Rahul gandhi kundli Astrology: राहुल गांधी की इंटरनेट से प्राप्त जन्म तिथि और सन 19 जून 1970 बताया जा रहा है। जन्म स्थान तो दिल्ली का परंतु जन्म का समय पुख्ता नहीं है। एक समय 18 जून, 1970 को रात्रि 8 बजकर 52 मिनट पर दूसरा समय 19 जून 1970 को दोपहर 02 बजकर 28 मिनट पर जन्म समय मिलता है। पहली के अनुसार वृश्चिक राशि और मकर लग्न मिलता है और दूसरी के अनुसार धनु राशि और तुला लग्न मिलता है। 19 जून 1970 समय 02 बजकर 28 मिनट के अनुसार जानिए राहुल गांधी की कुंडली का लाल किताब के अनुसार भविष्यफल।
राहुल गांधी की कुंडली के ग्रह: उपरोक्त जन्म दिनांक, सन् और समय के अनुसार राहुल गांधी की कुंडली में राहु कुंभ राशि का होकर पांचवें भाव में स्थित है और शनि सप्तम भाव में होकर मेष राशि में है। भाग्य भाव में सूर्य और मंगल की युति है। केतु लाभ भाव का है और बुध अष्टम में एवं चंद्र तृतीय भाव में है।
1. प्रथम भाव का गुरु: राहुल की कुंडली में प्रथम भाव में बृहस्पति तुला राशि का है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार बुध और शुक्र के साथ या इनकी राशियों में बृहस्पति बुरा फल देता है। तुला राशि शुक्र की राशि है। हालांकि लाल किताब के अनुसार यहां यदि गुरु शुभ है तो जातक ज्ञानी होगा। अशुभ है तो अधूरे ज्ञान से बदनाम होगा। पहले खाने में गुरु का होना अर्थात गद्दी पर बैठा साधु, राजगुरु या मठाधीश समझो। ऐसे जातक की जैसे-जैसे शिक्षा बढ़ेगी दौलत भी बढ़ती जाएगी। यदि गुरु पहले भाव में है तो दौलत का असर खत्म, लेकिन अपने हुनर से प्रसिद्ध पा सकता है। उसकी प्रसिद्ध ही उसकी दौलत होती है। ऐसे व्यक्ति का भाग्य दिमागी ताकत या ऊंचे लोगों के साथ रहने से बढ़ता है। यदि चंद्रमा अच्छी हालत में है तो उम्र के साथ सुख और समृद्धि बढ़ती जाती है।
पहले घर का बृहस्पति जातक को धनवान बनाता है, भले ही वह सीखने और शिक्षा से वंचित हो। ऐसे व्यक्ति अपने स्वयं के प्रयासों, मित्रों की मदद और सरकारी सहयोग से तरक्की करता जाएगा। यदि सातवें भाव में कोई ग्रह न हो तो विवाह के बाद सफलता और समृद्धि मिलती है। बृहस्पति पहले भाव में हो और शनि नौवें भाव में हो तो जातक को स्वास्थ्य से संबंधित परेशानियां होती हैं। बृहस्पति पहले भाव में हो और राहु आठवें भाव में हो तो जातक के पिता की मृत्यु दिल के दौरे या अस्थमा के कारण हो सकती है। यदि सातवें भाव में शत्रु ग्रह हो तो उपरोक्त कही गई बातों की कोई गारंटी नहीं। यानी गुरु घंटाल है।
निष्कर्ष: राहुल की कुंडली में सातवें भाव में शनि ग्रह विराजमान है इसलिए उपरोक्त कथन पूर्णत: फिट नहीं बैठता है।
2. सप्तम भाव में शनि: राहुल की कुंडली में सप्तम भाव अर्थात दांपत्य जीवन और साझेदारी के भाव में शनि मेष राशि में स्थित है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार सूर्य, चंद्र और मंगल की राशियों में शनि बुरा फल देता है। मेष राशि मंगल की राशि है। लाल किताब में यहां स्थित शनि को कलमकार कहा गया है। जीवन साथी मिलने में देरी हो सकती है या नहीं भी मिले। जातक का भाग्योदय चालीसवें साल के बाद होता है। जातक अत्यंत चुस्त एवं फुर्तीला होता है। जातक जन्मजात शासक या राजनीतिज्ञ होता है। ऐसे जातक में कभी कभी द्वेष ईर्ष्या एवं छल कपट की भावना प्रबल रूप से जाग्रत हो जाती है। जातक अत्यंत चतुर स्वभाव का होता है। मांस मदिरा का सेवन करने से धन हानि की पूर्ण संभावना होती है। बाल्यावस्था में माता पिता को लेकर कुछ कष्ट उठाने पड़ सकते हैं। बावन, तिरपन साल की उम्र में जीवनसाथी को कष्ट हो सकता है। मन अशांत रह सकता है। दिलो दिमाग में एक अजीब सी घबराहट रह सकती है।
