गुरु का धनु राशि में 21 नवंबर 2007 को प्रात: 29.03 पर आना व मंगल का मिथुन राशि पर वक्री चलना ही सोने में सबसे जबर्दस्त ऊछाल का कारण बनता चला गया। सोना धातु पीली है व इसे गुरु से संबंधित माना गया है।
गुरु धनु राशि में है जो उसकी अपनी राशि है वहीं गुरु धनु राशि में अग्नि तत्व प्रधान होता है व द्विस्वभाव राशि भी है। मंगल आग है व इसकी पूर्ण दृष्टि गुरु के धनु राशि पर चलते पड़ रही है जो 29 अप्रैल तक चलेगी। यह समय सोने में उछाल का रहेगा। गुरु जब तक धनु राशि में रहेगा पीली वस्तुएँ महँगी होती नजर आएँगी।
गुरु के मकर राशि में प्रवेश करते ही सोना व पीली धातुओं में नरमी का रुख बना रहेगा। 10 मार्च को सूर्य-राहु-शुक्र-बुध एक साथ कुंभ राशि में आ रहे हैं। बुध के आने से चार ग्रह एकसाथ होंगे। शनि की स्वदृष्टि कुंभ पर व सूर्य पर शत्रु दृष्टि पड़ने से भारतीय राजनेताओं की कारगुजारी स्पष्ट नजर आती जाएगी।
गुरु का धनु राशि में 21 नवंबर 2007 को प्रात: 29.03 पर आना व मंगल का मिथुन राशि पर वक्री चलना ही सोने में सबसे जबर्दस्त ऊछाल का कारण बनता चला गया। सोना धातु पीली है व इसे गुरु से संबंधित माना गया है।
अभी बजट में 60,000 का कर्ज माफ और लगातार शेयर बाजार में आई गिरावट को लाख वित्त मंत्री महोदय घबराने की कोई बात नहीं कहते आ रहे हैं। लेकिन छोटे शेयर धारक व इसमें पूँजी निवेश करने वाले कंगाल होते जा रहे हैं। बाजार तेजी से बढ़ता जा रहा है, महँगाई चरम पर पहुँच रही है।
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इस ओर ध्यान न देने में भी भी ग्रहों की चाल कुछ हद तक जिम्मेदार है। सूर्य आत्मा का कारक है वहीं शुक्र धन का कारक है। बजट सत्र के चलते तीनों ग्रह एक साथ हैं वहीं सूर्य पर शनि की दृष्टि भी बहुत मायने रखती है।
सूर्य आत्मा का व सत्ताधीशों का कारक है। जब आत्मा पर राहु की छाया हो तो आत्मा शुद्ध नहीं हो सकती। अत: सत्ताधीशों को महँगाई नजर नहीं आ रही। आम जनता की हालत पर रोने वाला कोई नहीं क्योंकि शनि लाख अपने घर कुंभ को देख रहा है लेकिन वहाँ बैठे सूर्य अपने पिता पर शत्रु दृष्टि डाल रहा है। यही कारण है कि सत्ता के गलियारे में महँगाई की गूँज करने वाला कोई नहीं है। सभी सत्ताधीशों की आत्मा को राहु ने ग्रस्त कर रखा है। शुक्र धन का कारक है। शेयर बाजार बगैर धन के नहीं चलता उसे भी राहु ने अपनी चपेट में ले रखा है।
बुध 10 मार्च को दोपहर 2.34 मिनट पर कुंभ में आएगा। यह व्यापारिक व बुद्धि से संबंधित ग्रह है वह भी राहु की चपेट में आ जाएगा। कुल मिलाकर देखें तो सूर्य राहु का मिलन व शनि की सूर्य पर दृष्टि शुक्र बुध का राहु की चपेट में आना देश के लिए ठीक नहीं रहेगा।