ममी श्रंखला के पहले दो भाग बेहद रोमांचक थे, इसलिए तीसरे भाग से उम्मीद बँधना स्वाभाविक है। लेकिन अफसोस की बात है कि ‘द ममी -3’ अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतरती। इस फिल्म में वो कहानी, एक्शन और एडवेंचर नहीं है, जो पहले के भागों में नजर आए थे।
कहानी इस बार इजिप्ट की बजाय चीन पहुँच गई। हजारों वर्ष पहले चीन का एक क्रूर शासक (जेट ली) पूरी दुनिया पर कब्जा करना चाहता था। उसे इस काम के लिए एक जिंदगी कम लगती थी। वह अमर होना चाहता था। उसे पता चलता है कि एक जादूगरनी अमर होने में उसकी मदद कर सकती है। जादूगरनी उसकी मदद करती है, और बदले में उससे एक वादा लेती है। लेकिन वह शासक अपना वादा तोड़ देता है। क्रोधित जादूगरनी उसे और उसकी सेना को श्राप देती है और वे सारे ममी बन जाते हैं।
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वर्षों बाद रिक (ब्रेंडन फ्रेजर) और ऐलविन (मारिया बैलो) का बेटा एलेक्स (लुक फोर्ड) उन ममियों को खोज निकालता है और उनका रहस्य जानने की कोशिश करता है। इस काम में लिन (इसाबेल लियोन) उसकी मदद करती है। लिन उसी जादूगरनी की बेटी है, जिसने श्राप दिया था।
कुछ लोग उन ममियों को फिर जीवित कर देते हैं। एलेक्स, लिन, रिक और ऐलविन उस राजा और उसकी खूँखार सेना से दुनिया को बचाते हैं।
कहानी साधारण है और उसमें रोचकता का अभाव है। लेकिन इस तरह की फिल्मों में दर्शक शानदार स्पेशल इफेक्ट और स्टंट की तलाश में जाते हैं। इस विभाग में फिल्म मात खा जाती है क्योंकि जिन्होंने ‘ममी’ के पिछले भाग देखे हैं उन्हें इसमें नयापन नजर नहीं आता। हालाँकि फिल्म के स्टंट और स्पेशल इफेक्ट्स में खूब पैसा खर्च किया गया है। क्लायमेक्स की लड़ाई और ममी का चीन की सड़कों पर रथ दौड़ाने के दृश्य शानदार हैं। फिल्म के सेट अद्भुत हैं।
निर्देशक रोब कोहेन ने पिछली फिल्मों के मुकाबले कुछ अलग हटकर करने की कोशिश की है, लेकिन इसमें वे पूरी तरह सफल नहीं हो पाए। साधारण कहानी को उन्होंने उतार-चढ़ाव (एलेक्स और लिन की प्रेम कहानी, रिक और एलेक्स की तकरार) के जरिए परदे पर पेश किया, लेकिन वे दर्शकों को बाँध नहीं पाए। ब्रेंडन फ्रेजर की अहमियत को घटाना भी कई दर्शकों को रास नहीं आएगा।
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फिल्म के सारे कलाकारों ब्रेंडन फ्रेजर, जेट ली, लुक फोर्ड, मारिया बैलो, इसाबेल लियोन ने अपने किरदार प्रभावी तरीके से निभाए हैं। तकनीकी रूप से फिल्म बेहद सशक्त है। इन दिनों चल रही बॉलीवुड फिल्मों के मुकाबले इस फिल्म को एक बार देखा जा सकता है।