ध्यान की रेचक विधि से मौन हुआ युवा मन

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यैस ओशो पत्रिका की चौथी वर्षगांठ के उपलक्ष में 1 से 7 अक्टूबर के बीच पूरे विश्व के 800 ओशो ध्यान केंद्र पर 'सक्रिय ध्यान' का आयोजन किया जा रहा है। वर्षों बाद यह पहला मौका है जबकि पूरे विश्व में इस तरह के ध्यान का एक साथ आयोजन किया जा रहा है।
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इंदौर में वेलनेस ओशो ध्यान सेंटर न्यू पलासिया बंसी ट्रेड सेंटर पर सुबह 7 से 8 तक हो रहे ध्यान प्रयोग के दूसरे दिन संचालक उदित, सचिन, निवेदन, भावना और निशा के अनुभव तले 'सक्रिय ध्यान' के दो सत्र आयोजित किए गए। इस सत्र में युवाओं ने बढ़ चढ़कर भाग लिया। पहले सत्र में सभी आयु वर्ग के 90 से अधिक मित्र शामिल हुए। दूसरे सत्र में 50 से अधिक मित्र जो सभी 18 से 25 वर्ष की आयु के थे, शामिल हुए।

दोनों सत्रों में शामिल हुए मित्रों ने ओशो सक्रिय ध्यान विधि में अराजक श्वास द्वारा अव्यवस्थित रूप से नाचकर, चीखकर अपने क्रोध व विक्षिप्तता को बिना किसी दूसरे पर निकाले ध्‍यान की रेचक पद्धति से खुले आकाश को सौंपकर मन को एक गहरे मौन व स्‍थिरता की ओर विकसित होता अनुभव किया।
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7 अक्टूबर तक निरंतर चलने वाली इस ध्यान क्रिया के तीसरे दिन डायनैमिक मेडिटेशन ओशो की मूल आवाज से संचालित हुआ। यह क्रिया ओशो ने 1970 के ध्यान शिविर में तत्कालीन मित्रों के साथ कराया था।

ओशो मित्र गरिमा ने हमें बताया कि यह ध्यान विधि आधुनिक युग में शरीर और मन के तनावों के लिए ओशो द्वारा दिया गया अचूक वैज्ञानिक निदान है। सक्रिय ध्यान के अंतिम सत्र में शनिवार और रविवार को लोगों के लिए स्पेशल वर्कशॉप का आयोजन किया गया है। इस स्पेशल वर्कशॉप में 'डांस फॉर लाइफ' के तहत हम मित्रों को छोटे-छोटे ध्यान प्रयोग से अवगत कराएंगे जिससे कि वे अपनी व्यस्त जिंदगी में चलते फिरते, उठते बैठते या स्कूल, कॉलेज और ऑफिस में कार्य करते हुए भी कर सकते हैं।

उन्होंने बताया कि यहां पर ओशो की 650 किताबों के अलावा 9500 ऑडियो और वीडियो का अनूठा कलेक्शन भी है। इसमें ओशो के लेक्चर की बुक 'पग घुंघरू बांध', 'दि प्रॉफेट' और 'दि सिक्रेट भी शामिल है।
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उन्होंने बताया कि प्रत्येक सत्र में शाम को नादब्रह्म ध्यान, कुंडलिनी ध्यान के साथ फिल्म फेस्टिवल का आयोजन भी किया जा रहा है जिसमें ओशो से जुड़े वीडियो और ध्यान के अद्भुत फुटेज दिखाए जाएंगे।

गरिमा ने बताया कि ध्यान के इस विराट आयोजन में कॉर्पोरेट और आईटी सेक्टर से जुड़े लोगों के अलाव स्टूडेंट भी शामिल हो रहे हैं। सक्रिय ध्यान का मूल उद्देश्य शरीर को एनर्जेटिक बनाना और मन से तनाव को हटाना है ताकि अवेयरनेस या कहें कि व्यक्ति के भीतर साक्षी भाव का विकास हो सके। आज के मनुष्य के लिए यह बहुत जरूरी है कि वह खुद से जुड़कर संपूर्णता का अनुभव करें। (वेबदुनिया न्यूज)

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