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थोड़ा प्यार थोड़ा मैजिक : थोड़ी नरम थोड़ी गरम

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हमें फॉलो करें थोड़ा प्यार थोड़ा मैजिक

समय ताम्रकर

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निर्माता : आदित्य चोपड़ा-कुणाल कोहली
निर्देशक : कुणाल कोहली
गीतकार : प्रसून जोशी
संगीत : शंकर-अहसान-लॉय
कलाकार : सैफ अली खान, रानी मुखर्जी, ऋषि कपूर, अमीषा पटेल (विशेष भूमिका), श्रिया शर्मा, आयुषी बर्मन, रचित सिदाना, अक्षत चोपड़
*यू *16 रील
रेटिंग : 2.5/5

‘थोड़ा प्यार थोड़ा मैजिक’ की कहानी परी कथाओं जैसी है, जो आमतौर पर बच्चे पढ़ते हैं। इन कहानियों में कोई दुखियारा रहता है, जिसकी मदद करने के लिए भगवान एक परी को भेजते हैं। परी का जादू चलता है और दु:ख दूर हो जाते हैं। परी को प्यार होने का नया कोण देकर निर्देशक कुणाल कोहली ने अपनी सोच भी इस कहानी में मिलाई है। जैसा कि फिल्म के नाम से जाहिर है, वास्तविकता के साथ कल्पना को मिलाकर फिल्म में पेश किया गया है।

रणबीर (सैफ अली खान) के हाथों एक कार दुर्घटना हो जाती है और चार बच्चे अनाथ हो जाते हैं। अदालत इन बच्चों की जिम्मेदारी रणबीर को सौंपती हैं। उसे तीन माह में ये साबित करना होगा कि वह इनकी अच्छी देखभाल कर रहा हैं, वरना बीस साल की कैद। बच्चे चाहते हैं कि रणबीर उनको मारे-पीटे ताकि उसे सजा हो और वे अपना बदला ले सकें। रणबीर को वे परेशान करना शुरू करते हैं। सताने वाले इन दृश्यों के जरिए निर्देशक ने हँसाने की कोशिश की है, लेकिन नाकामयाब रहे हैं।

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रणबीर भी परेशान है और बच्चे भी। भगवान को याद किया जाता है। सूटबूट पहने और आधुनिक तकनीक से लैस भगवान (ऋषि कपूर) उनकी सुन लेते हैं। गीता (रानी मुखर्जी) नामक परी को मामला सुलझाने को भेजा जाता है। अपने जादू के जरिए गीता उनको पास लाती है, लेकिन खुद प्यार में पड़ जाती है।

फिल्म की शुरूआत बोझिल है। रानी मुखर्जी के आने के बाद दिलचस्पी बढ़ती है। रानी एक-एक कर हर बच्चे के दिल में मौजूद सैफ के प्रति नफरत को खत्म करती है, लेकिन ये दृश्य बहुत ज्यादा प्रभावी नहीं हैं। सब कुछ बड़ी सरलता से होता जाता है।

कुणाल कोहली द्वारा निर्देशित ‘हम तुम’ की कहानी बहुत छोटी थी, लेकिन उम्दा दृश्यों के माध्यम से उन्होंने बाँधकर रखा था। इस फिल्म की कहानी भी बेहद सरल है। दर्शक को पता रहता है कि कहानी कहाँ जाकर समाप्त होने वाली है। ऐसे में अच्छे दृश्यों को गढ़ना बेहद जरूरी हो जाता है, लेकिन ‘थोड़ा प्यार थोड़ा मैजिक’ में कुछ दृश्य नरम तो कुछ गरम हैं। कुणाल ने यह फिल्म बच्चों को ध्यान में रखकर बनाई है, लेकिन इसमें ‘लेजी लम्हें’ जैसा हॉट गीत पता नहीं किस मजबूरी के तहत उन्होंने रखा।

रानी मुखर्जी का समुचित उपयोग नहीं किया गया है। रानी ने अभिनय तो अच्छा किया है, लेकिन वे अपनी भूमिका के प्रति आश्वस्त नहीं दिखीं। एक अमीर व्यक्ति की भूमिका निभाना सैफ के लिए हमेशा आसान रहा है। अमीषा पटेल का किरदार ऐसा है, जिससे सब नफरत करते हैं। क्यों? पता नहीं। इन अनुभवी अभिनेताओं पर बच्चे भारी पड़े हैं। खासकर इकबाल नामक सिख बच्चे ने खूब हँसाया है। ऋषि कपूर, कुणाल की फिल्म के आवश्यक अंग हैं।

इस तरह की फिल्मों में संगीत मधुर होना अति आवश्यक है, लेकिन शंकर-अहसान-लॉय अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतर पाए। गानों के लिए सिचुएशन भी ठीक तरीके से नहीं बनाई गई।

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फिल्म के स्पेशल इफेक्ट्स शानदार हैं। परी के रूप में रानी ने जो जादू दिखाया है उन्हें बेहतरीन तरीके से परदे पर पेश किया गया है। संदीप चौटा का पार्श्व संगीत प्रभावी है। पुरानी अँगरेजी फिल्मों की तर्ज पर उन्होंने हास्य दृश्यों में पार्श्व संगीत दिया है।

कुल मिलाकर ‘थोड़ा प्यार थोड़ा मैजिक’ न बहुत अच्छी है, न बहुत बुरी। बच्चों के साथ देखी जा सकती है।

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