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तलाकशुदा की तलाश में लगे जोड़ियां बनाने वाले

हमें फॉलो करें तलाकशुदा की तलाश में लगे जोड़ियां बनाने वाले
, बुधवार, 13 मई 2015 (10:39 IST)
दुनिया में सबसे कम तलाक दर भारत में है लेकिन यहां शादियों का टूटना अब आम होता जा रहा है।
ज्यादातर तलाकशुदा लोगों का संबंध शहरी मध्यम वर्ग से है क्योंकि वहां जिंदगी अर्थव्यवस्था में आई तेजी के कारण बदल रही है। नतीजतन वैवाहिक सेवाओं की तादाद में तेजी आ रही है और ऐसी सेवाएं देने वालों में कुछ ऐसे भी हैं जिनकी नजर तलाकशुदा लोगों पर है।
हाल में तलाक लेने वाली अनसुया बासु :
मैंने लंबे समय तक 'डी' शब्द (डाइवोर्स) के साथ संघर्ष किया है। मैं अपने अभिभावक के परिवार में दुनिया को यह बताने वाली पहली शख्स थी कि मेरी शादी-शुदा जिंदगी में काफी मुश्किलें हैं। हालांकि मुझे तलाक के बारे में सोचकर ही घबराहट होती थी।
 
मैंने अपने दर्द को कम करने के लिए तेज रफ्तार जिंदगी वाले शहर दिल्ली को चुना, जहां मैं वापस आ गई। मैं शादी से पहले यहां रह चुकी थी। करीब तीन साल के लंबे इंतजार, कड़वे अनुभव और बाद में अनगिनत वकीलों के पास जाने के बाद आखिरकार दूसरे लोगों की तरह ही मैं भी अदालत की लंबी दौड़ में शामिल हो गई।
 
शहर के फैमिली कोर्ट का कमरा नंबर 207 याद आते ही मुझे डर लगता है। मैं हर महीने घंटों यहां अपनी घबराहट को कम करने की कोशिश करती थी जो मुझे दूसरों और खुद की शादी का हश्र देखकर होती थी। हालांकि मुझे इन बातों से अब ज्यादा फर्क नहीं पड़ता था।
 
मोबाइल से खतरा : जिस दिन मेरा तलाक हुआ उस दिन मेरा सिर मानो काफी हल्का महसूस हो रहा था। एक दोस्त के साथ बातचीत के दौरान मैंने अपने मोबाइल की घंटी कई दफा बजते हुए सुनी। जब मैंने फोन पर जवाब दिया तो रेडियो जॉकी की तरह लगने वाली उस गहरी आवाज ने मुझसे मेरा हाल-चाल पूछा।
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फिर बताया कि वह किसी मैचमेकिंग वेबसाइट से कॉल कर रहा है और यह कॉल खासतौर पर तलाकशुदा लोगों के लिए है। मैं हैरान रह गई थी। मैं सोच नहीं पा रही थी कि बाहर की दुनिया को कैसे इतनी तेजी से मेरी वैवाहिक स्थिति के बारे में पता चल गया? परेशान होकर मैंने जल्दी से कॉल काट दिया।
 
तलाक से जुड़े कई वकीलों से मुझे यह समझने में वक्त नहीं लगा कि कुछ फैमिली कोर्ट्स के जुनियर कर्मचारी, विवाह से जुड़े पोर्टल और कुछ चालाक वकील कुछ फीस लेकर दूसरी शादी के संभावित उम्मीदवारों की सूचनाएं साझा करते हैं।
 
दिल्ली हाईकोर्ट में तलाक की वकील गीता लुथरा ने बताया, 'जब आप अदालत में एक याचिका दायर करते हैं तो अदालत में सभी पक्षों का रिकॉर्ड मौजूद रहता है। ये जानकारी कोई थर्ड पार्टी को मिल सकती है। ऐसे में मुमकिन है कि सूचनाएं बड़ी आसानी से मैट्रिमोनियल साइटों को मिल जाएं।'
 
गोपनीयता कानून नहीं : निजी डेटा की सुरक्षा और इसका उल्लंघन करने पर सजा का प्रावधान करने वाले ब्रिटेन के डेटा प्रोटेक्शन एक्ट की तरह भारत में डेटा की सुरक्षा या गोपनीयता के लिए सीधा कानून नहीं है।

जाहिर है कि मैचमेकिंग वेबसाइटों को इतने व्यापक डेटा-बेस से तो बहुत अधिक फायदा होगा। भारत में तलाक की दर से जुड़े आधिकारिक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि हर 1,000 शादियों में से लगभग 13 शादियां टूट जाती हैं। अमेरिका में हर 1,000 शादी में से करीब 500 शादियां टूट जाती हैं।
 
 
तलाक का कोई राज्यवार आंकड़ा उपलब्ध नहीं है लेकिन फैमिली कोर्ट के अधिकारियों का कहना है कि पिछले पांच सालों में भारत के बड़े शहरों में तलाक के आवेदनों में तेजी आई है। इन हालात को भुनाने के लिए ही भारत के मैचमेकिंग पोर्टलों ने अपने जीवनसाथी से अलग हो चुके लोगों और तलाकशुदा लोगों के लिए एक विशेष पन्ना बनाया है और इन उम्मीदवारों से नियमित रूप से संपर्क साधा जाता है।
 
मेरी हैरानी बढ़ाते हुए ऐसे ही मैचमेकिंग पोर्टल के कर्मचारी मुझे वक्त-बेवक्त संदेश भेजते हैं ताकि मैं उनसे बातचीत के लिए राजी हो जाऊं। हालांकि मैं ऐसे पोर्टल या लोगों को अदालत में घसीटने में अपनी ऊर्जा बर्बाद नहीं करना चाहती, क्योंकि यहां कोई गोपनीयता कानून नहीं है।
 
(अनसुया बसु एक जनसंपर्क पेशेवर और लेखक हैं)

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