भारत में हिंदू धर्म की पवित्र नदियों में से एक कावेरी नदी के बारे में 10 रोचक बातें जानिए।

कावेरी नदी का उद्गम कर्नाटक के पश्चिमी घाट में तलकावेरी के छोटे से कुंडीके तालाब से हुआ है।

कर्नाटक और तमिलनाडु में करीब 802 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद यह नदी कावेरीपट्टनम के के पास बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है।

दक्षिण की गंगा कहलाने वाली कावेरी का वर्णन कई पुराणों में बार बार आता है। दक्षिण की इस नदी का विस्तृत विवरण विष्णु पुराण में दिया गया है।

कावेरी नदी में मिलने के वाली मुख्य नदियों में हरंगी, हेमवती, नोयिल, अमरावती, सिमसा, लक्ष्मण तीर्थ, भवानी, काबिनी मुख्य हैं।

कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच इसके जल बंटवारे को लेकर विवाद है।

कावेरी का बेसिन कर्नाटक में 34,273 वर्ग किमी, तमिलनाडु में 43,856 वर्ग किमी और केरल में 2,866 वर्ग किमी और पुडुचेरी में 160 वर्ग किमी में फैला हुआ है।

अगस्त्य ऋषि ने उक्त क्षेत्र को सूखे के बचाने के लिए कैलाश से पानी लिया और चल पड़े, रास्ते में उन्होंने उस लोटे को एक बालक को सौंप दिया, जो गणेशजी थे। गणेशजी ने उस जल को वहीं गिरा दिया जिसके चलते कावेरी का जन्म हुआ।

गंगाजी ज्ञान की, यमुनाजी भक्ति की, ब्रह्मपुत्रा तेज की, गोदावरी ऐश्वर्य की नदी है उसी प्रकार कावेरी हमारे कर्मों को शुद्ध कर कष्टों को धो देती है।

कावेरी नदी तट पर आदिरंगम, शिवसमुद्रम, श्रीरंगम, चिदंबरम, जंबूकेश्वरम, तंजौर, कुंभकोणम तथा तिरुचिरापल्ली है।

कावेरी पर प्रसिद्ध कृष्ण राज सागर नामक बांध तथा जलाशय का निर्माण हुआ है। सीता पर्वत व पालमल्लै के बीच मेट्टूर नामक गांव के निकट मेट्टूर बांध बना है। अन्य बांधों में काबिनी, हारंगी और हेमवती आदि शामिल हैं।

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