लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को उनकी कर्मभूमि गोरखपुर में पहली बार मिली कड़ी शिकस्त की वजह से भाजपा का मजबूत किला बुधवार को ध्वस्त हो गया। पांच बार लगातार इसी सीट से सांसद रहे योगी के मुख्यमंत्रित्वकाल के एक वर्ष के अंदर ही उन्हें इतनी बड़ी 'राजनीतिक हार' मिली।
योगी आदित्यनाथ के इस्तीफे से खाली हुई गोरखपुर लोकसभा सीट के उपचुनाव के नतीजे ने भाजपा को हिलाकर रख दिया। भाजपा उम्मीदवार उपेन्द्र शुक्ल को समाजवादी पार्टी (सपा) उम्मीदवार प्रवीण निषाद ने कड़ी पटखनी दी। निषाद ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी शुक्ल को करीब 22 हजार मतों से हराया।
सपा उम्मीदवार को बहुजन समाज पार्टी (बसपा), पीस पार्टी और निषाद पार्टी का समर्थन हासिल था। श्री योगी के समर्थक राजेन्द्र सिंह कहते हैं कि गोरक्षपीठ से उम्मीदवार नहीं होने का खामियाजा भाजपा को भुगतना पड़ा। इस सीट पर दस बार गोरक्षपीठाधीश्वर चुनाव जीत चुके हैं।
वर्ष 1967 में तत्कालीन गोरक्षपीठाधीश्वर मंहत दिग्विजयनाथ ने जीत हासिल की थी। उनके निधन से 1971 में यहां उपचुनाव हुआ और मंहत अवैद्यनाथ विजयी रहे। वर्ष 1989 में वह हिन्दू महासभा के टिकट पर संसद पहुंचे, लेकिन 1991 में उन्होंने भाजपा के टिकट पर चुनाव जीता। वर्ष 1996 में भी महंत अवैद्यनाथ सांसद बने।