निष्कर्ष: राहुल की कुंडली में सातवें शनि का विवरण कुछ हद तक सही बैठता है। विवाह की स्थिति और जन्मजात शासक के मामले में यह विवरण सही है।
3. तीसरे भाव में चंद्रमा: राहुल की कुंडली में चंद्रमा तीसरे भाव में गुरु की राशि धनु में स्थित है। शनि की राशियों में चंद्र बुरा फल देता है। लाल किताब के अनुसार इसे रेगिस्तानी पानी कहा गया है। जैसे-जैसे जातक की शिक्षा बढ़ेगी पिता की आर्थिक हालात में कमी आती जाएगी। शिक्षा अपनी कीमत देगी इसकी कोई शर्त नहीं। चौरी और मौत का रक्षक और उम्र का मालिक फरिश्ता।
तीसरे भाव में स्थित चंद्रमा पर मंगल और बुध का भी असर रहता है। यदि नौवें और ग्यारहवें घर में कोई ग्रह न हों तो मंगल और शुक्र अच्छे परिणाम देगें। यदि केतु कुंडली में किसी शुभ जगह पर है और चंद्रमा पर कोई बुरा प्रभाव नहीं डाल रहा है तो जातक की शिक्षा अच्छे परिणाम देने वाली साबित होगी। यदि चंद्रमा हानिकारक है, तो धन हानि और खर्चे का कारण हो सकता है। हालांकि यह हानि नौवें भाव में बैठे ग्रह की दशा या उम्र में हो सकती है। सब कुछ ठीक है तो यहां स्थित चंद्रमा लंबा जीवन और अत्यधिक धन देने वाला होता है।
निष्कर्ष: उपरोक्त विवरण पिता, बहन, धन और सेहत के संबंध में थोड़ा बहुत ठीक बैठता है, क्योंकि नवम भाव में सूर्य और मंगल हैं और अष्टम भाव में बुध है। सूर्य पिता और बुध बहन है।
4. पंचम भाव में राहु: राहुल की कुंडली में पंचम भाव का राहु है जो संतान सुख से वंचित रखता है। हालांकि लाल किताब के अनुसार पांचवें घर सूर्य का होता है जो पुरुष संतान का संकेत है। इसलिए यहां राहु को औलाद गर्क करने वाला कहा गया है। लेकिन पारिवारिक खुशी और दौलत होगी। यहां स्थित नीच का राहु गर्भपात करवाता है। पुत्र के जन्म के बाद जातक की पत्नी बारह सालों तक बीमार रहती है। यदि बृहस्पति भी पांचवें भाव में स्थित हो तो जातक के पिता को कष्ट होगा। यदि राहु शुभ हो तो जातक अमीर, बुद्धिमान और स्वस्थ होता है। वह अच्छी आमदनी और अच्छी प्रगति का आनंद पाता है। जातक दार्शनिक होता है। अशुभता की स्थिति में राहू दिमाग को भ्रमित करता है। यह स्थिति आपको कभी-कभी गलत रास्ते पर चलने की प्रेरणा दे सकती है। जातक के मन में चिंता और संताप की स्थिति निर्मित हो सकती है। उसकी रुचि विद्या प्राप्त करने में कम रह सकती है। जातक कोयले का एकत्रीकरण, शौचालय फेरबदल, जमीन में तंदूर बनाना, घर में पखाना बनवाना, जमीन के अंदर पानी की टंकी बनवाना, बोरियां इकट्ठी करना और छ्त में फेरबदल करवाता है तो राहु बुरे फल देगा।
निष्कर्ष: उपरोक्त विवरण संतान के मामले में ठीक बैठता है।
