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राजीव गांधी के वक्त 2 गुना हो गया था रक्षा बजट, क्या था राजीव सिद्धांत

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rajiv gandhi birth anniversary
आज अगर भारत की पड़ोसी देश भारत की सेना से खोफ खाते हैं तो उसकी बड़ी वजह है, भारत के पूर्व प्रधान मंत्री राजीव गांधी। राजीव गांधी के वक़्त हुई वो डिफेंस डील जिसने भारत की सेना को ऐसे हथियार दिए जिसे भारतीय सेना आज भी मुश्किल वाट में सफलता से इस्तेमाल करती है। साल 1984-1989 तक 5 साल के कार्यकाल में राजीव गांधी देश के एक लौते ऐसे प्रधानमंत्री थे जिन्होंने भारत का डिफेंस बजट 2 गुना कर दिया था। राजीव गांधी के वक़्त इंडियन आर्मी, नेवी और एयरफोर्स के लिए ऐसे हथियार खरीदे गए जो भारत की शान है। राजीव गांधी के जन्मदिन पर हम जानेंगे कि कैसे उन्होंने भारत के डिफेंस बजट को दो गुना कर दिया था। 
 
विदेश में शांति का प्रचार किया
नेहरू के बाद राजीव गांधी ऐसे प्रधानमंत्री थे जिन्होंने 30 साल से अधिक समय के बाद पाकिस्तान और चीन का दौरा किया। अपने कार्यकाल के अंत तक उन्होंने 60 से अधिक विदेश यात्राएं कीं। उन्होंने UN Security Council के पांच स्थायी सदस्यों सहित सभी महत्वपूर्ण देशों को छोड़कर सारे पड़ोसी देशों का दौरा किया। 
 
राजीव गांधी के अनुसार यह सुनिश्चित किया गया कि सभी पड़ोसी देश, भारत को डिफेंस में मजबूत समझें। राजीव गांधी के दौर में लोग 'राजीव सिद्धांत' के बारे में बात करने लगे थे क्योंकि राजीव ने विदेश में शांति का प्रचार किया और उन्होंने भारत की सशस्त्र सेनाओं में अब तक के सबसे बड़े विस्तार की अध्यक्षता की। 
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ऐसे किया इंडियन एयरफोर्स को मजबूत
भारत का रक्षा निर्माण 1963 में शुरू हो गया था, और राजीव ने अपनी सत्ता को संभालने के तुरंत बाद इस रक्षा निर्माण को एक नई गति दी। जबकि उनके पांच वर्षों के कार्यकाल के दौरान रक्षा व्यय दोगुना हो गया। आर्म्ड फोर्स के मोडर्निज़ेशन के लिए स्वीडन से बोफोर्स, ब्रिटेन से INS Viraat, यूरोपीय जगुआर और रूसी मिग-27 के अलावा फ्रांस से मिराज 2000 को भी खरीदा गया।
 
भारतीय नौसेना को बनाया blue water navy
रूस से lease पर प्राप्त INS Chakra ने भारत को पहली परमाणु-संचालित पनडुब्बी संचालित करने वाली नॉन-न्यूक्लियर पॉवर बनाया। इस कारण से नौसेना बल को 'blue water navy बना दिया गया। राजीव के कार्यकाल के दौरान, नौसेना के 99 जहाजों में 2 वाहक, 12 पनडुब्बियां, 21 फ्रिगेट और 5 डिस्ट्रॉयर शामिल थे, जो किसी भी समुद्री आक्रमण को रोकने के लिए पर्याप्त थे। राजीव गांधी ने स्वयं कहा था कि 'भारत की रक्षा के लिए भारत की ओर आने वाले समुद्री मार्गों पर नियंत्रण की आवश्यकता है।' 
 
मिसाइल परीक्षण से भारत मिसाइल निर्माताओं के क्लब में शामिल हुआ
राजीव सरकार ने स्वदेशी रक्षा कार्यक्रम को जबरदस्त बढ़ावा दिया। सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल त्रिशूल और सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल पृथ्वी का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया। कुछ महीने बाद, 1,500 मील की मारक क्षमता वाली मध्यम दूरी की मिसाइल अग्नि का भी सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया। इन परीक्षण के कारण भारत अमेरिका, रूस, फ्रांस, चीन और इज़राइल वाले मिसाइल निर्माताओं के क्लब में शामिल हो गया।  

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