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सेहत बिगाड़ सकते हैं 'ताजे' फल

बेमौसम फलों से परहेज जरूरी

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हमें फॉलो करें ताजे फल
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अगस्त-सितंबर महीने में व्रत रखने वाले लोगों की संख्या बढ़ जातीं हैं। इनमें से ज्यादातर लोग फलों का सेवन यह सोचकर करते हैं कि इनसे मिलने वाला विटामिन शरीर को ताकत प्रदान करेगा और व्रत के बावजूद उनका शरीर स्वस्थ रहेगा, लेकिन यह शायद ही कम लोगों को मालूम हो कि ये चमकदार ताजे दिखते विदेशी फल स्वास्थ्य के लिए कितने नुकसानदायक है।

अपोलो के गेस्ट्रोएन्ड्रोलॉजिस्ट डॉ. देवेंद्र सिंह का कहना है कि फलों में पॉलिशिंग करने का सिलसिला काफी समय से चल रहा है। इससे बासी फल भी चमकदार दिखने लगते हैं। ऐसे फलों के सेवन से आदमी पहले पीलिया या फिर आंत्रशोथ की चपेट में आता है। हालाँकि तत्काल उपचार से वह ठीक तो हो जाता है, लेकिन बाद में वह पेट संबंधी अन्य बीमारियों के चपेट में आ जाता है।

बेमौसम फलों से परहेज जरूरी
कोई भी परिवार फल की खरीदी उसी दुकानदार से खरीदे जिनसे वे नियमित खरीदी करते हैं। यदि दूसरे दुकानदार के पास पहुँच भी जाते हैं तो उनसे बेमौसम फल न खरीदें। यही खतरनाक हो सकता है। फल खरीदने के बाद उसे खाने से पहले पानी में कुछ घंटे भिगोकर रखें, इससे फलों का केमिकल उतर जाएगा।

सेहत बनाने के चक्कर में फलों का सेवन सेहत बिगाड़ सकता हैं, क्योंकि वर्तमान में दुकानों में इन्हें तरोताजा रखने के लिए इन पर मोम व कैमिकल्स की पॉलिश की जाती है। इनसे अल्सर व पाचन संबंधी बीमारी हो सकती है।

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इस धंधे में लोगों की जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। दरअसल इन्हें तरोताजा रखने के लिए इन पर मोम व केमिकल्स की पॉलिश की जा रही है। इससे इनकी चमक वास्तविकता से कई गुना बढ़ जाती है। कुछ फल विक्रताओं का मानना है कि विदेशी फल दिल्ली व मुंबई के रास्ते शहर पहुँचते हैं। फलों पर पॉलिशिंग का पूरा काम इन्हीं महानगरों से होता है। इसके बाद ही इसकी सप्लाई अन्य शहरों में होती है।

क्यों होती पॉलिशिंग
फलों के अंदर जितने अधिक समय तक नमी बनी रहती है, वह उतने समय तक ताजा दिखते हैं। इसलिए व्यापारियों द्वारा फल के ऊपरी भाग पर मोम की परत चढ़ा दी जाती है। जिससे फलों के पोर बंद हो जाते हैं और नमी बाहर नहीं निकल पाती। ऐसा उन फलों के साथ ज्यादा किया जाता है, जो जल्दी खराब होते हैं। इनमें अंगूर, सेब आदि शामिल है।

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छीलकर खाएँ फल
आमतौर पर लोगों की धारणा यह रहती है कि फलों के छिलके में ही स्वास्थ्यवर्धक तत्व होते हैं। ऐसे में छिलका नहीं निकालना चाहिए।

कुछ डायटीशियनों का मानना है कि सेब, नाशपत्ती जैसे फलों को छीलकर ही खाना चाहिए वरना अल्सर या पाचन संबंधी कई बीमारियों के चपेट में आ सकते हैं।

सब्जियों पर भी अपनाया जाता तरीका : पॉलिशिंग करने का यह तरीका न सिर्फ फलों पर बल्कि सब्जियों पर अपनाया जाता है। सब्जी तारोताजा दिखने से ग्राहक भी अधिक दाम में इसे खरीदते हैं।

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