Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

Matangi Jayanti 2024 : देवी मातंगी जयंती पर जानिए 10 खास बातें और कथा

हमें फॉलो करें devi matangi ki katha

WD Feature Desk

, शुक्रवार, 10 मई 2024 (14:49 IST)
Devi matangi ki katha: दस महाविद्याओं में से एक देवी मातङ्गी या मातंगी की तुलना देवी सरस्वती से की जाती है। वैशाख माह की तृतीया यानी अक्षय तृतीया पर इनकी जयंती मनाई जाती है। पुराणों में इनके संबंध में भिन्न भिन्न कहानियां मिलती है। दरअसल ये सभी देवियों की कहानी पुराणों में अलग-अलग मिलती है। इनमें से कुछ तो पार्वती का रूप या अवतार नहीं भी है। आओ जानते हैं देवी मातंगी के बारे में संक्षिप्त जानकारी।
 
दस महाविद्या : 1.काली, 2.तारा, 3.त्रिपुरसुंदरी, 4.भुवनेश्वरी, 5.छिन्नमस्ता, 6.त्रिपुरभैरवी, 7.धूमावती, 8.बगलामुखी, 9.मातंगी और 10.कमला। प्रवृति के अनुसार दस महाविद्या के तीन समूह हैं। पहला:- सौम्य कोटि (त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, मातंगी, कमला), दूसरा:- उग्र कोटि (काली, छिन्नमस्ता, धूमावती, बगलामुखी), तीसरा:- सौम्य-उग्र कोटि (तारा और त्रिपुर भैरवी)। 
 
मातंगी की पौराणिक कथा: एक समय, भगवान विष्णु एवं देवी लक्ष्मी दोनों साथ में शिव जी एवं देवी पार्वती से भेंट करने के लिए कैलाश पर्वत पर पधारे। भगवान शिव एवं देवी पार्वती ने दोनों का भव्य स्वागत किया और उनके लिये भोजन की व्यवस्था की। 
अन्न ग्रहण करते समय अन्न के कुछ अंश भूमि पर गिर गए। भूमि पर गिरे अन्न से एक सुन्दर कन्या उत्पन्न हुयी तथा उसने उच्छिष्ट भोजन का आग्रह किया। चारों देवताओं ने उन्हें प्रसाद के रूप में उच्छिष्ट भोजन प्रदान किया था। इस तरह यही देवी बाद में मातंगी कहलाई।
 
1. दस महाविद्याओं में से नौवीं महाविद्या देवी मातंगी ही है। मातंगी देवी को प्रकृति की स्वामिनी देवी बताया गया है। माता मातंगी के कुछ प्रसिद्ध नाम हैं- सुमुखी, लघुश्यामा या श्यामला, राज-मातंगी, कर्ण-मातंगी, चंड-मातंगी, वश्य-मातंगी, मातंगेश्वरी आदि। गुप्त नवरात्रि में नवमी तिथि को देवी मातंगी की पूजा और साधना होती है।
 
2. मतंग शिव का नाम है। इनकी शक्ति मातंगी है। देवी मातंगी गहरे नीले रंग की हैं। देवी मातंगी मस्तक पर अर्ध चन्द्र धारण करती हैं और मां के 3 ओजपूर्ण नेत्र हैं। माता रत्नों से जड़े सिंहासन पर आसीन हैं। देवी मातंगी के एक हाथ में गुंजा के बीजों की माला है तो दाएं हाथों में वीणा तथा कपाल है तथा बाएं हाथों में खड़ग है। देवी मातंगी अभय मुद्रा में हैं। देवी मातंगी के संग तोता भी है जो वाणी और वाचन का प्रतीक माना जाता है। चार भुजाओं में इन्होंने कपाल (जिसके ऊपर तोता बैठा), वीणा,खड्ग वेद धारण किया है। मां मातंगी तांत्रिकों की सरस्वती हैं।
 
3. मान्यता अनुसार कहते हैं कि चांडाल महिलाओं ने देवी पार्वती की पूजा आराधना करने उन्हें अपना ही जूठन (खाया हुआ भोग) लगा दिया तो देवगण और शिवगण नाराज हो गए परंतु देवी पार्वती ने उन चांडलियों की भक्त को देखते हुए माता ने मातंगी रूप धारण करके उनके भोग को स्वीकार करके ग्रहण कर लिया। तभी से माता मातंगी कहलाई जाने लगी।
 
4. मातंगी देवी इंद्रजाल और जादू के प्रभाव को नष्ट करती हैं। देवी को वचन, तंत्र और कला की देवी भी माना गया है। मां को जूठन का भोग अर्पित किया जाता है।
5. शिव की यह शक्ति असुरों को मोहित करने वाली और साधकों को अभिष्ट फल देने वाली है। गृहस्थ जीवन को श्रेष्ठ बनाने के लिए लोग इनकी पूजा करते हैं। अक्षय तृतीया अर्थात वैशाख शुक्ल की तृतीया को इनकी जयंती आती है।
 
6. पलास और मल्लिका पुष्पों से युक्त बेलपत्रों की पूजा करने से व्यक्ति के अंदर आकर्षण और स्तम्भन शक्ति का विकास होता है। ऐसा व्यक्ति जो मातंगी महाविद्या की सिद्धि प्राप्त करेगा, वह अपने क्रीड़ा कौशल से या कला संगीत से दुनिया को अपने वश में कर लेता है। वशीकरण में भी यह महाविद्या कारगर होती है।
 
7. मातंगी माता का मंत्र: स्फटिक की माला से बारह माला 'ऊँ ह्नीं ऐ भगवती मतंगेश्वरी श्रीं स्वाहा:' मंत्र का जाप कर सकते हैं। जाप के नियम किसी जानकार से पूछें। 
 
8. कहते हैं कि देवी मातंगी हनुमाजी और शबरी के गुरु मतंग ऋषि की पुत्री थीं। मतंग ऋषि के यहां माता दुर्गा के आशीर्वाद से जिस कन्या का जन्म हुआ था वह मातंगी देवी थी।
 
9. यह देवी भारत के आदिवासियों की देवी है। दस महाविद्याओं में से एक तारा और मातंग देवी की आराधना बौद्ध धर्म में भी की जाती हैं। बौद्ध धर्म में मातंगी को मातागिरी कहते हैं।
 
10. भारत के गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल आदि राज्यों में मातंग समाज के लोग आज भी विद्यमान है। मान्यता अनुसार मातंग समाज, मेघवाल समाज और किरात समाज के लोगों के पूर्वज मातंग ऋषि ही थे। उल्लेखनीय है कि कर्नाटक में पंपा सरोवर के पास मतंग ऋषि का आश्रम है जहां हनुमानजी का जन्म हुआ था।

- अनिरुद्ध जोशी


Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

कबूतर से हैं परेशान तो बालकनी में लगाएं ये 4 पौधे, कोई नहीं फटकेगा घर के आसपास