उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति रहे हामिद अंसारी ने अपनी नई किताब 'बाइ मेनी अ हैपी ऐक्सिटेंडः रीकलेक्शन ऑफ ए लाइफ' में कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। उनके यह खुलासे मीडिया जगत में सुर्खियों में बने हुए हैं।
हामिद अंसारी ने बताया कि राज्यसभा के सभापति के रूप में उन्होंने तय किया था कि कोई भी विधेयक हंगामे के बीच पारित नहीं होने देंगे। उन्होंने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक दिन उनके दफ्तर आ गए थे। उन्होंने बताया कि मोदी ने पूछा था कि शोरगुल के बीच विधेयक क्यों नहीं पास कराए जा रहे हैं।
हामिद अंसारी ने किताब में हंगामे के बीच विधेयक न पारित होने देने के अपने फैसले के बारे में बताते हुए लिखा कि 'दोनों यूपीए और एनडीए इससे नाखुश थे लेकिन बीजेपी गठबंधन को लगा कि लोकसभा में बहुमत ने उसे राज्यसभा में प्रक्रियागत बाधाओं पर हावी होने का नैतिक अधिकार दे दिया है। मुझे इस बारे में आधिकारिक तौर पर उस वक्त मालूम चला तब पीएम मोदी बिना कार्यक्रम के मेरे कार्यालय में दाखिल हुए।'
हामिद अंसारी ने लिखा, 'मैं हैरान था लेकिन मैंने उनका स्वागत किया। उन्होंने (पीएम मोदी) कहा कि आपसे उच्च जिम्मेदारियों की अपेक्षा है लेकिन आप मेरी मदद नहीं कर रहे हैं। मैंने कहा कि राज्यसभा में और उसके बाहर मेरा काम सार्वजनिक है। उन्होंने पूछा कि शोरगुल में विधेयक क्यों नहीं पास कराए जा रहे हैं? मैंने कहा कि सदन के नेता और उनके सहयोगी जब विपक्ष में थे तो उन्होंने इस नियम की सराहना की थी कि कोई भी विधेयक हंगामे में पारित नहीं कराया जाएगा और मंजूरी के लिए सामान्य कार्यवाही चलेगी।'
अंसारी ने किताब में मोदी सरकार और प्रधानमंत्री के साथ असहज संबंधों के बारे में बताया। 2007 में मोदी के साथ एक मुलाकात का जिक्र करते हुए अंसारी ने लिखा, 'जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, एक सामान्य राजनीतिक कार्यक्रम में उनसे मुलाकात हुई। मैंने उनसे गोधरा के बाद हुई हिंसा के बारे में पूछा कि ऐसा क्यों होने दिया गया? उन्होंने (पीएम मोदी) कहा कि लोग उनके केवल एक पहलू को देखते हैं, कोई भी मुस्लिमों के लिए किए गए अच्छे कामों की तरफ ध्यान नहीं देता। खासकर मुस्लिम लड़कियों की शिक्षा के लिए उन्होंने बहुत काम किए हैं। मैंने कहा कि इसका ब्योरा दें तो प्रचार किया जाए। इस पर वह बोले- यह मेरी राजनीति को सूट नहीं करता।'