5. अष्टम भाव में बुध: यहां बुध है तो व्यक्ति गुप्त विद्याओं में रुचि रखने वाला तथा तेज स्मरण शक्ति का होगा। अतिथि सेवक और राज पक्ष का होने के साथ ही जातक अपनी विनम्रता के कारण प्रसिद्ध और धनी बनता है लेकिन जातक को साझेदारी का व्यापार करने के लिए सोचना समझना होगा। पार्टनर गलत भी हो सकता है। जातक को मस्तिष्क और नसों से संबंधित रोग हो सकते हैं। यदि बुध के साथ उसके शत्रु ग्रह न होंगे तो यहां स्थिति बुध अच्छा फल देगा। बहन का एक समय तक ही साथ मिलेगा। बहन, मौसी और बुआ कष्ट में रह सकती है। हालांकि शत्रु आपका ज्यादा कुछ अहित नहीं कर पाएंगे।
निष्कर्ष: उपरोक्त विवरण कुछ कुछ ठीक बैठता है।
6. नवम भाव में सूर्य: नवम भाव में सूर्य होने पर दान या तोहफे के रूप में चांदी या सफेद वस्तु ना लें। वादे से मुकरें नहीं, पैतृक बर्तन या संपत्ति बेचे नहीं अन्यथा पिता पर संकट और करियर बर्बाद हो सकता है। सूर्य अनुकूल न हो तो जातक बुरा और अपने भाइयों के द्वारा परेशान किया जाएगा। सरकार से अरुचि और प्रतिष्ठा की हानि होगी। भाग्य तब तक सोया रहेगा जब तक धार्मिक गुणों का विकास नहीं होगा। कुल धर्म और ईश्वर की निंदा कर तो बर्बादी तय है। लेकिन फिर भी ऐसा व्यक्ति अपने हौसले के दम पर सब कुछ हासिल करने की ताकत रखेगा।
निष्कर्ष: उपरोक्त विवरण भी कुछ कुछ ठीक बैठता है।
7. नवम भाव में मंगल: कुंडली में यहां मंगल है तो समझो व्यक्ति नास्तिक स्वभाव वाला होगा। हुकुमत करने की इच्छा रखेगा। भीतर से क्रूर होगा। यदि यहां मंगल शुभ है तो नौकरी या कारोबार में तरक्की करेगा। दाना, पिता और धर्म का अपमान करें तो शेर को गीदड़ जैसा जीवन बिताना पड़ेगा। भाई और पिता के लिए ठीक नहीं।
निष्कर्ष: लोगों को खुद समझना होगा कि यह विवरण कितना सही हो सकता है।
8. दशम भाव में शुक्र: राहुल की कुंडली में दसवें भाव में चंद्र की राशि में शुक्र ग्रह स्थित है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार सूर्य और चंद्र के साथ या इनकी राशियों में शुक्र बुरा फल देता है। यदि इस खाने में शुक्र है तो ऐसा व्यक्ति अपनी जवानी प्रेम संबंधों में बर्बाद कर सकता है। यदि शुक्र पर शनि की दृष्टि पड़ रही है तो व्यक्ति में शैतानी और चालाकी बढ़ जाती है। लेकिन यदि शुभ कर्म करने वाला है तो सुखी रहेगा। इस घर में शुक्र जातक को लालची और संदिग्ध बनाता है, लेकिन वह हस्तकला में रुचि रखेगा। जब तक जातक अपनी पत्नी के प्रति ईमानदार रहेगा, उसका मार्गदर्शन लेता रहेगा तब तक हर मुसीबत जातक से दूर रहेगी। शनि से जुड़े व्यापार और चीजें फायदेमंद साबित होंगी।
निष्कर्ष: लोगों को खुद समझना होगा कि यह विवरण कितना सही हो सकता है।
9. एकादश भाव में केतु: गीदड़ स्वभाव वाला कुत्ता। दयालु, परोपकारी, मधुर भाषी लेकिन चिंतित। हालांकि बृहस्पति के घर में केतु अच्छा फल देगा, लेकिन पुत्र होने की कोई गारंटी नहीं। यहां केतु शुभ है तो धन देता है। यह घर बृहस्पति और शनि से प्रभावित होता है। शनि तीसरे घर में हो तो यह बहुत धन देता है, जातक के द्वारा अर्जित धन उसके पैतृक धन से अधिक होगा, लेकिन फिर भी उसे अपने भविष्य के बारे में चिंता करने की आदत होगी। यदि बुध तीसरे भाव में हो तो यह एक राजयोग होगा। लेकिन यदि केतु यहां अशुभ हो तो जातक को पेट में समस्या बनी रहेगी। वह भविष्य के बारे में बहुत चिंतित रहेगा। यदि शनि भी अशुभ हो तो जातक की दादी अथवा मां उसके पैदा होने के बाद जीवन भर परेशान रहेंगी। साथ की जातक को पुत्र या घर से कोई लाभ नहीं होगा। यदि जातक शनि और बृहस्पति के मंदे कार्य करता है तो जीवन बर्बाद ही समझे।
