ओशो रजनीश के विचारों को दुनियाभर में सराहा जाता है। उनकी कहानियां और उनके विचार बड़े ही गजब के और अलग तरह के होते हैं। उन्होंने कई घंटों के प्रचवन दिए हैं जिसके आधार पर लगभग 650 किताबों का प्रकाशन हो चुका है। उन्होंने हर विषय पर कहा है। आओ जानते हैं उनके ऐसे 10 अनमोल विचार जो आपको प्रेरिक करेंगे।
1. सबसे बड़ा रोग क्या कहेंगे लोग। जिंदगी में आप जो करना चाहते हैं वो कीजिये। ये मत सोचिए कि लोग क्या कहेंगे। क्योंकि लोग तो तब भी कुछ कहते थे जब आप कुछ नहीं करते थे।... ओशो का यह विचार इतना लोकप्रिय हुआ है कि वह यह विचार सभी का बन गया है।
2. यहां कोई भी आपका सपना पूरा करने के लिए नहीं है। हर कोई अपनी तकदीर और अपनी हकीकत बनाने में लगा है।
3. जीवन ही है प्रभु और ना खोजना कहीं।...ईश्वर को खोजने से ज्यादा अच्छा है अपने जीवन को सुंदर बनाना।
4. ना भोग, ना दमन वरना जागरण। अर्थात ना तो ज्यादा भोग में लिप्त रहना है और ना उसका दमन करना है जो भी करना है वह जागृत रहकर करोगे तो व्यर्थ स्वत: ही छूट जाएगा। कोई चुनाव मत करिए, जीवन को ऐसे अपनाइए जैसे वो अपनी समग्रता में है।
5. स्त्री को अपनी मुक्ति के लिए अपने व्यक्तित्व को खड़ा करने की दिशा में सोचना चाहिए। प्रयोग करने चाहिए। लेकिन ज्यादा से ज्यादा वह क्लब बना लेती है, जहां ताश खेल लेती है, कपड़ों की बात कर लेती है, फिल्मों की बात कर लेती है, चाय-कॉफी पी लेती है, पिकनिक कर लेती है और समझती है कि बहुत है, शिक्षित होना पूरा हो गया। ताश खेल लेती होगी। पुरुषों की नकल में दो पैसे जुए के दांव पर लगा लेती होगी बाकी इससे उसको कुछ व्यक्तित्व नहीं मिलने वाला है। मैं कहता हूं अगर स्त्रियां ठान लें तो किसी भी देश में युद्ध की नौबत ही न आए। स्त्री को भी सृजन के मार्गों पर जाना पड़ेगा। उसे भी निर्माण की दिशाएं खोजनी पड़ेंगी।
6. आत्महत्या करना अस्तित्व का अनादर है। अस्तित्व ने तुम्हें विकसित होने के लिए जीवन का अवसर दिया और तुम इस अवसर को यूं ही व्यर्थ गंवा देते हो। और जब तक कि तुम विकसित नहीं होते और विकसित होकर बुद्ध नहीं बन जाते, तब तक तुम जीवन में बार-बार फेंके जाओगे। लाखों बार पहले भी यह हो चुका है। अब समय है, अब जागो! इस अवसर को चूको मत।
7. ओशो कहते हैं कि 'सदियों से आदमी को विश्वास, सिद्धांत, मत बेचे गए हैं, जो कि एकदम मिथ्या हैं, झूठे हैं, जो केवल तुम्हारी महत्वाकांक्षाओं, तुम्हारे आलस्य का प्रमाण हैं। तुम करना कुछ चाहते नहीं, और पहुंचना स्वर्ग चाहते हो।'
8. ओशो कहते हैं कि धर्म या विज्ञान के रेडीमेड सत्यों से काम नहीं चलेगा। मैं संशय (दुविधा) की बात नहीं कर रहा हूं। मैं संदेह की बात कर रहा हूं। संदेह करोगे तभी सत्य तक पहुंच सकते हो। श्रद्धा और विश्वास बांधते हैं, संदेह मुक्त करता है।
9. किसी से किसी भी तरह की प्रतिस्पर्धा की आवश्यकता नहीं है। आप स्वयं में जैसे हैं एकदम सही हैं। खुद को स्वीकारिये। दूसरों जैसा बनने का प्रयास ना करें, खुद के जैसा बनें।
10. जीवन कोई त्रासदी नहीं है; ये एक हास्य है। जीवित रहने का मतलब है हास्य का बोध होना। अधिक से अधिक भोले, कम ज्ञानी और बच्चों की तरह बनिए। जीवन को मजे के रूप में लीजिये क्योंकि वास्तविकता में यही जीवन है।