क्या है ज्वालामुखी

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अभी पिछले दिनो ं एक ज्वालामुखी फटा। यह दक्षिण अमेरिकी देश इक्वाडोर का 'तुंगुरा हुआ' था। बाढ़ आना हमारे देश में सामान्य बात है। साल दो साल में भूकम्प भी आ जाते हैं। ज्वालामुखी से हम बचे हुए हैं। ज्वालामुखी भी अजीब होते हैं। किसी देश में तो ये बिलकुल नहीं होते। कहीं जरा से द्वीप पर कुंडली मारे बैठे रहते हैं। कई देशों में तो दर्जन से ऊपर भी हो सकते हैं। जापान, दक्षिण अमेरिका, मेक्सिको, अलास्का में समुद्र किनारे एक कतार में हैं।

दुनिया के इतिहास में पिछले दस हजार वर्षों में 627 जागृत ज्वालामुखी होना दर्ज है। बीसवीं शताब्दी में 74000 छोटे-बड़े ज्वालामुखी फटने की जानकारी है। जापान के माउंट फूजी, इटली के विसूवियस, सिसली के इटना और अमेरिका के सेंट हेलेना के नाम हम-आप भूगोल की पुस्तकों में पढ़ते रहे हैं।

ज्वालामुखी का फटना उस इलाके में बड़ा संकट खड़ा कर देता है। इनसे निकलने वाले लावा और राख वहां के जंगल-खेती और वातावरण को बर्बाद कर देते हैं। लेकिन उनसे निपटना तो पड़ता ही है।

जापान ने इसका अच्छा तरीका खोज निकाला था। जापान के हर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से विदेश जाने वाले यात्रियों को ज्वालामुखी की राख की एक थैली भेंट कर दी जाती थी। जापान की याद भी बनी रहे और राख की सफाई भी हो जाए।

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