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एक अप्रैल पर कविता : अप्रैल फूल

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संजय वर्मा 'दृष्ट‍ि'

April Fool
 
अप्रैल फूल 
कहीं नहीं खिलता मगर 
खिल जाता 
एक अप्रैल को 
क्या, क्यों, कैसे ?
अफवाओं की खाद से और 
मगरमच्छ के आंसू से सींचा
लोगों ने इस अप्रैल फूल को।
 
इसीलिए ये झूठ का पौधा
एक अप्रैल के गमले में 
फल-फूल रहा वर्षों से। 
 
लोग झूठ को भी
सच समझने लगे 
झूठ के बाजारों में
क्या अप्रैल फूल के
बीज मिलते  
जब पूछे, तो लोग कहते -हां
बस एक अप्रैल को ही
दुकानों पर मिलते है।
 
आप को विश्वास हो तो
आप भी लगाए 
घर की बालकनी में और आंगन में 
लोगों को जरूर दिखाए 
कहे कि हमारे यहां एक अप्रैल का फूल खिला
ताकि उन्हें कुछ तो विश्वास हो।
 
एक अप्रैल को भी 
सुंदर सा फूल खिलता है 
जैसे वर्षों बाद खिलता ब्रह्म कमल 
जिसे देखा होगा सब ने
मगर अप्रैल फूल 
कभी देखा नहीं 
शायद एक अप्रैल को
हमारे द्वारा बोया ही हमें देखने का
सौभाग्य प्राप्त हो।


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