Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

कितने भारतीय स्‍टूडेंट पढ़ाई के लिए जाते हैं कनाडा, विवाद बढ़ा तो क्‍या होगा, स्‍टूडेंट पर होगा क्‍या असर?

हमें फॉलो करें modi and trudo
, गुरुवार, 21 सितम्बर 2023 (15:30 IST)
India Canada standoff : भारत और कनाडा के बीच बढ़ते तनाव के बीच भारत सरकार ने कनाडा के नागरिकों के लिए वीजा सेवा निलंबित कर दी। सरकार ने आदेश जारी कर आगामी आदेश तक वीजा सेवाएं निलंबित करने का फैसला किया है। इस फैसले से कनाडा के नागरिकों की भारत में एंट्री पर रोक लग गई। कनाडा में वीजा केंद्रों का संचालन करने वाली BLS इंटरनेशनल ने अपनी वेबसाइट पर यह जानकारी दी। वेबसाइट पर कहा गया है कि ऑपरेशनल कारणों से भारत की वीजा सेवाएं 21 सितंबर से अगली सूचना तक बंद रहेगी। हालांकि सरकार ने इस संबंध में कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है।

ऐसे में यह जानना चाहिए कि भारत और खासतौर से पंजाब से कितने भारतीय स्‍टूडेंट पढने के लिए कनाडा जाते हैं। इस समझौते से कनाडा को कितना फायदा होता है और विवाद बढा तो क्‍या होगा।

कनाडा में भारतीय छात्रों की संख्या लगातार बढ़ ही है। इस साल फरवरी में विदेश मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक 2019 में 2,20,000 भारतीय छात्रों ने कनाडा के कॉलेजों में पढ़ाई के लिए परमिट लिया था।
कनाडा में विदेशी छात्रों की आबादी में भारतीय छात्रों की तादाद 34 प्रतिशत तक है। साल 2022 में 2,26,450 भारतीय छात्र कनाडा गए थे। वर्ष 2013 के बाद से कनाडा में प्रवास करने वाले भारतीयों की संख्या तीन गुना से अधिक हो गई है।

कनाडा में इतने बढ़े स्‍थाई निवासी : इमिग्रेशन, रिफ्यूजी ऐंड सिटिजनशिप कनाडा (आईआरसीसी) के आंकड़ों के अनुसार कनाडा में स्थायी निवासी बनने वाले भारतीयों की संख्या 2013 के 32,828 से बढ़कर करीब 260 फीसदी बढ़कर 2022 में 1,18,095 हो गई।

पंजाब के कितने स्‍टूडेंट कर रहे कनाडा में पढ़ाई : कनाडा में इस समय पंजाब के तकरीबन एक लाख 60 हजार स्टूडेंट्स पढ़ाई कर रहे हैं। ये सब स्टडी वीजा पर वहां गए हैं। अकेले पंजाब से हर साल औसतन 50 हजार युवा पढ़ने के लिए विदेश जाते हैं। ये नौजवान कनाडा और दूसरे मुल्कों में पढ़ाई के साथ-साथ अपना खर्चा निकालने के लिए वहां छोटा-मोटा काम भी कर लेते हैं।

भारतीय स्‍टूडेंट से कनाडा को कितना फायदा : प्रति स्टूडेंट 25 लाख रुपए भी फीस मानी जाए तो हर साल अकेले पंजाब से करीब 12,500 करोड़ रुपए विदेश जाते हैं। यह रकम वीजा फीस, कॉलेज फीस और विदेश में रहने के बदले में चुकाए जाने वाले टैक्स के रूप में भरी जाती है। इसमें सबसे बड़ा हिस्सा कनाडा को ही मिलता है। कहा जा सकता है कि भारतीय स्‍टूडेंट से कनाडा को बहुत ज्‍यादा फायदा होता है। हालांकि अगर दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ता है तो कनाडाई सरकार भारतीय स्टूडेंट्स के लिए अपने नियम सख्त बना सकती है।

स्‍टूडेंट पर विवाद का असर : कनाडा में इस समय पंजाब के तकरीबन 1 लाख 60 हजार स्टूडेंट्स पढ़ाई कर रहे हैं। ये सब स्टडी वीजा पर वहां गए हैं। अकेले पंजाब से हर साल औसतन 50 हजार छात्र पढ़ने के लिए विदेश जाते हैं। ये नौजवान कनाडा और दूसरे मुल्कों में पढ़ाई के साथ-साथ काम भी करते हैं। अगर स्टूडेंट की फीस को कम से कम 25 लाख रुपए भी माना जाए तो हर साल सिर्फ पंजाब से ही करीब 12,500 करोड़ रुपए विदेश जाते हैं। यह रकम वीजा फीस, कॉलेज फीस और विदेश में रहने के बदले में चुकाए जाने वाले टैक्स के रूप में भरी जाती है। इसका फायदा कनाडा को ही मिलता है। यह तो सिर्फ पंजाब के स्‍टूडेंट की बात हुई, ठीक इसी तरह भारत के दूसरे राज्‍यों से भी स्‍टूडेंट कनाडा जाते हैं। विवाद गहराता है तो इन स्‍टूडेंट का फ्यूचर क्‍या होगा, पढाई का क्‍या होगा यह सवाल उठ रहे हैं।

कैसे भारत- कनाडा में शुरू हुआ विवाद : भारत और कनाडा के बीच ताजा विवाद की शुरुआत 9 और 10 सितंबर को नई दिल्ली में हुए G20 शिखर सम्मेलन के दौरान हुई। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने G20 समिट में भाग लेने पहुंचे कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो के सामने उनके देश में बढ़ रही खालिस्तानी गतिविधियों का मामला उठाया। मोदी ने कनाडाई सरकार से उसकी धरती पर चल रही अलगाववादी गतिविधियां रोकने के लिए जरूरी कदम उठाने को कहा। इस पर कनाडा के PM जस्टिन ट्रूडो ने मोदी से दो-टूक कह दिया कि भारत सरकार कनाडा के घरेलू मामलों और राजनीति में दखल ना दे। यही नहीं, ट्रूडो ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर को अपने देश का नागरिक बताते हुए मोदी के सामने उसकी हत्या का मामला भी उठाया। हालांकि भारत सरकार ने तब ट्रूडो की बात को खास अहमियत नहीं दी।

संसद में दिया बयान : G20 शिखर सम्मेलन के बाद कनाडा पहुंचते ही जस्टिन ट्रूडो ने वहां की संसद में बयान दिया कि हरदीप सिंह निज्जर कनाडा का नागरिक था और उसकी हत्या भारत सरकार ने करवाई है। इसके साथ ही कनाडाई सरकार ने एक भारतीय डिप्लोमैट को भी अपने देश से निकाल दिया। भारत सरकार ने कनाडा के इस कदम का कड़ा संज्ञान लेते हुए न केवल ट्रूडो के सारे आरोपों को खारिज किया बल्कि नई दिल्ली में मौजूद कनाडा के एक डिप्लोमैट को भी पांच दिन में देश छोड़ने के लिए कह दिया।
Edited by navin rangiyal


Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

चंद्रयान की सफलता पर चर्चा, थरूर को क्यों याद आए नेहरू?