श्रीलंका क्रिकेट (एसएलसी) ने ट्रेवर बेलिस को भले ही जल्दीबाजी में अपनी राष्ट्रीय टीम का कोच नियुक्त किया हो मगर उसे भारत जैसी शर्मिंदगी का सामना नहीं करना पड़ेगा।
44 साल के बेलिस को एसएलसी की पाँच सदस्यीय प्रशिक्षक चयन समिति के सामने प्रेजेंटेशन के फौरन बाद गुरूवार को श्रीलंका का कोच नियुक्त कर दिया गया था।
एसएलसी के प्रमुख जयंत धर्मदासा ने कहा कि अरविन्द डिसिल्वा, सिद्धार्थ वेटीमुनी, माइकल टिसेरा, अनुरा तेनेकून और दलीप मेंडिस की समिति बेलिस के प्रदर्शन से बहुत प्रभावित हुई।
इसके बाद एसएलसी ने ऑस्ट्रेलिया के बेलिस को कोच नियुक्त करने की घोषणा तुरंत कर दी। एसएलसी के सचिव के मतिवनन ने कहा कि इस समय कई देश कोच की तलाश में निकले हुए हैं, इसलिए बेलिस की उपयोगिता साबित हो जाने के बाद उनकी नियुक्ति में देरी करना सही नहीं होता।
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने भी लगभग इसी तरह की जल्दीबाजी में दक्षिण अफ्रीका के ग्राहम फोर्ड को शनिवार को अपना कोच चुना था, लेकिन इंग्लैंड की काउंटी केंट के साथ फोर्ड का अनुबंध सितंबर 2008 तक है और उन्होंने कहा कि वह इतने कम समय की नोटिस में भारतीय कोच का पद नहीं संभाल सकते।
दरअसल केंट पहले से ही संकेत दे चुका था कि वह फोर्ड को आसानी से नहीं छोडेगा और समय से पहले अनुबंध खत्म करने पर उनसे मुआवजे की माँग कर सकता है, लेकिन मौजूदा समय में न्यू साउथ वेल्स के कोच बेलिस के सामने ऐसी कोई समस्या नहीं है।
न्यू साउथ वेल्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डेव गिलबर्ट पहले ही कह चुके हैं कि बेलिस के श्रीलंका का कोच चुने जाने पर उन्हें मुक्त कर दिया जाएगा।
बेलिस ऑस्ट्रेलिया के ही टॉम मूडी के उत्तराधिकारी होंगे जिन्होंने विश्व कप के बाद श्रीलंका के कोच का पद छोड़ दिया था। वह अपना पद अगस्त में संभालेंगे और उनका कार्यकाल दो साल का होगा।
मूडी के प्रशिक्षण में श्रीलंका विश्व कप के फाइनल तक पहुँचने में कामयाब रहा था। एसएलसी ने उनके सामने अनुबंध बढ़ाने का प्रस्ताव रखा मगर वह अपने परिवार के साथ ज्यादा समय बिताना चाहते थे और इसलिए उन्होंने यह पेशकश ठुकरा दी।