निर्माता : अनुराग कश्यप, देवेन खोटे, रॉनी स्क्रूवाला, ज़रीना मेहता
निर्देशक : राजकुमार गुप्ता
संगीत : अमित त्रिवेदी
कलाकार : राजीव खंडेलवाल
किसी भी फिल्म को उसकी भव्यता या उसमें काम कर रहे कलाकारों से नहीं परखा जाना चाहिए। ‘आमिर’ फिल्म में इस तरह का कोई आकर्षण नहीं है। कम बजट की इस फिल्म में बड़ी स्टार कास्ट नहीं है। इसे एक नए निर्देशक ने बनाया है और फिल्म को मुंबई की गंदी गलियों में फिल्माया गया है। यह छोटी फिल्म बेहद प्रभावशाली है और सोचने के लिए मजबूर कर देती है।
फिल्म का नायक आमिर (राजीव खंडेलवाल) जब मुंबई आता है तो उसे मालूम नहीं होता कि उसका पाला मुसीबतों से पड़ने वाला है। वह इस दुनिया से अंजान है। आमिर मुंबई के उस इलाके में जाता है, जहाँ तंग और गंदी गलियाँ हैं, सस्ते होटल हैं, भीड़ से भरे बाजार हैं। यह आमिर की दुनिया नहीं है और वह मुसीबतों में फँस जाता है।
‘आमिर’ एक प्रेम कथा नहीं है, न इसमें नायिका है, न हीरो गाना गाता है, न इसे यूएसए या यूरोप के शानदार लोकेशन पर फिल्माया गया है, लेकिन फिर भी फिल्म प्रभावित करती है।
चूँकि फिल्म वास्तविकता के करीब है इसलिए इसे वास्तविक लोकशन पर फिल्माया गया है, जहाँ कई लोग शायद ही गए हो। फिल्म बेहतर बनी है तो इसका सारा श्रेय निर्देशक राजकुमार गुप्ता को जाता है।
उन्होंने कठिन विषय चुना और फिल्म के नायक की असहाय स्थिति को परदे पर बेहतरीन तरीके से उतारा। उन्हें सिनेमाटोग्राफर, संपादक और बैकग्राउंड म्यूजिक का उम्दा साथ मिला।
राजीव खंडेलवाल ने अपनी भूमिका के साथ पूरा न्याय किया। उन्होंने चरित्र की बारीकियों को पकड़ा। उनके हाव-भाव देखने लायक है। बड़े परदे पर उन्होंने जोरदार शुरुआत की है।
‘आमिर’ एक बेहतरीन फिल्म है। यह आपको बेचैन कर देती है। फिल्म अपना संदेश देने में पूरी तरह सफल है। एक बार जरूर देखी जानी चाहिए।