Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

दिलीप कुमार : बड़े परिवार के सुख-दुःख

हमें फॉलो करें दिलीप कुमार : बड़े परिवार के सुख-दुःख
IFM
दिलीप कुमार भावनात्मक रूप से सदा ‍अपने परिवार से जुड़े रहे। पेशावर में दादा-दादी, चाचा-चाची, बहन-भाई सभी एक संयुक्त पठान के मेंबर थे। सरवर खान फलों के थोक व्यवसायी थे। अय्यूब की बीमारी की वजह से उनका सारा परिवार 1926 में मुंबई आ गया, लेकिन छुट्‍टियों में पेशावर जाता रहा।

मुंबई में क्राफोर्ड मार्केट में सरवर खान की दुकान थी। यूसुफ की माता आयेशा बेगम को दमे का रोग था। अगस्त 1948 में उनका निधन हो गया। मार्च 1950 में सरवर खान भी चल बसे। उन्हें उनकी अंतिम इच्छा के मुताबिक देवलाली में पत्नी की कब्र के निकट ही दफनाया गया।

पिता की मृत्यु के बाद परिवार की आर्थिक जिम्मेदारी दिलीप कुमार ने अपने कंधों पर ली, जबकि सबसे बड़ी बहन सकीना ने घर-गृहस्थी का काम संभाल लिया। 1950 में यह परिवार पाली हिल के बंगले में रहने के लिए आ गया। दिलीप ने इसे 1 लाख 20 हजार रुपए में खरीदा था, जब वे सितारे के रूप में स्थापित हो चुके थे।

खान परिवार की सबसे बड़ी बहन सकीना, जो सारे घर की कारभारी थीं, आपाजी के नाम से पुकारी जाती थीं। वे बहुत सुंदर थीं और ऐन विवाह से पहले चर्म रोग हो जाने के कारण कुँवारी रह गईं। मगर बाद में आपाजी की वजह से ही माता-पिता के देहांत के बावजूद घर की खुशहाली बनी रही। उन्होंने अपने छोटे भाई-बहनों- अहसान, असलम, अख्तर, सईदा, फरीदा और फौजिया को अच्छी तरह शिक्षित किया। यह परिवार अकसर कश्मीर, महाबलेश्वर, पंचगनी और रत्नागिरि छुट्‍टी मनाने जाया करता था।

अजमेर, बिहार शरीफ, अहमदनगर, आगरा और दिल्ली भी इनके प्रिय यात्रा स्थल थे। असल में आपाजी धार्मिक वृत्ति की भी थीं और सूफीवाद में उनकी गहन आस्था थी। अपने जीवन का अंतिम समय उन्होंने अजमेर शरीफ में ख्वाजा की सेवा करते हुए गुजारा।

बीमार भाई अय्यूब का निधन 1954 में ही हो गया था। सबसे बड़े भाई नूर मोहम्मद का निधन 1991 में हुआ, जबकि अनुज नासिर खान ने, जिन्होंने फिल्मों में थोड़ी सफलता पाई थी, दो विवाह किए, पहले के. आसिफ की बहन सुरैया से और बाद में अभिनेत्री बेगम पारा से। नासिर भी एक घातक चर्म रोग के शिकार हुए, जिससे उनका फिल्म करियर चौपट हो गया। दिल का दौरा पड़ने से मई 1976 में उनका अमृतसर में निधन हो गया, जब वे अपनी एक ही फिल्म के सिलसिले में शूटिंग के लिए कुल्लू मनाली गए थे। पिछले दशक में कुछ फिल्मों में नायक के रूप में आया अय्यूब खान बेगम पारा और नासिर खान का ही बेटा है, जिसने अपनी फूफी फौजिया की बेटी से निकाह किया है।

असली दिलीप कुमार
दिलीप कुमार के सबसे छोटे दो भाइयों-अहसान और असलम ने स्नातकोत्तर शिक्षा अमेरिका में ग्रहण की। असलम ने एक अमेरिकी युवती से विवाह रचाया और वहीं बस गया, लेकिन दो बच्चों के बावजूद उनके बीच तलाक हो गया और बाद में यूसुफ की पाँचवीं बहन फरीदा ने असलम के साथ रहकर उसके बच्चों की परवरिश की।

अहसान ने अमेरिका में इंडस्ट्रीयल मैनेजमेंट की उपाधि ली और मुंबई लौटकर अपने भाइयों की कंपनी 'सिटीजन फिल्म्स' का कामकाज देखा। दो दशक पहले उसे दिल का दौरा पड़ा था और कई साल अस्वस्थ रहा।

अहसान की शक्ल और आवाज यूसुफ खान ने इतनी मिलती-जुलती है कि कई बार सायरा भी चक्कर में पड़ जाती हैं। यूसुफ खान उसे असली दिलीप कुमार कहते हैं। वह कम बजट की फिल्मों के निर्माण से जुड़ा है और पाली हिल के बंगले में अकेला रहता है।

दिलीप की बहन सईदा ने निर्माता-निर्देशक मेहबूब खान के पुत्र इकबाल से विवाह किया था, लेकिन अब वे अलग हो चुके हैं। सईदा अब अपने बेटे-बेटी के साथ जुहू के एक फ्‍लैट में रहती हैं और वस्त्रों के व्यवसाय से अपने और एक बेटे-बेटी का गुजारा चलाती हैं। एक अन्य बहन मुमताज, जिसे उसके छोटे भाई-बहन 'बाजी' कहकर पुकारते हैं, परंपरागत गृहस्थन हैं और एक पुत्र तथा दो पुत्रियों की माँ हैं।

'मुगल-ए-आजम' के निर्माता के. आसिफ से दिलीप की बहन अख्तर ने विवाह किया था। आसिफ की यह हरकत दिलीप कुमार को नागवार गुजरी थी। आसिफ की मौत के बाद अख्तर भाई के पास लौट आईं। सबसे छोटी बहन फौजिया ने 1967 में दिलीप सुर्वे से शादी कर ली थी। इन्हीं की बेटी ने नासिर-बेगम पारा के बेटे अभिनेता अय्यूब से शादी की है।

कहते हैं कि दो शादियों ने खान परिवार को तहस-नहस कर दिया। अव्वल तो आसिफ-अख्तर के विवाह से घर में बहुत बड़ा तूफान आया और बाद में दिलीप-अस्मा विवाह ने रही-सही कसर पूरी कर दी।

अपने भाई-बहनों की परवरिश में दिलीप कुमार ने कोई कसर नहीं छोड़ी, उनकी शिक्षा-दीक्षा और मौजमस्ती में कोई कमी नहीं आने दी, मगर विवाह के मामले में सबने अपनी अच्छी मनमर्जी चलाई, जिसके अच्छे-बुरे परिणाम सामने आए।

दिलीप कुमार को अपनी कोई संतान न होने का मलाल तो है, लेकिन उन्होंने सदैव कहा कि मेरे इतने सारे भाई-बहन तो हैं। आपाजी, दो बड़े और एक छोटा भाई (नूर मोहम्मद, अय्यूब और नासिर खान) अब इस दुनिया में नहीं रहे। एक भाई (असलम) और एक बहन फरीदा, जिसने कई बरस 'फिल्म फेयर' में भी काम किया था, अमेरिका में हैं। अहसान और अख्तर साथ में हैं।

सईदा, मुमताज और फौजिया भी इर्द-गिर्द ही हैं। इन सबका जन्म पेशावर में नहीं हुआ था। इनमें से छोटे तीन-चार बच्चों का जन्म देवलाली में हुआ था।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi