 को हुआ था। 
 
मधुबाला के पिता अताउल्लाह खान रिक्शा चलाया करते थे। तभी उनकी मुलाकात एक नजूमी (भविष्यवक्ता) कश्मीर वाले बाबा से हुई जिन्होंने भविष्यवाणी की कि मधुबाला बड़ी होकर बहुत शोहरत पाएंगी। इस भविष्यवाणी को अताउल्लाह खान ने गंभीरता से लिया और वह मधुबाला को लेकर मुंबई आ गए। वर्ष 1942 में मधुबाला को बतौर बाल कलाकार 'बेबी मुमताज' के नाम से फिल्म बसंत में काम करने का मौका मिला। 
बेबी मुमताज के सौंदर्य से अभिनेत्री देविका रानी काफी मुग्ध हुईं और उन्होंने उनका नाम 'मधुबाला' रख दिया। उन्होंने मधुबाला से बॉम्बे टाकीज की फिल्म 'ज्वार भाटा' में दिलीप कुमार के साथ काम करने की पेशकश भी कर दी। लेकिन मधुबाला उस फिल्म में किसी कारणवश काम नही कर सकी।
 
'ज्वारभाटा' हिंदी की महत्वपूर्ण फिल्मों में से एक है। इसी फिल्म से अभिनेता दिलीप कुमार ने अपने सिने करियर की शुरूआत की थी। मधुबाला को फिल्म अभिनेत्री के रूप में पहचान निर्माता निर्देशक केदार शर्मा की वर्ष 1947 मे प्रदर्शित फिल्म 'नीलकमल' से मिली। इस फिल्म में उनके अभिनेता थे 'राजकपूर'। नील कमल बतौर अभिनेता राजकपूर की पहली फिल्म थी। 
 
webdunia
भले हीं फिल्म नीलकमल सफल नही रही लेकिन इससे मधुबाला ने बतौर अभिनेत्री अपने सिने करियर की शुरूआत कर दी। वर्ष 1949 तक मधुबाला की कई फिल्में प्रदर्शित हुई लेकिन इनसे उन्हें कुछ खास फायदा नहीं हुआ। वर्ष 1949 में बांम्बे टॉकीज के बैनर तले बनी निर्माता अशोक कुमार की फिल्म 'महल' मधुबाला के सिने करियर में महत्वपूर्ण फिल्म साबित हुई। रहस्य और रोमांच से भरपूर यह फिल्म सुपरहिट रही और इसी के साथ बॉलीवुड में हॉरर और सस्पेंस फिल्मों के निर्माण का सिलसिला चल पड़ा। 
 
वर्ष 1950 से 1957 तक का वक्त मधुबाला के सिने करियर के लिए बुरा साबित हुआ। इस दौरान उनकी कई फिल्में असफल रही। लेकिन वर्ष 1958 मे फागुन, हावडा ब्रिज, कालापानी तथा चलती का नाम गाड़ी जैसी फिल्मों की सफलता के बाद मधुबाला एक बार फिर से शोहरत की बुंलदियो तक जा पहुंची।

बॉलीवुड की लेटेस्ट न्यूज पढ़ने के लिए क्लिक करें
 
फिल्म हावडा ब्रिज में मधुबाला ने क्लब डांसर की सटीक भूमिका अदा करके दर्शकों का मन मोह लिया। इसके साथ ही वर्ष 1958 मे हीं प्रदर्शित फिल्म चलती का नाम गाड़ी में उन्होंने अपने अभिनय से दर्शकों को हंसाते-हंसाते लोटपोट कर दिया। मधुबाला के सिने करियर मे उनकी जोडी अभिनेता दिलीप कुमार के साथ काफी पसंद की गई। 
 
फिल्म 'तराना' के निर्माण के दौरान मधुबाला दिलीप कुमार से मोहब्बत करने लगी। उन्होंने अपने ड्रेस डिजाइनर को गुलाब का फूल और एक खत देकर दिलीप कुमार के पास इस संदेश के साथ भेजा कि यदि वह भी उनसे प्यार करते हैं तो इसे अपने पास रख लें। दिलीप कुमार ने फूल और खत दोनों को सहर्ष स्वीकार कर लिया।
 
