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Varuthini Ekadashi : वरुथिनी एकादशी के दिन पूजा के बाद जरूर पढ़ें यह व्रत कथा, मिलेगी पापों से मुक्ति

Varuthini Ekadashi Vrat : वरुथिनी एकादशी पर पढ़ें पौराणिक व्रत कथा

हमें फॉलो करें Varuthini Ekadashi : वरुथिनी एकादशी के दिन पूजा के बाद जरूर पढ़ें यह व्रत कथा, मिलेगी पापों से मुक्ति

WD Feature Desk

, शनिवार, 4 मई 2024 (09:50 IST)
Varuthini Ekadashi In Hindi 

 
HIGHLIGHTS
 
• वरुथिनी एकादशी, शनिवार, 04 मई को।
• वरुथिनी एकादशी की कथा यहां पढ़ें। 
• वैशाख कृष्ण एकादशी का नाम क्या है।
 
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Varuthini ekadashi: इस बार, शनिवार, 04 मई को वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की वरुथिनी एकादशी मनाई जा रही है। पौराणिक शास्त्रों में इस एकादशी का बहुत धार्मिक महत्व बताया गया है। जिसके अनुसार यह एकादशी सौभाग्य देने, सब पापों को नष्ट करने वाली तथा मोक्ष देने वाली मानी गई है। वरुथिनी एकादशी व्रत कथा पढ़ने अथवा सुनने से जीवन के समस्त कष्टों से मुक्ति मिलती है। 
आइए यहां पढ़ें वरुथिनी एकादशी की पौराणिक एवं प्रामाणिक व्रत कथा- 
 
वरुथिनी एकादशी कथा: Varuthini Ekadashi Story
 
वरुथिनी एकादशी की कथा के अनुसार प्राचीन काल में नर्मदा नदी के तट पर मान्धाता नामक राजा राज्य करता था। वह अत्यंत दानशील तथा तपस्वी था। एक दिन जब वह जंगल में तपस्या कर रहा था, तभी न जाने कहां से एक जंगली भालू आया और राजा का पैर चबाने लगा। राजा पूर्ववत अपनी तपस्या में लीन रहा। 
 
कुछ देर बाद पैर चबाते-चबाते भालू राजा को घसीटकर पास के जंगल में ले गया। राजा बहुत घबराया, मगर तापस धर्म अनुकूल उसने क्रोध और हिंसा न करके भगवान विष्णु से प्रार्थना की, और करुण भाव से भगवान विष्णु को पुकारा। उसकी पुकार सुनकर भगवान श्री विष्णु प्रकट हुए और उन्होंने चक्र से भालू को मार डाला। 
 
राजा का पैर भालू पहले ही खा चुका था। इससे राजा बहुत ही शोकाकुल हुआ। उसे दुखी देखकर भगवान श्रीहरि बोले- 'हे वत्स! शोक मत करो। तुम मथुरा जाओ और वरुथिनी एकादशी का व्रत रखकर मेरी वराह अवतार मूर्ति की पूजा करो। उसके प्रभाव से तुम पुन: सुदृढ़ अंगों वाले हो जाओगे। इस भालू ने तुम्हें जो काटा है, यह तुम्हारे पूर्व जन्म का अपराध था।' 
 
श्रीहरि की आज्ञा मानकर राजा मान्धाता ने मथुरा जाकर श्रद्धापूर्वक वरुथिनी एकादशी का व्रत किया। इसके प्रभाव से राजा शीघ्र ही पुन: सुंदर और संपूर्ण अंगों वाला हो गया। इसी एकादशी के प्रभाव से राजा मान्धाता स्वर्ग गया था। अत: जो भी व्यक्ति भय से पीड़ित है, उसे वरुथिनी एकादशी का व्रत रखकर भगवान विष्णु का स्मरण करना चाहिए। इस एकादशी व्रत से समस्त पापों का नाश होकर सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है और अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है। ऐसी वरुथिनी एकादशी की महिमा है।
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।



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