लक्ष्मी आह्वान से मन को प्रकाशित करें

डॉ. रामकृष्ण डी. तिवारी

Webdunia
ND
वैदिक ग्रंथों में मन को सर्वशक्तिमान ईश्वर का स्वरूप ब्रह्म संबोधित किया है। उसे सृष्टि का निर्माता ब्रह्मा कहा गया है। इस जगत में इससे अधिक बलशाली कुछ नहीं है। यह प्रकाशक होकर ज्योति रूप में विद्यमान विद्या (ज्ञान) का द्योतक है। त्रिकाल इसमें ही है।

इसके शुचि होने से दुनिया में हिंसा, द्वेष, द्वंद्व सहित समस्त अनीति के विनाश के लिए अतिरिक्त प्रयास की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी। उपनिषदों के अनुसार मन अभीष्ट सिद्धि में वाहन का कर्म करता है। इससे असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है। मन में निवास करने वाली इच्छाशक्ति और उत्साह को पति-पत्नी के संबंध से वर्णित किया गया है। संकल्प (विचार) से इच्छाशक्ति का जन्म हुआ है।

संकल्प मन से ही उत्पन्न होने पर सफल होता है। संकल्प शक्ति (विचार शक्ति) से किसी भी आध्यात्मिक, भौतिकीय क्षेत्र पर विजय प्राप्त की जा सकती है। इसके अभाव में चींटी मारना भी दुष्कर कर्म है।

सा ते काम दुहिता धेनुरुच्यते,
यामाहुर्वाचं कवयो विराजम्‌।
तया सपत्नान्‌ परि वृद्धि ये मम,
पर्येनान्‌ प्राणः पशवो जीवनं वृणक्त ु
अथर्ववेद 9.2.5

अर्थात्‌ हे इच्छाशक्ति! उस तुम्हारी पुत्री को कामधेनु कहते हैं, जिनको विद्वान्‌जन विराट वाणी कहते हैं। उस वाणी से मेरे शत्रुओं का नाश करो। इन शत्रुओं को प्राणशक्ति, पशुधन और जीवन पूर्णतया छोड़ दें।

जिस प्रकार मन में भावों का उदय होता है, उसी तरह की वाणी व व्यवहार दृश्यमान होता है। जो समस्त कामनाओं को पूर्ण करने वाली कामधेनु है, उसका रिश्ता मन से सीधा है। जिसकी ताकत अणु-परमाणु अस्त्र-शस्त्र से अधिक है। जिसकी गति से अधिक किसी की भी चाल नहीं है। जिसके संचालन के लिए किसी बृहत्‌ भौतिक प्रबंधन की जरूरत नहीं है।

जो जनसामान्य में असामान्य होकर सदैव विराजमान है। इस रत्नरूपी लक्ष्मी की पूजा व प्रयोग करके हम अपने जीवन को समृद्ध बना सकते हैं। इस देश ने हमेशा इसी शक्ति के बल पर संसार का गुरु होने का गौरव प्राप्त किया।

मन की पवित्रता एवं विचार शक्ति के माध्यम से साधनहीन वन में तप करके जनकल्याण के लिए जो सूत्र हमारे ऋषियों ने दिए, वे विज्ञान की संतृप्त अवस्था के नाम से जाने जाते हैं। इससे अधिक मूल्यवान लक्ष्मी कुछ नहीं है।

ज्योति पर्व पर हमारी मन की शक्ति में शुद्ध-पवित्र विचार आए ं एवं इन संकल्प को प्राप्त करने की इच्छाशक्ति सभी को मिले। जो प्रत्येक जन के लिए सहज-सुलभ हैं। केवल उसे ज्ञात करके उसका प्रयोग प्रारंभ हो सके, यही शुभकामना है।

क्रियासिद्धिः सत्वे भवति महतां नोपकरणे ।

कार्य की सफलता दृढ़ निश्चय एवं आत्मबल पर निर्भर है, न कि साधनों पर। जहां दृढ़ता है वहीं पर सफलता है। जहां अस्थिरता है, वहां सफलता में संदेह है। इस ध्येय सूत्र का स्मरण रखकर हम अपने मंगलमय लक्ष्य का संकल्प करें, तो ईश्वर की कृपा के रूप में विद्यमान मन जो कि प्राण शरीर में सदैव निवास करता है, हमारी कामनारूपी लक्ष्मी को प्रदान करेगा।

इसके लिए बड़े उपकरणों की जरूरत नगण्य हो जाएगी। आइए, इस प्रकाश पर्व पर हम पवित्र-मंगल मन वाली लक्ष्मी का आह्वान व पूजन करें, जिससे हमसे लेकर विश्व मात्र का कल्याण हो और हमारे देश के खोए हुए गौरव 'विश्व गुरु' की प्राप्ति हो, इसे विश्व गुरु के संबोधन वाली ध्वनि का सत्कार मिले।

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

निमाड़ की आध्यात्मिक पहचान 'संत सियाराम बाबा'

कैसे बना देवास में मां तुलजा भवानी और चामुंडा माता का मंदिर?

साल 2025 के शुरुआत में सूर्य और शनि की युति, 3 राशियों को होगा जबरदस्त फायदा

यदि देश में युद्ध या अशांति का माहौल बनता है तो आप कहां सुरक्षित रह सकते हैं?

वर्ष 2025 में राहु का होगा कुंभ में गोचर, 4 राशियों को कर देगा मालामाल

सभी देखें

धर्म संसार

Aaj Ka Rashifal: क्या कहती है आज आपकी राशि, पढ़ें 13 दिसंबर का दैनिक भविष्यफल

13 दिसंबर 2024 : आपका जन्मदिन

13 दिसंबर 2024, शुक्रवार के शुभ मुहूर्त

साल 2025 के लिए नास्त्रेदमस की ये पांच भविष्यवाणियां हैं चौंकाने वाली, जान कर उड़ जाएंगे होश

Christmas Day 2024: कैसे करें क्रिसमस सेलिब्रेशन की तैयारी?