Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

कश्मीर के लिए भयानक खबर, ग्लोबल वॉर्मिंग से कम हो रही है डल झील की उम्र, रिपोर्ट में खुलासा

हमें फॉलो करें कश्मीर के लिए भयानक खबर, ग्लोबल वॉर्मिंग से कम हो रही है डल झील की उम्र, रिपोर्ट में खुलासा

सुरेश डुग्गर

श्रीनगर , मंगलवार, 2 अक्टूबर 2018 (17:33 IST)
श्रीनगर। ग्लोबल वॉर्मिंग के कश्मीर पर असर की एक भयानक खबर यह है कि कश्मीर की खूबसूरती और पहचान डल झील की उम्र अब और कम हो गई है। ऐसे में सच में अगर आपको कश्मीर की खूबसूरती चाहिए तो आपको उस डल झील को बचाना पड़ेगा जिसके कारण ही कश्मीर की पहचान है। या फिर यह कह लिजिए कि दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि बढ़ते प्रदूषण और सरकारी उदासीनता के चलते भी विश्व प्रसिद्ध डल झील की उम्र सिर्फ साढ़े तीन सौ साल ही रह गई है। उसके बाद यह सिर्फ किस्से कहानियों में ही सिमट कर रह जाएगी।

 
 
यह भयावह खुलासा उत्तराखंड स्थित रूड़की विश्वविद्यालय के आल्ट्रनेट हाइड्रो एनर्जी केंद्र द्वारा कुछ अरसा पहले डल व नगीन झील के संरक्षण और प्रबंधन के लिए तैयार की गई विस्तृत परियोजना रिपोर्ट में हुआ है। इस रिपोर्ट के अनुसार झील में हर साल 61 हजार टन गाद गिर रही है, जो इसके तल पर हर साल 2.7 मिलीमीटर मोटी परत के तौर पर जम रही है।
 
 
अगर इसी रफ्तार के साथ गाद जमा होती रही तो अगले 355 वर्षों में झील में पानी कहीं नजर नहीं आएगा और यह एक मैदान होगी। रिपोर्ट में बताया गया है कि झील में यह गाद साथ सटे छ: जलग्रहण क्षेत्रों से आ रही है। झील के संरक्षण की कवायद में जुटे लोगों के मुताबिक यह डीपीआर बनाने का काम करीब नौ साल पहले केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के हस्तक्षेप के बाद शुरू हुआ था, लेकिन आज तक राज्य सरकार ने इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है।
 
 
उत्तराखंड स्थित रूड़की विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने झील के संरक्षण के लिए अपनी डीपीआर तैयार करते हुए रेडियोमिटरिक डेटिंग तकनीक का सहारा लिया था। उन्होंने बताया कि झील के संरक्षण के लिए व्यावहारिक तौर पर ठोस पग उठाने होंगे अन्यथा इसकी उम्र सिर्फ 355 साल ही रह जाएगी। इस रिपोर्ट के मुताबिक डल झील के संरक्षण के लिए किए जा रहे विभिन्न दावों के बीच कश्मीर की शान यह झील लगातार प्रदूषण की मार से सिकुड़ती जा रही है।
 
 
विश्वविद्यालय द्वारा तैयार इस रिपोर्ट में झील के संरक्षण पर जोर देते हुए कहा गया है कि झील के जलग्रहण क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण के अलावा जलनिकासी की उचित व्यवस्था करना बहुत जरूरी है। इसके अलावा झील में गिर रही गंदगी को रोकते हुए भीतर बसे लोगों को भी वहां से हटाया जाना चाहिए। डीपीआर में डल झील के जलग्रहण क्षेत्र को 33 हजार हेक्टेयर बताया गया है जो पहाड़ के साथ सटा झील का हिस्सा, दूसरा झील का मुख्य क्षेत्र, शहरी क्षेत्र, छत्रहामा, दारा और डाचीगाम तक है।
 
 
डल और नगीन झील को बचाने के उपाय के लिए तैयार की गई इस डीपीआर के मुताबिक झील के जलग्रहण क्षेत्रों में इंसान के बढ़ते हस्तक्षेप और वहां अनियोजित तरीके से हुए निर्माण कार्यों के चलते वहां से मृदा के लगातार क्षरण के कारण गाद का जमाव झील में तेजी से बढ़ रहा है। इसके साथ ही झील में रहने वाले लोगों के अलावा और साथ सटी आवासीय बस्तियों से आने वाली गंदगी भी इसके अस्तित्व को मिटाने में धीरे-धीरे अपना योगदान दे रही है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

कश्मीर के स्थानीय निकाय चुनावों पर आतंकी ध‍मकियों का असर, 177 वार्डों में किसी उम्मीदवार ने नहीं भरा पर्चा