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सुपर नहीं है ‘सुपरस्टार’

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हमें फॉलो करें सुपरस्टार
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निर्माता : श्री अष्टविनायक सिने विज़न लिमिटेड
निर्देशक : रोहित जुगराज
संगीत : शमीर टंडन
कलाकार : कुणाल खेमू, ट्यूलिप जोशी, औशिमा, रीमा, दर्शन जरीवाला, अमन वर्मा, शरत सक्सेना

डबल रोल निभाने की परंपरा बॉलीवुड में बेहद पुरानी है। दिलीप कुमार (राम और श्याम), राजेश खन्ना (सच्चा झूठा), अमिताभ बच्चन (सत्ते पे सत्ता), हेमा मालिनी (सीता और गीता), शाहरुख खान (डुप्लिकेट) जैसे कई कलाकारों ने दोहरी भूमिका निभाई हैं। एक जैसे चेहरे वाले दो व्यक्तियों की कई कहानी हम परदे पर देख चुके हैं।

‘सुपरस्टार’ भी इसी तरह की फिल्म है, जिसमें बॉलीवुड की पृष्ठभूमि है। इसमें एक व्यक्ति अपने फायदे के लिए अपने जैसे दिखने वाले व्यक्ति की मदद लेता है। विचार बुरा नहीं है, लेकिन ढीली पटकथा और संपादन ने सब कुछ गड़बड़ कर दिया है।

कहानी और पटकथा में कई खामियाँ हैं, जिससे कई प्रश्न अनुत्तरित रह जाते हैं। फिल्म का संपादक तो लगता है कि संपादन करना ही भूल गया।

कुणाल (कुणाल खेमू) एक संघर्षरत कलाकार है, जो सुपरस्टार बनने का सपना देखता है। एक अमीर निर्माता का बेटा करण (कुणाल खेमू) जैसे ही बॉलीवुड में प्रवेश करता है, कुणाल के सपने चकनाचूर हो जाते हैं। वह हूबहू कुणाल जैसा दिखाई देता है। अचानक संघर्ष कर रहा कलाकार सुपरस्टार बन जाता है, जिसके पीछे एक राज छिपा रहता है।

रोहित जुगराज ने निर्देशक के रूप में ‘‍जेम्स’ के बाद अच्छी प्रगति की है। उन्होंने कई दृश्य अच्छे फिल्माए हैं, लेकिन लेखक ने उनका साथ नहीं दिया। इस वजह से उनका प्रयास बेकार जाता रहा।

कुणाल खेमू नए अभिनेता हैं और दोहरी भूमिका निभाना आसान नहीं है। परंतु कुणाल ने उम्दा अभिनय किया है और पात्र के भावों को अच्छी तरह व्यक्त किया है। ट्यूलिप के पास करने को ज्यादा कुछ नहीं था। औशिमा उम्र में कुणाल से बड़ी नजर आईं। दर्शन जरीवाला, रीमा, शरत सक्सेना, अमन वर्मा जैसे सहयोगी कलाकारों का भी अभिनय अच्छा है।

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शमीर टंडन का संगीत ठीक-ठाक है। ‘डू आय लव यू’ और ‘अजनबी’ गुनगुनाने लायक हैं। गानों को फिल्म में उचित स्थानों पर नहीं रखा गया है। कुल मिलाकर ‘सुपरस्टार’ एक औसत फिल्म से ऊपर नहीं उठ पाती है।

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