देश की राजनीति में कहा जाता है कि दिल्ली का रास्ता उत्तरप्रदेश से होकर जाता है। उत्तरप्रदेश देश का वह राज्य है जहां 80 लोकसभा सीटें और जो पार्टी उत्तर प्रदेश को जीतती है वह दिल्ली की सत्ता में काबिज होती है। उत्तरप्रदेश में अब तीन चरणों की वोटिंग होनी बाकी है और इन्हीं तीन चरणों में देश के सबसे बड़े दिग्गजों की किस्मत का फैसला जनता करेगी। इसमें वाराणसी सीट से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रायबरेली सीट से राहुल गांधी चुनावी मैदान में है।
इसके साथ उत्तरप्रदेश में अब पूर्वांचल की उन 21 सीटों पर भी वोटिंग होनी है जिसकी धमक पूरे देश में सुनाई देती है। यहीं कारण है कि पूर्वांचल में भाजपा की नैय्या पार लगाने की जिम्मेदारी खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने हाथों में संभाली है। पीएम मोदी आज से पूर्वांचल का मोर्चा संभालेंगे और आज प्रतापगढ़, आज़मगढ़, जौनपुर और भदोही में चुनावी जनसभा कर हुंकार भरेंगे। भाजपा के लिए पूर्वांचल कितना जरूरी हैं इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आज प्रधानमंत्री की यूपी में एक दिन में सबसे ज्यादा रैलियां करेंगे।
पूर्वांचल पर टिकी सबकी नजर-पूर्वांचल में हमेशा से बाहुबलियों का बोलबाला रहा है। यहीं कारण है कि पूर्वांचल की 21 लोकसभा सीटों पर पूरे देश की नजर टिकी है। पूर्वांचल में मुख्य रूप से लोकसभा की 21 सीटें हैं, इसमें वाराणसी, डुमरियागंज,बस्ती, संतकबीर नगर,लालगंज,आजमगढ़,जौनपुर,मछली शहर,भदोही, महराजगंज, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, बांसगांव, घोसी, सलेमपुर, बलिया, गाजीपुर, चंदौली, मिर्जापुर और रॉबर्ट्सगंज शामिल हैं। इन 21 सीटों पर लोकसभा चुनाव के अंतिम दो चरणों में मतदान होना है।
पूर्वांचल में बाहुबलियों का बोलबाला- पूर्वांचल की सियासत में हमेशा से बाहुबलियों का बोलबाला रहा है। इस बार भी लोकसभा चुनाव में बाहुबली धनंजय सिंह और राजा भैय्या की खूब चर्चा है। इसके साथ बाहुबली बृजेश सिंह भी सियासी गलियारों चर्चा के केंद्र में है। वहीं लोकसभा चुनाव के ठीक समय माफिया मुख्तार आंसरी की मौत का असर भी चुनावी फिजामें साफ तौर पर महसूस किया जा रहा है।
दरअसल पूर्वांचल की राजनीति इस बार धनंजय सिंह, राजा भैया, बृजेश सिंह के साथ अभय सिंह जैसे बाहुबलियों के आसपास घूमती रही है। धनजंय सिंह ने लोकसभा चुनाव में भाजपा के समर्थन का खुला एलान कर दिया है। धनंजय सिंह के ऐलान के बाद केवल जौनपुर में ही नहीं बल्कि पूर्वांचल की कई सीटों पर सियासी समीकरण बदल जाएंगे। धनंजय सिंह के भाजपा के समर्थन में आने से जौनपुर में भाजपा उम्मीदवार कृपाशंकर सिंह की राह आसान हो गई है।
गौरतलब है कि जौनपुर लोकसभा सीट से धनजंय की पत्नी बसपा उम्मीदवार थी लेकिन ठीक चुनाव के समय धनजंय को इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद उनकी पत्नी ने ऐन वक्त चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया था। धनजंय सिंह के समर्थन से पूर्वांचल की कई सीटों पर भी भाजपा की राह आसान होती दिख रही है। ठाकुर वोटर्स जो लोकसभा चुनाव में भाजपा से नाराज चल रहा था उसको मानने की जिम्मेदारी अब खुद ठाकुर बिरादरी से आने वाले धनंजय सिंहह के कंधों पर है।
वहीं पूर्वांचल के दूसरे बड़े बाहुबली रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया का फैसला काफी चौंकाने वाला रहा है। राजा भैय्या ने ऐन वक्त पर अपने समर्थकों को अपने पंसद के उम्मीदवार का सपोर्ट करने की खुली छूट दे दी है। लोकसभा चुनाव की रणनीति तय करने के लिए प्रतापगढ़ के कुंडा में अपने घर पर उन्होंने पार्टी के नेताओं की बैठक बुलाई और बैठक में उन्होंने अपने समर्थकों से कहा कि समर्थक जैसा चाहे, वैसा करें। राजा भैय्या का यह फैसला भाजपा के लिए झटका है क्योंकि इससे पहले राजा भैय्या ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी।
पूर्वांचल में जातीय समीकरण हावी-पूर्वांचल की सियासत में हमेशा से जातिगत समीकरण हावी रहते है। पिछड़ा और अति पिछड़ी जातियों वाले पूर्वांचल इलाके में राजभर, निषाद और चौहान जातियां निर्णायक स्थिति में हैं। यहीं कारण है कि भाजपा ने पीएम मोदी के नामांकन में अलग-अलग जातियों से जुड़े लोगों को प्रस्तावक बनाकर जातिगत राजनीति को साधने की कोशिश की है।
2019 के लोकसभा चुनाव में पूर्वांचल में भाजपा को वैसी सफलता नहीं मिली थी जैसा वह चाह रही थी, तब बसपा और सपा गठबंधन में चुनाव लड़ी थी और बसपा ने गाजीपुर, घोसी और लालगंज सीटों पर जीत हासिल की थी, जबकि समाजवादी पार्टी ने आजमगढ़ सीट पर अपनी जीत बरकरार रखी थी। ऐसे में इस बार फिर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस जो गठबंधन में चुनाव लड़ रहे है उन्होंने पूर्वांचल पर अपना फोकस कर दिया है।