मनुष्य के लिए बोलना प्रकृति का वरदान है। भाषा के विकास के साथ ही मनुष्य का बोलना बढ़ा है। बोलने के बढ़ने के साथ ही सोचना और समझना भी बढ़ा है। इसी से हमारे भीतर अच्छे और बुरे भावों का विकास भी हुआ। आओ जानते हैं बोलने, सुनने, सोचने, समझने से उपजे बर्ताव से संबंधित 8 खास बातें।
1. देखा गया है कि अधिकतर व्यक्ति लोगों के दुखों में शामिल नहीं होते और खुद यह अपेक्षा रखते हैं कि कोई हमारे दुख-दर्द सुन ले और हमारी मदद करें। इसके लिए वे उन लोगों के पास भी चले जाते हैं जिनके दुखों में वे कभी खुद नहीं गए।
2. बहुत से ऐसे लोग हैं, जो खुद तो दूसरों के साथ खराब बर्ताव करते हैं और अपेक्षा यह रखते हैं कि सभी उनसे अच्छा व्यवहार करें। ऐसे लोग नकारात्मक विचारों के होते हैं और हमेशा वे दूसरों की बातों को काटते रहते हैं और अपना ही बखान करते रहते हैं।
3. कोई अच्छी राय दे तो उस पर ध्यान न देना भी कई लोगों की आदत है। ऐसे लोग न चाहने पर भी दूसरों को राय बांटते रहते हैं। ऐसे लोग कभी किसी की बात ध्यान से नहीं सुनते लेकिन अपेक्षा रखते हैं कि कोई हमारी बातें ध्यान से सुने। ऐसे में यदि कोई उनकी बातें ध्यान से नहीं सुनता हैं तो उन्हें गुस्सा आता है।
4. बहुत से लोगों में आदत होती है किसी भी मामले में दखलअंदाजी करना। उनमें भी वे लोग सबसे खराब हैं, जो बिना कारण के किसी के घरेलू मामले में दखल देते हैं और मामले को और बिगाड़ देते हैं।
5. बहुत से लोग अपने स्वार्थ के लिए या निष्प्रयोजन झूठ बोलते रहते हैं। वे हर वक्त झूठी कसम खाते रहते हैं। उनमें भी वे लोग अपराधी हैं तो कसम खाकर, झूठ बोलकर और धोखा देकर अपना माल बेचते या व्यापार करते हैं।
6. बहुत से लोग ऐसे हैं, जो हर एक के सामने अपना दुख-दर्द सुनाते रहते हैं और अपने घर का भेद दूसरों पर जाहिर करते हैं। इससे घर और परिवार में बिखराव होता है। ऐसे लोग कमजोर माने जाते हैं। ऐसे लोगों का बहुत से दूसरे लोग शोषण भी करते हैं।
7. लाखों लोग हैं, ऐसे जो अपनी जुबान बंद नहीं रख सकते। वे दूसरों को कभी बोलने का अवसर नहीं देते। हर बात में वे अपनी राय रखना चाहते हैं भले ही वे उस विषय का ज्ञान नहीं रखते हों। ऐसे लोग जरूरत से ज्यादा बातचीत करते हैं। वे बगैर सोचे-समझे करते हैं। इनमें से अधिकतर ऐसे हैं, जो हमेशा नकारात्मक बातें ही करते रहते हैं। हमेशा उनके मुंह से कटु वचन ही निकले रहते हैं। ऐसे लोगों से आप कभी भी संवाद स्थापित नहीं कर सकते।
8. बहुत से लोग बहुत जल्द ही किसी के बारे में अपनी राय कायम कर उसकी तारीफ या निंदा करने लग जाते हैं, जो कि एक सामाजिक बुराई है। कुछ लोग तो एक-दो मुलाकात में ही किसी के बारे में अपनी राय कायम कर भाषण देने लग जाते हैं।