इस हल्ले में कई ऐसे लोग भी चुनाव जीत जाएंगे, जो मोदी नहीं होते तो शर्तिया हार जाते। अभी यूपी में जो रेकॉर्डतोड़ वोटिंग हुई है, उसका फायदा मोदी के चलते भाजपा को ही मिलने वाला है। आगे जहां-जहां मतदान है, वहां भी खूब मतदान होगा, ऐसी संभावना है और उसका फायदा भाजपा को मिलेगा, इसकी भी उम्मीद है।
नरेन्द्र मोदी का उभार क्या महज इत्तफाक है? क्या वाकई मोदी के कारण इलाकाई पार्टियों का वजूद खतरे में है? दोनों सवालों का जवाब फिलहाल 'हां' है। मोदी का उभार मनमोहन सिंह जैसे नेता के कारण हुआ, जो व्यक्तित्वविहीन हैं।
देश ऐसे नेता को पसंद नहीं करता जिसकी अपनी कोई हैसियत, कोई शख्सियत न हो फिर चाहे ऐसा आदमी कितना ही काबिल क्यों न हो। देश ऐसे आदमी को भी पसंद नहीं करता, जो अरविंद केजरीवाल की तरह कुर्सी छोड़ दे।
देश पसंद करता है मोदी जैसे शख्स को जिसने गुजरात दंगों पर माफी नहीं मांगी तो नहीं मांगी। दुख जताने की बात आई तो कह दिया कि कुत्ते का पिल्ला भी मरे तो दुख होता है।
मोदी ने इस तरह से हिन्दुत्व समर्थकों का दिल जीता और कथित सुशासन से युवा और पढ़े-लिखे लोगों को अपनी तरफ कर लिया। दिल में हिन्दुत्व की भावना रखने वाले भी कहने लगे कि हम तो मोदी के विकास के लिए भाजपा को वोट देंगे। ऐसा कोई दूसरा नेता भाजपा के संक्षिप्त इतिहास में है ही नहीं, जो दोनों मोर्चों पर इतना कामयाब हो।
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