वाराणसी की चुनावी जंग में नित नए समीकरण बन रहे हैं। पहले बाहुबली अजय राय का यहां से कांग्रेस उम्मीदवार बनना, फिर दूसरे बाहुबली मुख्तार अंसारी ने मैदान छोड़ दिया। अंसारी के हटने के बाद अब सबकी नजर मुस्लिम वोटों पर है। अब यहां गुप्त बैठकों का दौर शुरू हो गया है, जो क्लबों से लेकर अन्य ठिकानों पर हो रही है।
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उल्लेखनीय है कि पिछले चुनाव में यहां से भाजपा ने डॉ. मुरली मनोहर जोशी को टिकट दिया था, जो कि दो लाख से ज्यादा वोट हासिल कर विजयी हुए थे, वहीं कांग्रेस के वर्तमान उम्मीदवार अजय राय (तब समाजवादी पार्टी से) करीब 1 लाख 24 हजार वोट हासिल कर तीसरे स्थान पर रहे थे। कांग्रेस की स्थिति उस चुनाव में बहुत अच्छी नहीं थी। तब कांग्रेस उम्मीदवार राजेश मिश्रा को मात्र 66 हजार वोट मिले थे।
कांग्रेसी खेमा यहां इसलिए मायूस और असंतुष्ट नजर आ रहा कि यहां से पार्टी ने सपा से आए अजय राय को टिकट दे दिया। मोदी समर्थक इस स्थिति का फायदा उठाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं और वे कांग्रेस के असंतुष्टों से लगातार संपर्क बनाए हुए हैं साथ ही उनके साथ गुप्त स्थानों पर बैठकें भी कर रहे हैं। कांग्रेस नेता इसलिए भी नाराज चल रहे हैं कि उन्हें राहुल खेमे से कोई सहयोग नहीं मिला। इसलिए वे राहुल गांधी के विरोध में भी उतर आए हैं।
दूसरी ओर कांग्रेस कार्यकर्ताओं को अजय राय खेमा भी तवज्जो नहीं दे रहा है। इसके चलते भी उनका झुकाव भाजपा की तरफ हो गया है। दूसरी अजय राय के समर्थक भी मुख्तार अंसारी के साथ तालमेल बैठाने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे उनका वोट बैंक अजय राय की झोली में आ जाए। भाजपा नेता भी पूरे घटनाक्रम पर सतर्कता से नजर रखे हुए हैं। अब बनारस के राजनीतिक समीकरण क्या गुल खिलाएंगे यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।