इस वर्ष धनतेरस सुख-समृद्घि देने वाली होगी। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र व सोमवार के संयोग से श्रीवत्स योगाः बन रहा है, यह महत्वपूर्ण योग सुख-समृद्घि देने वाला होता है। धनतेरस आयुर्वेद के अधिष्ठाता भगवान धन्वंतरि की जयंती भी है। इस दिन धन्वंतरि पूजन की शास्त्रोक्त मान्यता है। लोक परंपरा अनुसार धनतेरस पर आभूषण, बर्तन या गृह उपयोगी वस्तुएं खरीदी जाती हैं। इस दृष्टिकोण से भी इस वर्ष धनतेरस शुभ है।
पांच दिवसीय दीपावली पर्व का आरंभ धन त्रयोदशी से होता है। इस दिन सायंकाल घर के मुख्य द्वार पर यमराज के निमित्त एक अन्न से भरे पात्र में दक्षिण मुख करके दीपक रखने एवं उसका पूजन करके प्रज्ज्वलित करने एवं यमराज से प्रार्थना करने पर असामयिक मृत्यु से बचा जा सकता है।
धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि का जन्म हुआ था। समुद्र मंथन के समय इसी दिन धन्वंतरि सभी रोगों के लिए औषधि कलश में लेकर प्रकट हुए थे। अतः इस दिन भगवान धन्वंतरि का पूजन श्रद्धापूर्वक करना चाहिए जिससे दीर्घ जीवन एवं आरोग्य की प्राप्ति होती है।
धनतेरस के दिन अपनी शक्ति अनुसार बर्तन क्रय करके घर लाना चाहिए एवं उसका पूजन करके प्रथम उपयोग भगवान के लिए करने से धन-धान्य की कमी वर्षपर्यंत नहीं रहती है।
धनतेरस के लिए बाजार पूरी तरह से तैयार हैं। शुभ मुहूर्त में सराफा और बर्तन बाजार में जमकर खरीदी होगी। भगवान धन्वंतरि का पूजन भी होगा। सुख समृद्धि धन-धान्य की कामना की जाएगी। परिवार में संपत्ति व धनलक्ष्मी की पूजा होगी। वाहनों और इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं की दुकानों पर भी भीड़ उमड़ेगी।
धनतेरस के संबंध में पं. आनंदशंकर व्यास के अनुसार धनतेरस पर उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र व सोमवार से श्रीवत्स योगाः बन रहा है। यह महत्वपूर्ण योग है। सुख-समृद्घि देने वाला है। परंपरानुसार धनतेरस पर आभूषण, बर्तन व गृह उपयोगी वस्तुएं खरीदी जाती हैं। इस धनतेरस पर शुभ मुहूर्त में इन वस्तुओं के खरीदने से ये उत्तम फल देगी। आयुर्वेद से जुड़े लोग धन्वंतरि पूजन भी करेंगे।
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कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि पर क्रमशः तिथि उत्तरार्द्घ अनुक्रम में गोवत्स द्वादशी, सोम प्रदोष तथा धनतेरस का संयुक्त क्रम आ रहा है। निर्णय सिंधु की मान्यता के अनुसार इस दिन यम तर्पण तथा दीपदान की परंपरा त्रिरात्रिकाल मानी जाती है। -पं. अमर डब्बावाला
पं. हरिहर पंड्या के अनुसार, धनतेरस मूल रूप से भगवान धन्वंतरि की जयंती है। इस दिन धन खरीदने का कहीं कोई उल्लेख नहीं है। धन्वंतरि के आगे धन शब्द से लोक परंपरा में इस दिन धन (आभूषण, बर्तन आदि) खरीदने की मान्यता जुड़ गई है। मूल रूप से चौमासा (वर्षाकाल) में वर्षाजनित रोगों से मुक्ति के लिए भगवान धन्वंतरि का पूजन किया जाना चाहिए।