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Kanya sankranti 2025: कन्या संक्रांति का महत्व, पूजा विधि और दान से मिलेगा पुण्य

WD Feature Desk
मंगलवार, 16 सितम्बर 2025 (15:36 IST)
Sun transit in Virgo 2025: कन्या संक्रांति हिंदू सौर कैलेंडर में छठे महीने की शुरुआत का प्रतीक है। 17 सितंबर 2025 बुधवार के दिन सूर्यदेव सिंह राशि से निकलकर कन्या राशि में गोचर करने लगेंगे। सूर्य के इस राशि परिवर्तन को कन्या संक्रांति कहते हैं। इस दिन पितृ दोष और कालसर्प दोष से मुक्ति के उपाय किए जाते हैं। तर्पण, पिंडदान और पंचबलि कर्म करने से भी लाभ मिलेगा। आओ जानते हैं कन्या संक्रांति का महत्व, पूजा विधि और दान का फल।
 
कन्या संक्रांति कब है?
17 सितंबर 2025 बुधवार के दिन।
कन्या संक्रांति पुण्य काल:-
कन्या संक्रान्ति पुण्य काल- प्रात: 06:07 से दोपहर 12:15 तक।
कन्या संक्रान्ति महा पुण्य काल- सुबह 06:07 से सुबह 08:10 तक।
कन्या संक्रान्ति का क्षण- 01:55 एएम
 
कन्या संक्रान्ति पूजा का शुभ मुहूर्त:- 
लाभ: सुबह 06:07 से 07:39 तक।
अमृत: सुबह 07:39 से 09:11 तक।
शुभ: सुबह 10:43 से दोपहर 12:15 तक।
लाभ: शाम 04:52 से 06:24 तक।
गोधूलि मुहूर्त: शाम 06:24 से शाम 06:47 के बीच।
 
कन्या संक्रांति का महत्व :
  1. कन्या संक्रांति हिंदू सौर कैलेंडर में छठे महीने की शुरुआत का प्रतीक है।
  2. कन्या संक्रांति का दिन पितरों के निमित्त शांति कर्म करने के लिए बहुत ही उत्तम होता है। 
  3. इस दिन पितृ तर्पण या पिंडदान करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। 
  4. इस दिन पितरों की आत्मा की शांति कराने से सभी तरह के संकट दूर होते हैं।
  5. कन्या संक्रांति के दिन गरीबों को दान दिया जाता है। दान देने से सभी तरह की आर्थिक समस्या का निराकरण होता है। 
  6. इस दिन नदी स्नान करने के बाद सूर्य को अर्घ्‍य दें और फिर दान पुण्य का कार्य करें।
  7. कन्या संक्रांति पर विश्वकर्मा पूजन भी किया जाता है जिस वजह से इस तिथि का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है। 
  8. उड़ीसा और बंगाल जैसे क्षेत्रों में इस दिन पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है। 
  9. उड़ीसा, आन्ध्र प्रदेश, केरल, कर्नाटक, गुजरात, तेलांगना, तमिलनाडु, पंजाब और महाराष्ट्र में कन्या संक्रांति के दिन को साल के प्रारंभ के तौर पर माना जाता है जबकि बंगाल और असम जैसे कुछ राज्यों में इस दिन को साल की समाप्ति के तौर पर जाना जाता है।
 
कन्या संक्रांति की पूजा विधि:-

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