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घर में विराजित करें गणपति प्रतिमा

मनोकामना पूर्ण करते हैं गणपति

हमें फॉलो करें घर में विराजित करें गणपति प्रतिमा
Praveen BarnaleND
जब भी हम कोई शुभ कार्य आरंभ करते हैं, तो कहा जाता है कि कार्य का श्री गणेश हो या। इसी सभगवान श्री गणेश की महत्ता कअंदाजा लगाया जा सकता है। जीवके हर क्षेत्र में गणपति विराजमान हैंपूजा-पाठ, विधि-विधान, मांगलिक- वैदिक कार्यों को प्रारंभ करते समय सर्वप्रथम गणपति का सुमरकरते हैं। हिन्दू धर्म में भगवान श्री गणेश का अद्वितीय महत्व है।

गणपति सब देवताओं में अग्रणी हैं। भगवान श्रगणेश के अलग-अलग नाम अलग-अलग स्वरूप हैं, लेकिन वास्तके हिसाब से गणपति के महत्व करेखांकित करना आवश्यक है -

संतान गणपतिः
भगवान गणपति के 1008 नामों में से संतान गणपति कप्रतिमा उस घर में स्थापित करनी चाहिए, जिनके घर में संतान नहीं हो रही हो। वलोग संतान गणपति की विशिष्ट मंत्पूरित प्रतिमा, यथा संतान गणपतये नमः, गर्भ दोष घने नमः , पुत्रा पौत्रायाम नमआदि मंत्र युक्तद्ध द्वार पर लगाएँ, जिसकप्रतिफल सकारात्मक होता है।

पति-पत्नप्रतिमा के आगे संतान गणपति स्रोत कपाठ नियमित रूप से करें, तो शीघ्र हउनके घर में संतान प्राप्ति होगी। साथ हपरिवार अन्य व्यवधानों से मुक्ति पाएगा। मात्र इतना कर देने से अन्य दूसरे धार्मिअनुष्ठान पर किए जाने वाले खर्च समुक्ति पा लेंगे

विद्याप्रदायक गणपतिः
ऐसे घरों में, जहाँ बच्चे पढ़ते नहीं है अथवा वे उद्दण्होते हैं, पढ़ाई से कोसो दूर भागते हैं, बड़ोकी इज्जत नहीं करते, गुरूजनों का आदनहीं करते, ऐसे बच्चों में पढ़ाई के प्रति दिलचस्पी पैदा करने के लिए गृह स्वामको विद्या प्रदायक गणपति अपने घर कप्रवेश द्वार पर स्थापित करना चाहिए।

प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा के साथ ज्ञारूपाय नमः, विद्या नितार्य नमः, विद्यधनाय नमः तथा ज्ञानमुद्रावते नमः जैसे मंत्रोका सम्पुट बच्चों में कौतूहल पैदा करता है

विवाह विनायक गणपति:
जिन घरों में बच्चों के रिश्ते जल्द तय नहीं होते अथववे बच्चे शादी से वंचित रहते हैं, ज्यादउम्र होने पर भी शादी में रूकावट पैदहोती है, कभी मनोवांछित वर नहीं मिलता, आदि समस्याओं का निवारण विवाविनायक गणपति की मंत्रा युक्त प्रतिमद्वारा संभव है

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