Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

History of india: इस राजा के कारण भारत बना था इस तरह अंग्रेजों का गुलाम?

हमें फॉलो करें History of india: इस राजा के कारण भारत बना था इस तरह अंग्रेजों का गुलाम?

WD Feature Desk

, बुधवार, 24 अप्रैल 2024 (10:47 IST)
History of india: राजा दाहिर की हार के बाद भारत में मुस्लिमों के आक्रमण बढ़ने लगे और धीरे-धीरे अफगान, फारस और तुर्क के मुस्लिमों ने आधे भारत पर कब्जा कर लिया। संपूर्ण भारत पर कभी भी इस्लामिक शासन नहीं रहा क्योंकि दक्षिण भारत से टक्कर मिलती रही। बाद में भारत के एक बड़े भूभाग पर तुर्क के मुगलों का शासन हो चला।
जहांगीर का परिचय : 17 अक्टूबर 1605 को अकबर के देहावसान के बाद सिख गुरु गुरु अर्जन देव के हत्यारे, औरतों और शराब के शौकीन जहांगीर ने मुगल तख्त को संभाला। जहांगीर का वास्तविक नाम सलीम था, जिसे बाद में जहांगीर की उपाधि दी गई थी। उसका पूरा नाम मिर्जा नूर-उद-दीन बेग मोहम्मद खान सलीम था। उसके पिता का नाम अकबर और माता का नाम मरियम था। 30 अगस्त  ( मतांतर से 31 अगस्त)  1569 को फतेहपुर सीकरी में उसका जन्म हुआ और 28 अक्टूबर 1627 को राजोरी, कश्मीर में उसकी मृत्यु हो गई। उसकी 6 पत्नियां और 10 बच्चे थे। उसके सबसे खास बेटे का नाम शाहजहां था। 
 
ईस्ट इंडिया कंपनी का भारत में प्रवेश :-
1. ईस्ट इण्डिया कम्पनी को 1600 ई. में ब्रिटेन का शाही अधिकार पत्र द्वारा व्यापार करने का अधिकार प्राप्त हुआ था। यह लन्दन के व्यापारियों की कम्पनी थी, जिसे पूर्व में व्यापार करने का एकाधिकार प्रदान किया गया था। उत्तर भारत में 1615-18 ई. में सम्राट जहांगीर ने ईस्ट इण्डिया कंपनी को विशेषाधिकार देकर भारत में व्यापार करने की छूट दे दी। जहांगीर और कंपनी ने मिलकर 1618 से लेकर 1750 तक भारत के अधिकांश हिन्दू रजवाड़ों को छल से अपने कब्जे में ले लिया था। यानी ईस्ट इंडिया कंपनी को भारत में लाने वाला मुगल बादशान जहांगीर था।
 
2. दूसरी ओर यह देखते हुए दक्षिण भारत में 1640 ईस्वी में विजयनगर शासकों के प्रतिनिधि चन्द्रगिरि के राजा ने इस कंपनी को चेन्नई के एक भूभाग पर कारखाना लगाने की अनुमति देती। कंपनी ने यहां पर शीघ्र ही सेण्ट जार्ज किले का निर्माण किया और अपनी व्यापार नीति के साथ ही रणनीति की शुरुआत की। ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के सर्वप्रथम संबंध व्यापार के उद्देश्य से सूरत, कर्नाटक, हैदराबाद, बंगाल आदि समुद्र तट पर स्थित राज्यों से हुए। 
 
3. 1661 ईस्वी में ईस्ट इण्डिया कंपनी को एक और सफलता मिली। चेन्नई के अलावा उसे बम्बई का एक टापू भी मिल गया। हुआ यूं कि ब्रिटेन के राजा चार्ल्स द्वितीय को पुर्तगाली राजकुमारी से विवाह के उपलक्ष में दहेज में बम्बई का टापू मिल गया। चार्ल्स ने 1668 ई. में इसको केवल 10 पाउण्ड सालाना किराए पर ईस्ट इण्डिया कम्पनी को दे दिया। इसके बाद 1669 और 1677 ईस्वी के बीच कम्पनी के गवर्नर जेराल्ड आंगियर ने आधुनिक बम्बई नगर की नींव डाली। यह क्षेत्र में बाद में अंग्रेजों के व्यापार और युद्ध का गढ़ बन गया।
4. अंग्रेजों को भारत में व्यापार करने की अनुमति सबसे पहले जहांगीर ने दी थी इसमें जहांगीर की भी रणनीति थी। कंपनी ने अपने विस्तार के अगले चरण में सैन्य संगठन खड़ा किया। जहांगीर और अंग्रेजों ने मिलकर 1618 से लेकर 1750 तक भारत के अधिकांश हिंदू रजवाड़ों को छल से अपने कब्जे में ले लिया था।
webdunia

