प्रतिभूति बाजार से जुड़ी फर्म एसएमसी ग्लोबल सिक्यूरिटीज लि. के एक विश्लेषण में कहा गया है कि राजकोषीय स्थिति को संभालने के लिए सरकार इस बार के आम बजट में रोजमर्रा के इस्तेमाल के सामानों और ऑटोमोबाइल पर उत्पाद शुल्क की दर दो प्रतिशत बढ़ा सकती है। इसके साथ ही सेवा कर की दरों को भी बढ़ाया जा सकता है।
बजट 2011-12 के बारे में अपने पूर्वानुमान में एसएमसी ग्लोबल सिक्यूरिटीज ने कहा है कि वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी इस बार बजट में सेवाकर की दर को भी मौजूदा 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत करने का प्रस्ताव कर सकते हैं।
फर्म का अनुमान है कि वित्तमंत्री निर्यातकों के लिए लिए दो प्रतिशत ब्याज सब्सिडी की योजना की मियाद शायद ही बढाएँ। फर्म के अनुसार इस वित्तवर्ष में निर्यात क्षेत्र में सुधार हुआ है और कुल वाणिज्यिक निर्यात 2010-11 में 200 अरब डॉलर का आँकड़ा पार कर सकता है। यह सब्सिडी वैश्विक आर्थिक संकट के मद्देजनर शुरू की गई थी और वित्तमंत्री ने पिछले बजट में इसकी मियाद 31 मार्च 11 तक के लिए बढ़ा दी थी।
एसएमसी ग्रुप के प्रबंध निदेशक सुभाष अग्रवाल ने कहा कि राजकोषीय घाटे को सीमित रखने के लिए प्रणब मुखर्जी राजस्व वसूली बढ़ाने पर ध्यान देंगे। वह एफएमसीजी (रोजमर्रा के इस्तेमाल वाली वस्तुओं), ऑटोमोबाइल, सीमेंट, पावर और टेलीकाम क्षेत्र पर उत्पाद शुल्क की दर दो प्रतिशत बढ़ा सकते हैं।
इसके अलावा बजट में सेवा कर में भी दो प्रतिशत की वृद्धि की जा सकती है। वर्ष 2009-10 में वैश्विक मंदी के असर से लड़ने के लिए दी गई राजकोषीय रियायतों के चलते देश का राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद के 6.8 प्रतिशत तक चला गया था। चालू वित्तवर्ष में इसको 5.5 प्रतिशत तक सीमित रखने का लक्ष्य है।
अग्रवाल की राय में बजट में सेवा कर का दायरा बढ़ाया जा सकता है। शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र की विभिन्न सेवाओं को इसके दायरे में डाले जाने की संभावना है।
रपट में कहा गया है कि मुद्रास्फीति के 5 से 6 प्रतिशत के दायरे में आने के बाद ही सरकार डीजल के दाम पर से नियंत्रण उठाने का विचार कर सकती है। यह काम होगा भी तो बजट के बाद ही होगा। (भाषा)