पूरे देश की निगाह गुजरात विधानसभा चुनाव पर लगी हुई है, खासकर भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए तो यह प्रतिष्ठा का प्रश्न बना हुआ है। इसीलिए प्रचार में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहता।
इसके लिए देश की राजधानी में बैठे कांग्रेस-भाजपा के आला नेताओं से लेकर फिल्मी सितारों तक की सभाएँ गुजरात में करवाई जा रही हैं।
लेकिन हाल ही में हुईं कुछ चुनावी सभाओं पर गौर करें तो लगता है जो नेता अब तक 'हीरो' नजर आ रहे थे, गुजरात आकर वे 'जीरो'साबित हो गए।
लोगों पर से उनका जादू हट गया है और सभाओं में 'जन' के नहीं पहुँचने से वे फ्लाप शो साबित हो रही हैं। भीड़ जुट भी रही है तो सिर्फ सोनिया गाँधी और नरेंद्र मोदी की सभाओं में।
गुजरात में इस माह होने जा रहे चुनावों में प्रचार के लिए भाजपा और कांग्रेस सहित सभी राजनीतिक दलों के नेताओं का हुजूम उमड़ रहा है।
स्थानीय नेता तो चुनाव प्रचार में लगे हुए ही हैं, राष्ट्रीय स्तर के नेता भी दल-बल सहित पहुँच रहे हैं। इनमें भी भाजपा ने तो पहले चरण के चुनाव के लिए एक साथ 51 नेताओं को एक ही दिन चुनाव सभा में उतार दिया, लेकिन वह सभा भी नहीं चल पाई।
स्थिति यह है कि घर-घर में तुलसी के रूप में मशहूर स्मृति ईरानी की सभा भी इसलिए स्थगित करना पड़ी कि भीड़ नहीं जुट पा रही थी।
हाल तो तब और खराब हो गया जब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह, लालकृष्ण आडवाणी, सुषमा स्वराज, वेंकैया नायडू जैसे नेताओं की सभाओं को भी उतना रिस्पांस नहीं मिला।
ऐसा नहीं है कि ऐसा सिर्फ भाजपा के साथ हो रहा है, कांग्रेस भी इससे अछूती नहीं है। दिग्विजयसिंह, अजीत जोगी, मोहन प्रकाश, अहमद पटेल जैसे नेताओं की सभाएँ फ्लाप शो साबित हो रही हैं।
इसका सीधा कारण यह भी माना जा रहा है कि चुनाव दो दलों के बीच नहीं बल्कि मोदी और कांग्रेस के बीच है। एक तरफ मोदी को हराने की होड़ है तो दूसरी तरफ मोदी की जीतने की जिद। इसीलिए भीड़ भी केवल नरेंद्र मोदी और सोनिया गाँधी की सभाओं में ही पहुँच रही है। (नईदुनिया)