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ग्राहकों के नकली नोटों से परेशान यौनकर्मी

- राहुल टंडन (कोलकाता)

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, सोमवार, 1 अप्रैल 2013 (12:33 IST)
BBC
एशिया के सबसे बड़े रेडलाइट इलाकों में से एक पश्चिम बंगाल के सोनागाछी में यौनकर्मियों के साथ काम करने वाली शताब्दी जेना के लिए आम दिनों की तरह वो भी एक व्यस्त दिन था।

सोनागाछी में दस हजार से अधिक यौन कर्मी रहती हैं। शताब्दी के ऑफिस के एक छोटे से कमरे में कई यौनकर्मी मौजूद थीं। आमतौर पर, ये महिलाएं यहां एचआइवी के खतरे और उससे निपटने के उपायों को जानने के लिए जमा होती हैं।

हालांकि, उस दिन का मुद्दा कुछ अलग था और वह मसला था कि आखिर नकली नोटों की पहचान कैसे की जाए। पिछले कुछ महीनों में इन लड़कियों में से कुछ को 500 और 1000 रुपए के नकली नोट मिले थे।

मुश्किलें और बढ़ी : अधिकारियों का मानना है कि ये नकली नोट बांग्लादेश से आ रहे हैं।

कमरे में सीमा फोकले भी बैठी थीं। वह अब अधेड़ उम्र की हो चुकी हैं। वह गुस्से में थीं। एक नोट निकालकर जमीन पर फेंकते हुए सीमा ने कहा, 'यह नोट भी उस आदमी की तरह ही नकली है, जिसने मुझे यह दिया।'

उनके आसपास की महिलाएं भी इस बात से सहमति जताती हैं। आखिर, यह एक ऐसी समस्या थी, जिनसे उन सब को रोजाना ही दो-चार होना पड़ता था। यहां की कई महिलाओं की रोजाना आमदनी 100 रुपए से भी कम की है और इस नई समस्या ने तो उनकी मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।

पुलिस से डर : सोनागाछी जैसे इलाके नकली नोटों को चलाने की सबसे आसान जगह हैं, क्योंकि डर की वजह से यहां की महिलाएं पुलिस के पास नहीं जातीं।

शताब्दी जेना ने पुलिस में रिपोर्ट लिखाने की बात पर हंसते हुए कहा, 'सभी लड़कियां पुलिस के नाम से ही कांपती हैं। उन्हें डर है कि पुलिस के पास जाने से वो गिरफ्तार हो सकती हैं। वैसे भी एक यौनकर्मी की बात पर यकीन कर रिपोर्ट कौन लिखेगा?'

शताब्दी की बातों से हामी भरते हुए एक यौनकर्मी शैफाली ने कहा, 'अगर हमारे ग्राहकों को पता चल गया कि हम पुलिस के पास गए थे, तो वो आना ही बंद कर देंगे। इसलिए, चुप्पी में ही भलाई है।'

शताब्दी ने सबको चुप होने का इशारा किया। वह अपने पास से 500 रुपए का नोट निकालकर हवा में लहराती हैं, ताकि सभी महिलाएं उसे देख सकें। उन्होंने नोट के बाएं किनारे की तरफ इशारा किया, जो ख़ाली दिख रहा है।

नोटों की पहचान करने वाली मशीन : वह उसे रोशनी में ले गईं और वहां महात्मा गांधी की एक तस्वीर उभरती है, जिस पर 500 लिखा है।

सभी महिलाएं हंसी। इसके बाद, शताब्दी ने उन महिलाओं को नकली नोट पहचानने के और भी कई तरीके सिखाए। महिलाएं आश्चर्यचकित थीं। जो महिलाएं आमतौर पर एक सेकंड के लिए भी चुप नहीं रहती थीं, वो कई मिनटों तक ख़ामोश हो गईं।

हालांकि, कई बार सिर्फ आंखों से नोटों के असली या नकली होने का पता लगाना मुश्किल होता है।

शताब्दी जिस संस्था ‘दरबार महिला समन्वय समिति’ में काम करती थीं, उसने इसी बात को समझते हुए ही नकली नोटों की पहचान करने वाली एक मशीन उस इलाके में लगा दी।

नकली नोटों में कमी : ऑफिस में लगी मशीन पराबैंगनी किरणों के इस्तेमाल से नकली-असली की पहचान करती हैं। मशीन से उन महिलाओं को काफी फायदा हुआ।

सीमा फोकले याद करती हैं, 'अगर कोई ग्राहक मुझे पैसे देता, मैं तुरंत इस मशीन से उसको जांच लेती। नकली नोट होने पर ग्राहक को उसे बदलना पड़ता।'

शताब्दी ने बताया कि मशीन के लगने के बाद से इलाक़े में नकली नोटों की संख्या में 20 फीसदी की कमी आ गई।

भारत में वेश्यावृत्ति गैरकानूनी है, लेकिन एक अनुमान के अनुसार 30 लाख से अधिक महिलाएं इस धंधे से जुड़ी हैं। वैसे, विशेषज्ञों के हिसाब से यह आंकड़े और भी अधिक हो सकते हैं।

इस गैरकानूनी सेक्स व्यापार में कई ऐसी बच्चियां भी हैं, जिन्हें दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के सबसे गरीब इलाकों से तस्करी करके लाया गया है।

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