मुस्लिम महिलाओं का तलाक लेना भी मुश्किल

Webdunia
सोमवार, 8 अप्रैल 2013 (13:08 IST)
BBC
हाल में ही बीबीसी के कार्यक्रम पैनोरमा को कुछ ऐसे सबूत मिले हैं जिनसे पता चलता है कि ब्रिटेन में मौजूद शरिया काउंसिल मुसलमान महिलाओं के लिए जोखिम की स्थिति पैदा कर रहे हैं। शरिया काउंसिल मुस्लिम महिलाओं पर अपनी उस शादी को बरकरार रखने का दबाव बनाते हैं जिनसे वह खुश नहीं हैं।

पूर्वी लंदन में एक छोटे से सीढ़ीदार घर में एक महिला और उनके पति एक मुसलमान विद्वान के सामने तर्क कर रहे हैं जो उस कमरे में उनसे थोड़ी ऊंचाई वाली जगह पर बैठे हैं। इस कमरे को देखकर ऐसा लग रहा है मानों यह कोई अदालत हो।

यह ब्रिटेन के लेटॉन में इस्लामी शरिया काउंसिल है। यहां मौजूद डॉ. सुहैब हसन यह तय करेंगे कि इस औरत को तलाक मिल सकता है या नहीं। उस औरत के पति ने उसे तलाक देने से मना कर दिया है। यह जोड़ा अपनी गुहार लगाने के लिए करीब एक साल से यहां आ रहे हैं।

वह आरोप लगाते हुए कहती हैं कि उनके पति ने काम करने के लिए मना कर दिया और वह बच्चों की अनदेखी करने के साथ ही उन्हें गालियां भी देते रहते हैं। हालांकि उनके पति इन आरोपों से इनकार करते हैं। जब ड ॉ. हसन ने उनके पति को कमरे से बाहर जाने का आदेश दिया तो वह महिला फूट-फूट कर रोने लगी।

उन्होंने रोते हुए कहा, 'मैं उससे नफरत करती हूं और मैं उसे देखना भी पसंद नहीं कर सकती हूं। उसने मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी है।' डॉ. हसन शादी को बचाने की कोशिश करने के लिए इस जोड़े को एक-दूसरे से एक महीने तक दूर रहने के लिए कहते हैं।

कैसे होते हैं फैसले : लेटॉन इस्लामिक शरिया काउंसिल ब्रिटेन का सबसे पुराना और सबसे ज्यादा सक्रिय इस्लामी काउंसिल है। यहां एक महीने में करीब 50 मामलों पर सुनवाई होती है और इनमें से ज्यादातर वैवाहिक विवाद से जुड़े मामले होते हैं।

यहां 10 में से करीब नौ मामले पूरे देश की मुसलमान महिलाओं द्वारा दर्ज कराए जाते हैं। मुसलमानों की शादियों में किसी पुरुष के लिए तलाक लेना ज्यादा आसान होता है।

मुस्लिम महिलाओं को तलाक लेने के लिए इन्हीं काउंसिलों पर निर्भर रहना पड़ता है। हालांकि डॉ. हसन का कहना है, 'हम यहां सिर्फ तलाक के मुद्दे पर ही बात नहीं करते हैं।'

वह कहते हैं, 'हम सबसे पहले मध्यस्थता चाहते हैं। हम शादी को बचाने की कोशिश करते हैं इसलिए हमारे पास जब भी कोई आता है तो हम मेल-मिलाप कराने की कोशिश करते हैं।'

लेकिन यहां इस्लामी कानून के आधार पर दिए गए फैसले हमेशा महिलाओं के हित में नहीं होते और यह कई दफा ब्रिटिश कानून के खिलाफ भी जाते हैं।

सिविल तलाक के बाद : लीड्स में मैं सोनिया से मिली, जिन्हें अपने पति की हिंसा सहनी पड़ी। उनके पति ने उन्हें लात मारी और सीढ़ियों से नीचे फेंक दिया। उसने अपने बेटे को भी मारा।

जब सोनिया को सिविल तलाक मिला तब अदालत ने उसके पति को अपने बच्चों से मिलने के लिए इजाजत दी, लेकिन यह मुलाकात सीधे तौर पर संभव नहीं थी।

