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करीना कपूर की डर्टी 'पिक्चर'

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हमें फॉलो करें करीना कपूर

दीपक असीम

WD
विद्या बालन ने लोगों का, खासकर अभिनेत्रियों का नज़रिया बदल दिया है। उन्होंने साबित किया है कि बोल्ड रोल करने के बावजूद एक एक्ट्रेस जीवन में सम्मान और गरिमा के साथ रह सकती है। कई एक्ट्रेस अपने पहले पहल के इंटरव्यू में ये बात कहती हैं कि अगर रोल की मांग होगी तो कम कपड़े पहनने और बोल्ड सीन देने में हमें परहेज नहीं है। मगर वे बोल्ड सीन रोल की मांग के हिसाब से नहीं देतीं, उल्टे बोल्ड सीन के लिए उल्टे सीधे रोल लिखने पड़ते हैं।

जनता को साफ नज़र आता है कि ये हीरोइन लोकप्रिय होने के लिए "त्वचा दर्शन" करा रही है। कम कपड़े पहनना कभी भी कामयाबी का नुस्खा नहीं बना। उलटे होता यह है कि जो हीरोइन एक बार कम कपड़ों में नजर आ जाए उसके बारे में धारणा बन जाती है कि ये सस्ती है, प्रतिभाहीन है और इसकी एकमात्र काबिलियत देह है।

रोल के हिसाब से सीन में बोल्डनेस लाना क्या होता है, यह विद्या ने दिखाया है। फिर इसके बाद फिल्म की कामयाबी का सेहरा पहने-पहने घूमना कम रोमांचित करने वाला नहीं है। बड़ी से बड़ी सफल हीरोइन इसके लिए तरसती है कि बॉक्स ऑफिस कामयाबी का तमगा उसे मिले। कामयाब फिल्मों में भले ही हीरोइन ने बेहतर काम किया हो, क्रेडिट हीरो को मिलता है।

ऐसे में विद्या बालन का इन दिनों किया जा रहा सम्मान हीरोइनों में एक तरफ गर्व की भावना जगा रहा है तो दूसरी तरफ एक ईष्या का भाव भी पैदा कर रहा है कि काश "द डर्टी पिक्टर" वाला रोल हमें मिला होता। डर्टी पिक्चर वाला रोल तो जिसे मिलना था मिल गया मगर अब फिल्म "हीरोइन" उसी तरह की फिल्म है जिस तरह की डर्टी पिक्चर थी। डर्टी पिक्चर एक सिल्क स्मिता की कहानी थी और "हीरोइन" उन हजारों सिल्क स्मिताओं की कहानी है, जो कभी कामयाब हुई तो कभी नहीं भी हुईं।

करीना कपूर को अब कहीं जाकर एहसास हुआ है कि उन्होंने एक बड़ी संभावना को बहुत दिनों से ठोकरों में रखा हुआ है। इसीलिए अब वे उन हॉट सीन्स के लिए राजी हो गई हैं, जिनके लिए पहले उन्होंने मना कर दिया था।

"हीरोइन" की स्क्रिप्ट पहले करीना के ही पास गई थी। करीना ने पाया कि फिल्म में बहुत से सीन ऐसे हैं जिन्हें करने में उन्हें दिक्कत होगी। उन्होंने मधुर पर बदलाव के लिए दबाव डाला। मधुर ये फिल्म ऐश्वर्या के पास ले गए। ऐश्वर्या प्रेगनेंट हो गईं और ये फिल्म वापस करीना के पास आ गई।

करीना ने इसमें बहुत बदलाव भी किए। इसी बीच "डर्टी पिक्चर" रिलीज होकर कामयाब हो गई। विद्या बालन की शोहरत रातोरात सातवें आसमान पर जा लगी। अब करीना को समझ आ रहा है कि उन्होंने गलती कर दी। लिहाजा अब वे अर्जुन रामपाल के साथ बोल्ड सीन करने को राजी हैं।

फिराक के शेर का मिसरा है "एक फूल को जुंबिश दोगे, तो इक तारा कांप उठेगा"...। दुनिया में सब कुछ जुड़ा हुआ है। डर्टी पिक्चर की कामयाबी से मधुर भंडारकर को निर्देशकीय आजादी मिलेगी और हीरोइन फिल्म में बेवजह टांग नहीं अड़ाएगी। म

धुर भंडारकर मिलन लूथरिया के मुकाबले बहुत पैने डायरेक्टर हैं। मिलन लूथरिया की डर्टी पिक्चर ने केवल आर्थिक सफलता हासिल की। मधुर भंडारकर की "हीरोइन" आर्थिक कामयाबी के साथ-साथ दर्शकों को अलग सिनेमाई अनुभव भी दे सकती है।

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