बीआर चोपड़ा की फिल्म नया दौर में पहले दिलीप कुमार के साथ नायिका की भूमिका के लिए मधुबाला का चयन किया गया और मुंबई में ही इस फिल्म की शूटिंग की जानी थी। लेकिन बाद मे फिल्म के निर्माता को लगा कि इसकी शूटिंग भोपाल में भी जरूरी है। मधुबाला के पिता अताउल्लाह खान ने बेटी को मुंबई से बाहर जाने की इजाजत देने से इंकार कर दिया। उन्हें लगा कि मुंबई से बाहर जाने पर मधुबाला और दिलीप कुमार के बीच का प्यार परवान चढ़ेगा और वह इसके लिए राजी नही थे। 
 
webdunia
बाद में बीआर चोपड़ा को मधुबाला की जगह वैजयंतीमाला को लेना पड़ा। अताउल्लाह खान बाद में इस मामले को अदालत में ले गये और इसके बाद उन्होंने मधुबाला को दिलीप कुमार के साथ काम करने से मना कर दिया। यहीं से दिलीप कुमार और मधुबाला की जोड़ी अलग हो गई। पचास के दशक मे स्वास्थ्य परीक्षण के दौरान मधुबाला को अहसास हुआ कि वह हृदय की बीमारी से ग्रसित हो चुकी हैं। इस दौरान उनकी कई फिल्में निर्माण के दौर मे थी। 
 
मधुबाला को लगा यदि उनकी बीमारी के बारे मे फिल्म इंडस्ट्री को पता चल जायेगा तो इससे फिल्म निर्माता को नुकसान होगा। इसलिये उन्होंने यह बात किसी को नहीं बताई। उन दिनों मधुबाला के आसिफ की फिल्म मुगल आजम की शूटिंग में व्यस्त थी। मधुबाला की तबीयत काफी खराब रहा करती थीं। मधुबाला अपनी नफासत औरनजाकत को कायम रखने के लिए घर में उबले पानी के सिवाए कुछ नहीं पीती थी। उन्हें जैसमेलर के रेगिस्तान में कुंए और पोखरे का गंदा पानी तक पीना पड़ा। 
 
मधुबाला के शरीर पर असली लोहे की जंजीर भी लादी गयी लेकिन उन्होंने उफ तक नहीं की और फिल्म की शूटिंग जारी रखी। मधुबाला का मानना था कि 'अनारकली' के किरदार को निभाने का मौका बार बार नहीं मिलता। वर्ष 1960 में जब मुगले आजम प्रदर्शित हुई तो फिल्म में मधुबाला के अभिनय से दर्शक मुग्ध हो गए। हांलाकि बदकिस्मती से इस फिल्म के लिये मधुबाला को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्म फेयर पुरस्कार नहीं मिला लेकिन सिने दर्शक आज भी ऐसा मानते है कि मधुबाला उस वर्ष फिल्म फेयर पुरस्कार की हकदार थीं। 
 
साठ के दशक में मधुबाला ने फिल्मों मे काम करना काफी कम कर दिया था। चलती का नाम गाड़ी और झुमरू के निर्माण के दौरान ही मधुबाला किशोर कुमार के काफी करीब आ गई थीं। मधुबाला के पिता ने किशोर कुमार को सूचित किया कि मधुबाला इलाज के लिए लंदन जा रही है और वहां से लौटने के बाद ही उनसे शादी कर पाएंगी। लेकिन मधुबाला को अहसास हुआ कि शायद लंदन में ऑपरेशन होने के बाद वह जिंदा नहीं रह पाये और यह बात उन्होंने किशोर कुमार को बतायी। इसके बाद मधुबाला की इच्छा पूरा करने के लिये किशोर कुमार ने मधुबाला से शादी कर ली। 
 
शादी के बाद मधुबाला की तबीयत और ज्यादा खराब रहने लगी। हालाकि इस बीच उनकी पासपोर्ट, झुमरू, बॉय फ्रेंड, हाफ टिकट और शराबी जैसी कुछ फिल्में प्रदर्शित हुई। वर्ष 1964 में एक बार फिर से मधुबाला ने फिल्म इंडस्ट्री की ओर रूख किया। लेकिन फिल्म चालाक के पहले दिन की शूटिंग में मधुबाला बेहोश हो गईं और बाद मे यह फिल्म बंद कर देनी पड़ी। अपनी दिलकश अदाओं से दर्शको के दिल में खास पहचान बनाने वाली मधुबाला 23 फरवरी 1969 को इस दुनिया को अलविदा कह गईं। 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

प्रियंका चोपड़ा की बहन मीरा चोपड़ा बनेंगी दुल्हन, अगले महीने जयपुर में रचाएंगी शादी