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शरिया अदालतों को बच्चे रखने या उनसे मिलने से जुड़े मामलों में हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं है लेकिन जब सोनिया शरिया तलाक के लिए लेटॉन इस्लामी शरिया काउंसिल गईं तो उन्होंने कहा कि उन्हें अपने बच्चे को उसके पिता को देना होगा।

सोनिया कहती हैं, 'मैं यह सहन नहीं कर सकती कि मेरा बच्चा किसी हिंसक व्यक्ति के साथ रहें।' वह कहती हैं, 'मेरे लिए हैरानी की बात यह थी कि जब मैं उन्हें यह वजह बता रही थी कि मेरा बेटा मेरे पति के साथ क्यों नहीं रह सकता तो उनकी प्रतिक्रिया यह थी कि आप इस्लाम के खिलाफ नहीं जा सकते।'

वहीं लेटॉन इस्लामिक शरिया परिषद ने बीबीसी पैनोरमा को कहा कि किसी शादी में अभिभावकों के लिए बच्चों तक पहुंच बनाने का सवाल अहम है। उनका कहना है कि सुरक्षा अहम है और ब्रिटेन की अदालत के आदेश को जरुर माना जाना चाहिए।

हमनें लेटॉन शरिया परिषद का सार्वजनिक चेहरा देखा है इसीलिए हमने एक अंडरकवर एजेंट को यह मालूम करने के लिए भेजा कि किसी असुरक्षित महिला को वह कौन सा सुझाव देंगे। इस एजेंट की कहानी भी यही थी कि उनका पति उन्हें प्रताड़ित करता है।

सरकार का कहना हैं कि घरेलू हिंसा एक अपराध है जिसकी सूचना पुलिस को दी जानी चाहिए। लेकिन ड ॉ. हसन ने अंडरकवर संवाददाता से कहा, 'पुलिस सबसे अंतिम उपाय है। अगर वह आपसे मारपीट करने पर भी उतारु हो तो भी आपको पुलिस को इत्तिला देनी होगी जिसकी इजाजत नहीं है।'

उन्होंने यह तक कह दिया कि अगर वह पुलिस से शिकायत करती हैं तो उन्हें मुश्किल होगी और उन्हें घर भी छोड़ना पड़ सकता है। उनका कहना है कि यह एक बुरा विकल्प है।

लेटॉन इस्लामी शरिया काउंसिल में हसन की पत्नी भी एक परामर्शदाता हैं। उन्होंने भी अंडरकवर संवाददाता को पुलिस के पास जाने की बजाय पूरे परिवार को बातचीत में शामिल होने की बात कही।

' खतरनाक' रुझान : जब लेटॉन इस्लामिक शरिया काउंसिल से गोपनीय तरीके से फिल्मांकन करने की बात कही गई तो उन्होंने कहा कि घरेलू हिंसा में पुलिस और दूसरे अधिकारियों को शामिल होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि लेटॉन इस्लामिक शरिया काउंसिल के गुप्त फुटेज को नॉर्थ वेस्ट के चीफ क्राउन प्रोसीक्यूटर नाजिर अफजल को दिखाया।

अफजल खुद एक मुस्लिम हैं। उन्होंने कहा, 'मैं निराश हूं लेकिन आश्चर्यचकित नहीं हूं। ज्यादातर शरिया परिषद ठीक काम कर रहे हैं लेकिन उनमें से कुछ ऐसे जरूर हैं जो महिलाओं को जोखिम में डाल रहे हैं।'

मेरी मुलाकात एक दूसरी महिला से हुई जो वेस्ट यॉर्कशायर के ड्यूजबरी में एक अन्य शरिया काउंसिल से तलाक लेने की कोशिश कर रही थीं। आयशा नाम की इस महिला का पति हिंसा की वजह से जेल में था। लेकिन ड्यूजबेरी शरिया काउंसिल ने उन्हें अपने पति से मध्यस्थता करने को कह दिया।

आयशा कहती हैं, 'मैंने उन्हें कहा कि उसे मेरे घर के नजदीक भी फटकने की मंजूरी नहीं है क्योंकि मैं उससे डरती हूं, मैं उसके सामने नहीं आ सकती, लेकिन उन्होंने इस बात पर कोई गौर नहीं किया।'

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