निष्कर्ष: लोगों को खुद समझना होगा कि यह विवरण कितना सही हो सकता है।
लाल किताब दशाफल:
वर्तमान में राहुल गांधी की कुंडली में गुरु की महादशा में सूर्य की अंतर्दशा 19 जून 2027 तक चलेगी इसके बाद सूर्य की महादशा प्रारंभ होगी। नवम भाव के सूर्य पर चंद्र, शनि और गुरु की दृष्टि है। सूर्य की महादशा वर्ष 2028 तक रहेगी इसके बाद चंद्रमा की महादशा प्रारंभ होगी जो वर्ष 2029 तक रहेगी। इसके बाद शुक्र की महादशा प्रारंभ होगी। यदि जातक शनि के मंदे कार्य नहीं करता है और वाणी पर कंट्रोल रखता है तो अपना खोया जनाधार फिर से प्राप्त कर सकता है परंतु यदि शनि के मंदे कार्य किए और वाणी पर कंट्रोल नहीं रखा तो जातक बड़ी मुसीबत में फंस सकता है।
यदि हम राहुल गांधी की कुंडली का वर्षफल 2025 को देखते हैं तो इस वर्ष उनकी लोकप्रियता का ग्राफ तो बढ़ा है परंतु 7वें भाव में मुंथा है जो राहुल गांधी के विरोधियों को प्रबल रूप से सक्रिय करती है जो पार्टी के भीतर और बाहर दोनों ही तरफ हैं। गलत सलाहकारों के अनुसार मुसीबत में पड़ सकते हैं। दूसरी ओर यदि अगले वर्ष 2026 का वर्षफल देखते हैं तो उस वर्ष में मुंथा 5वें भाव में हैं जो अच्छी मानी जा रही है। यानी वर्ष 2026 में राहुल गांधी के राजनीतिक करियर में बदलाव हो सकता है और उन्हें पार्टी में एक नई भूमिका में भी देखा जा सकता है। उनकी बहन प्रियंका का कद बढ़ेगा।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार दशाफल:
राहु की महादशा: वर्तमान में उपरोक्त जन्म समय और कुंडली के अनुसार देखें तो राहुल की कुंडली में राहु की महादशा के अंतर्गत शनि की अंतर्दशा चल रही है। राहु की महादशा में शनि की दशा से उन्हें राजनीतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। राहु की दशा में जातक के जीवन में बहुत उतार चढ़ाव देखने को मिलते हैं।
राहुल गांधी की कुंडली में राहु कुंभ राशि का होकर पांचवें भाव में स्थित है और शनि सप्तम भाव में होकर मेष राशि में है। भाग्य भाव में सूर्य और मंगल की युति है। केतु लाभ भाव का है और बुध अष्टम में एवं चंद्र तृतीय भाव में है। इसका अर्थ है कि जातक को बहन की ओर से भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा, लेकिन बहन के कारण ही जातक सत्ता के शीर्ष शिखर पर होगा और कई तरह की मुसीबतों से बचा रहेगा।
यदि कुंडली में राहु शुभ स्थिति में है, तो यह व्यक्ति को धन, शोहरत, सफलता और विलासिता प्रदान कर सकता है। यह राजनीति में सक्रिय लोगों के लिए भी फायदेमंद हो सकता है। कुछ मामलों में, यह आध्यात्मिक गतिविधियों की ओर भी रुझान बढ़ा सकता है।
आने वाले समय में राहुल गांधी सत्ता पक्ष के सामने कड़ी चुनौतियां पेश करेंगे जो उन्हें देश को अराजकता की ओर ले जाएगी। हालांकि इससे उनका जनसमर्थन भी बढ़ेगा और भविष्य में वे खुद को मजबूत स्थिति में पाएंगे लेकिन पार्टी के भीतर से उन्हें धोखा मिलने की संभावना भी नजर आती है। हालांकि राहुल गांधी की मंगल की दशा उन्हें हर क्षेत्र में जीत दिलाने की ताकत रखती है।
अस्वीकरण (Disclaimer) : उपरोक्त विवरण इंटरनेट से प्राप्त कुंडली के आधार पर है। विवरण की सटीकता तभी सही मानी जाएगी जबकि जन्म समय सही हो।