अजहर हाशमी
क्यों समझती खुद को तुम कमजोर बिटिया?
अपनी ताकत पर करो तुम गौर बिटिया।
सृष्टि में तुम सूर्य की पहली किरण हो
रोशनी का तुम सुनहरा भोर बिटिया।
मंदिरों की घंटियों की गूँज हो तुम
शक्ति की पूजा का तुम्हीं ठौर बिटिया।
धर्म, दर्शन, ज्ञान की उड़ती पतंगें
इन पतंगों की तुम्हीं हो डोर बिटिया।
तुम रहो चौकस तो बिलकुल न बनोगी
वासना के भेड़ियों का कौर बिटिया।
राह में ठोकर लगे, हिम्मत न हारो
फिर करो कोशिश कोई पुरजोर बिटिया।
एक दिन निश्चित तुम्हें मंजिल मिलेगी।