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वैस से मोबाइल कंपनि‍यों का बेड़ा पार

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नई दिल्ली, प्रति सेकेंड शुल्क योजना आने के बाद मोबाइल सेवा बाजार में शुरू हुई जबरदस्त प्रतिस्पर्धा से कंपनियों की आय प्रभावित हो रही है। यही वजह है कि अब कंपनियाँ मूल्यवर्धित सेवाओं (वैस) पर अधिक ध्यान दे रही हैं।

भविष्य में आय में मूल्यवर्धित सेवाओं का अहम योगदान रहने की उम्मीद में एयरसेल ने हाल ही में एप्लीकेशन स्टोर लॉन्‍च करने के लिए इनफोसिस टेक्नोलाजीज से गठबंधन किया। इससे एयरसेल के ग्राहक एप्लीकेशन ढूँढ कर डाउनलोड कर सकते हैं।

मोबाइल एप्लीकेशन स्टोर की सेवाओं का इस्तेमाल कर ग्राहक गाने, वीडियो, गेम्स और स्वास्थ्य, वित्त, मनोरंजन एवं अन्य क्षेत्रों से जुड़ी जानकारियाँ या तो मुफ्त में या कुछ शुल्क देकर डाउनलोड कर सकते हैं।

मोबाइल फोन सेवा प्रदाता ही नहीं, बल्कि नोकिया जैसी हैंडसेट बनाने वाली कंपनियाँ भी इस तरह की सेवाएँ देने के लिए ऑपरेटरों से हाथ मिला रही हैं। एप्लीकेशन स्टोर की अवधारणा एपल ने अपने आईफोन ग्राहकों के लिए पेश की थी।

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हाल ही में अनुसंधान फर्म फ्रास्ट एंड सुलिवैन की एक रपट के मुताबिक, शुल्क दर घटने के साथ प्रति उपभोक्ता औसत आय (एआरपीयू) दरें घट रही हैं जिससे मोबाइल आपरेटर वैस बाजार पर ध्यान केन्द्रित कर रही हैं।

भारती और एयरसेल की पहल से साफ है कि आपरेटर हैंडसेट कंपनियों के पक्ष में बाजार हिस्सेदारी नहीं गंवाना चाहती हैं। हैंडसेट बनाने वाली एक दूसरी कंपनी मोटोरोला ने मूल्यवर्धित सेवाओं की पेशकश करने के लिए आईटी फर्म टेक महिन्द्रा के साथ कैनवासएम नाम से एक संयुक्त उद्यम कंपनी स्थापित है।

यह संयुक्त उद्यम कंपनी इस समय करीब 3 करोड़ डॉलर मूल्य के ठेके हासिल करने की कोशिश में हैं। कैनवासएम के सीईओ जगदीश मित्रा ने कहा, ‘मूल्यवर्धित सेवाओं का बाजार बढ़ेगरा। हम भारत और विदेश में तीन करोड़ डॉलर मूल्य के आर्डर हासिल करने की कोशिश में है और 2010 की पहली तिमाही में दो सौदे होने की उम्मीद है।’

वर्तमान में मूल्यवर्धित सेवाओं के तहत रिंगटोन, कॉल बैक टोन्स, गेम्स, म्यूजिक, ज्योतिष एवं अन्य सेवाएँ शामिल हैं और दूरसंचार कंपनियों की आय में इनका 10 फीसद योगदान है। (भाषा)

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