नई दिल्ली। सहमति से सेक्स की आयु 18 से घटाकर 16 साल करने को लेकर विभिन्न पार्टियों के विरोध का सामना कर रही सरकार यह उम्र 18 साल ही रखने पर सहमत हो गई है। सरकार पीछा करने और छुप-छुपकर घूरने को लेकर विधेयक में किए गए प्रावधानों को उदार बनाने के लिए भी राजी है।
भारतीय दंड संहिता के तहत सहमति से सेक्स की आयु 16 साल थी। सरकार ने इस साल तीन फरवरी को अध्यादेश जारी कर यह आयु 18 साल कर दी, लेकिन प्रस्तावित आपराधिक कानून (संशोधन) विधेयक, 2013 में सहमति से सेक्स की आयु फिर घटाकर 16 साल कर दी गई।
कई राजनीतिक दलों ने मांग की थी कि सहमति से सेक्स की आयु 18 साल रखी जानी चाहिए। इस बीच सूत्रों ने बताया कि इस मांग को स्वीकार कर लिया गया है।
भाजपा, सपा तथा कुछ अन्य दलों ने मांग की थी कि सहमति से सेक्स की आयु 18 साल ही रखी जानी चाहिए, जैसा अध्यादेश में है। उनका कहना था कि विवाह की आयु चूंकि 18 साल है इसलिए सहमति से सेक्स की आयु भी यही होनी चाहिए। कुछ दूसरे दलों का हालांकि कहना था कि शादी से पहले सेक्स एक सच्चाई है और सहमति से सेक्स की आयु 16 साल रखी जानी चाहिए।
रमनसिंह ने लिखा प्रधानमंत्री को पत्र : छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमनसिंह ने प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह को पत्र लिखकर कहा है कि सहमति से संबंध के लिए उम्र 16 वर्ष रखने का केन्द्र सरकार का निर्णय देश के सामाजिक ताने-बाने को छिन्न-भिन्न कर देगा।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री ने इस फैसले का तीव्र विरोध किया है और प्रधानमंत्री से इस पर फिर से विचार करने की मांग की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसा महसूस किया जा रहा है कि सहमति से संबंध बनाने की उम्र 16 वर्ष रखने का केन्द्र का निर्णय केवल महानगरों की परिस्थितियों पर आधारित सोच का नतीजा है। यह देश की सामाजिक व्यवस्था को छिन्न-भिन्न कर देगा।
उन्होंने कहा है कि यह बड़े दुख और चिंता का विषय है कि जो बात नई दिल्ली में 16 दिसम्बर 2012 को हुई घटना के बाद देश में बलात्कार और यौन हिंसा के विरुद्ध कड़े कानून बनाने को लेकर प्रारंभ हुई थी, वह अपनी मूल भावना से हटकर सहमति से सेक्स की उम्र कम करने के विवाद पर सीमित हो गई है।
रमनसिंह ने पत्र में सवाल उठाया है कि पश्चिमी संस्कृति में कई अनुसरण करने वाली अच्छी परम्पराओं को अपनाने के बजाय हम ऐसी परम्परा को क्यों अपना रहे हैं जो हमारे परिवार और समाज की पारस्परिक निर्भरता को ही समाप्त कर दे।
उन्होंने कहा है कि हमारे देश में प्राचीनकाल से ही परिवार नई पीढ़ी के लिए एक सामाजिक सुरक्षा तंत्र के रूप में कार्य करता है और बड़े-बूढ़ों के मार्गदर्शन में युवाओं को अपना भविष्य गढ़ने का मौका मिलता है। (भाषा)
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