ऐसे करें नववर्ष का स्वागत...
खट्टी-मीठी यादों से भरा नया साल
तारीखों के बदलने के साथ फिर नया साल आ गया। समय के पहिए के साथ दिन, महीने और साल गुजरते जाते हैं और जीवन का कारवां चलता रहता है। वक्त ही तो है जो पुराने को ले जाता है और नए को लाता है। ऐसे ही वर्ष 2013 भी खट्टी-मीठी यादों के साथ बीत गया और वर्ष 2014 ने दस्तक दे दी।
तो आइए... सूरज की पहली किरणों, पक्षियों के चहचहाने और प्रकृति के सौंदर्य और उसकी अनूठी छटा में घुलते-मिलते हुए स्वागत करें नववर्ष का...।
प्रार्थना करें कि यह नववर्ष सबके जीवन में उल्लास व खुशियां लाए। जीवन में जो अधूरा है उसे पूरा करें। नवसृजन का संकल्प लें। आप स्वयं महसूस करने लगेंगे कि यह नवसृजन एक नवीन इबारत भी लिख देगी। इस नए वर्ष में हर व्यक्ति को उत्साह एवं उल्लास के साथ नवीन शुभ संकल्प लेना चाहिए तथा अपने मन के नकारात्मक विचारों को त्याग कर सत्कर्म के मार्ग पर चलने का दृढ़ निश्चय करना चाहिए।
अपने को पहचान दीजिए :-
'खुदी को कर बुलंद इतना, कि हर तकदीर से पहले खुदा बंदे से पूछे बता तेरी रजा क्या है'
भगवान की नियामत के रूप में यदि यह जीवन मिला है, तो इसे पहचान देने की कोशिश कीजिए। कुछ ऐसा करिए जो आने वाली पीढ़ियों के लिए सकारात्मक और यादगार बन जाए।
अपने लक्ष्य पर नजर रखें :-
जीवन में कुछ भी असंभव नहीं है। अर्जुन की तरह लक्ष्य क्षमता होना चाहिए। हमारे संकल्प की दृढ़ता हर मुश्किल को आसान कर देती है। लक्ष्य तक पहुंचने के लिए सब दरवाजे खुल जाते हैं।
खुशियां देने का नियम बनाइए :-
जिंदगी बहुत खूबसूरत है, मगर इसे दूसरों की जिंदगी में भी मिठास घोलते हुए बिताया जाए तो इसके मायने ही बदल जाते हैं। खुशियां देने से बढ़ती हैं, इसलिए देने का नियम बनाइए।
व्यावहारिकता अपनाएं :-
जीवन में व्यावहारिकता बहुत जरूरी है। यदि आप व्यावहारिक होंगे तो आपके बच्चे भी आपसे यही सीखेंगे।
सपने देखिए :-
सपने देखिए, सपने देखेंगे तभी उन्हें पूरा करने का माद्दा आपमें जागृत होगा और इनके जरिए आप अपनी मंजिल पर आसानी से पहुंच सकेंगे।
हौसले बुलंद रखें :-
किसी क्षेत्र में विजय पाने के लिए मजबूत हौसलों की जरूरत है। यह हौसले आपको अपने अंदर पैदा करने होंगे तभी तो आप दूसरों की हौसला अफजाई भी कर सकेंगे और जिंदगी के कड़े मुकामों को आसानी से पार कर सकेंगे।
अपना नजरिया बदलें :-
'नजरें तेरी बदली तो नजारे बदल गए, कश्ती ने रुख मोड़ा तो किनारे बदल गए'
हर बात में एक ही राय कायम न करें। परिस्थितियों को देखते हुए अपने नजरिए में परिवर्तन करना वर्तमान की एक आवश्यकता है। हमेशा किसी चीज में बुराई ढूंढ़ने के बजाए मौजूद गुणों को देखिए। जाने-अनजाने आपके खाते में कुछ अच्छा ही जुड़ेगा, इस बात का ध्यान रखिए।
वर्तमान में जिएं :-
अतीत से चलते हुए वर्तमान में जब आपने कदम रख दिए हैं तो वर्तमान में उसमें सुधार के बारे में चिंता कीजिए, भविष्य खुद-ब-खुद ही संवर उठेगा।
हमेशा सहज बने रहें :-
सहज जीवन ही स्वस्थ एवं सुंदर जीवन की नींव होता है। जीवन में जितना सहज होंगे संतोष और संतुष्टि आपके पास अन्य लोगों से ज्यादा होगी।
चुनौतियों को स्वीकार करें :-
'मुश्किलें दिल के इरादें आजमाती हैं, स्वप्न के परदे निगाहों से हटाती हैं,
हौसला मत हारकर गिरकर ओ मुसाफिर, ठोकरें इंसान को चलना सिखाती हैं।'
जीवन में कोई भी कार्य करते हुए अगर हमारा लक्ष्य सकारात्मक और निःस्वार्थ है तो आगे बढ़ने के लिए मार्ग यूं ही आसान हो जाता है। कड़ी चुनौतियां भी फिर कुछ भी बिगाड़ नहीं सकतीं।
छोटी-छोटी खुशियों को सहेजें :-
कई बार हम बड़ी खुशियों की चाह में जीवन में आने वाली छोटी-छोटी खुशियों को नजरअंदाज कर देते हैं। मगर कभी इन छोटी-छोटी खुशियों को सहेजकर देखिए आप पाएंगे कि बड़ी खुशियां स्वतः ही आपके पास चली आएंगी।
परिवार से जुड़ें रहें :-
'रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ों चटकाए, टूटे से फिर न जुड़े, जुड़े गांठ पड़ जाए'
आज की भागमभाग भरी जिंदगी में लोग लगातार परिवार से दूर होते जा रहे हैं। अगर समय मिलता भी है तो वह गिले-शिकवे में ही निकाल देते हैं। मगर यह नहीं जानते कि रिश्ते प्रेम की डोर होते हैं जिनमें गांठ पड़ने पर खुलना मुश्किल हो जाता है।
संभालकर बोलिए :-
'शब्द संभालकर बोलिए, शब्द के हाथ न पांव रे, एक शब्द औषधि करे, एक करे है घाव रे'
शब्दों के बिना अभिव्यक्ति नहीं की जा सकती। मगर इन शब्दों को कहने का तरीका भी समझना होगा, हर एक से मीठा बोलें क्योंकि गलत बोलने में तो समय नहीं लगता पर यह किसी को कितनी तकलीफ दे सकते हैं, उस पर विचार जरूरी है।
(समाप्त)