ईस्ट इंडिया कंपनी का सैन्य विस्तार:
1. बंगाल उनसे उस समय तक अछूता था और उस समय बंगाल का नवाब था सिराजुद्दौला। बाद में 1757 में उसे भी हरा दिया गया। सिराजुद्दौला और अंग्रेजों की लड़ाई को प्लासी के युद्ध के नाम से जाना जाता है। बंगाल में मीर जाफर की गद्दारी के चलते सिराजुद्दौला के साथ प्लासी का युद्ध (1757) हुआ और ईस्ट इंडिया कंपनी के सैनिकों ने उसे हराकर अपने शासन की शुरुआत की। प्लासी का युद्ध 23 जून 1757 को मुर्शिदाबाद के दक्षिण में 22 मील दूर नदिया जिले में गंगा नदी के किनारे 'प्लासी' नामक स्थान में हुआ था। इस युद्ध में एक ओर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना थी तो दूसरी ओर बंगाल के नवाब की सेना। कंपनी की सेना ने रॉबर्ट क्लाइव के नेतृत्व में नवाब सिराजुद्दौला को हरा दिया था। इस युद्ध की जानकारी लंदन के इंडिया हाउस लाइब्रेरी में उपलब्ध है। 
 
2. ईस्ट इण्डिया कंपनी को भारत में लाने वाले मुगल सम्राट जहांगीर और उसके बाद के सम्राट शाहआलम द्वितीय असहाय होकर कंपनी की फौजों को बढ़ते हुए देखते रहे। उनकी कंपनी से लड़ने की कभी हिम्मत नहीं हुई। 
3. मुगलों के देखते-देखते कंपनी ने मैसूर के मुस्लिम राज्य को हड़प लिया और हैदराबाद के निजाम को आत्म समर्पण करने के लिए मजबूर कर दिया, लेकिन वह कुछ नहीं कर सके। हालांकि वह इस बात से संतुष्ट होते रहे कि कंपनी ने मराठों और राजपूतों को भी उखाड़ फेंकने के लिए अभियान चलाया हुआ है।
 
4. डेविड आक्टरलोनी, जो कंपनी की सेवा में एक मुख्य सेनानायक था, मराठों से दिल्ली की रक्षा की। वारेन हेस्टिंग्स (1813-23) के प्रशासन काल में मराठों के कमजोर होने बाद तो मुगल सम्राट वस्तुत: कंपनी का एक रिटायर्ड और पेंशनयुक्त कर्मचारी बन कर रह गया। 1929 ई. में आसाम, 1843 ई. में सिन्ध, 1849 ई. में पंजाब और 1852 ई. में दक्षिणी बर्मा भी कंपनी के शासन में आ गया। बर्मा (वर्तमान म्यांमार) से पेशावर तक कंपनी का पूर्ण आधिपत्य था। कंपनी ने ब्रिटिश सेना की मदद से धीरे-धीरे अपने पैर फैलाना शुरू कर दिया और लगभग संपूर्ण भारत पर कंपनी का झंडा लहरा दिया। उत्तर और दक्षिण भारत के सभी मुस्लिम शासकों सहित सिख, मराठा, राजपूत और अन्य शासकों के शासन का अंत हुआ।
 
कंपनी की शक्तियों को कमजोर करने के बाद ब्रिटिश सेना ने भारत पर अधिकार कर लिया और फिर शुरु हुआ ब्रिटिश ताज का शासन। इस तरह भारत के इतिहास में जहांगीर पर यह आरोप लगता है कि उसी की वजह से भारत बना था अंग्रेजों का गुलाम। 
 
ईस्ट इंडिया कंपनी से पहले का भारत : ईस्ट इंडिया कंपनी के आने के पहले भारत में मुगल, सिख, मराठा, राजपूत, बहमनी, अहोम, तुलुव, अरावती, त्रावनकोर, काकतीय आदि राजवंशों या राजाओं का स्वतंत्र शासन था। पश्चिम में सिंध, बलूचिस्तान, हिंदूकुश, मुल्तान, पंजाब, पश्तून आदि जगहों पर पूर्णत: इस्लामिक सत्ता कायम हो चुकी थी। दिल्ली, बंगाल, मैसूर जैसी हिन्दु बहुल जगहों पर मुस्लिम शासकों का शासन था, जिनकी लड़ाई मराठा, राजपूत, सिख और दक्षिण के राजाओं से जारी थी। वे चाहते थे कि यहां पर भी हमारा पूर्ण अधिकार हो। एक समय था जबकि राजपूतों, मराठाओं और सिखों ने अंग्रेजों से लोहा लिया और अंग्रेजों का साथ उस समय मुस्लिम शासकों ने दिया। फिर एक समय ऐसा आया कि मुस्लिम शासकों को हटाने के लिए अंग्रेजों ने राजपूतों और सिखों को अपने साथ लिया और इस तरह अंग्रेजों ने दोनों की पक्ष को अपने लिए कार्य करने पर मजबूर कर दिया।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

भारतः ईमानदार चुनावों के लिए क्या कर रही हैं टेक कंपनियां?