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हिन्दुत्व और हिन्दू राष्ट्र भारत की पहचान, RSS शताब्दि वर्ष की नागरिक गोष्ठी में बोले दत्तात्रेय होसबाले

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
सोमवार, 1 दिसंबर 2025 (18:40 IST)
पुराणों और दुनिया के विभिन्न विद्वानों ने हिन्दू और हिन्दुस्तान को अलग-अलग कालखंडों में परिभाषित किया। भारत, मानव धर्म का देश है, जो सृष्टि में एकत्व का दर्शन करता है, इसकी सृष्टि के प्रति कृतज्ञता की दृष्टि है। यहां पुरुषार्थ के आधार पर आत्मा की मुक्ति के प्रयासों के पुरुषार्थ और सत्य को जीवन में आचरण में लाने का उद्देश्यपूर्ण जीवन है। ये विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह   दत्तात्रेय होसबाले ने संघ स्थापना के शताब्दि वर्ष में इंदौर रवीन्द्र नाट्यगृह में आयोजित प्रमुख नागरिक गोष्ठी में व्यक्त किए। 
 
यह मानव धर्म विश्व को बताने वाले हिन्दू है, जिनके जीवन में यह परिलक्षित भी होता है। इसी कारण यह हिन्दू धर्म है। अत: हिन्दू एक भू-सांस्कृतिक अवधारणा है। हिन्दू धर्म संवेदना, कर्तव्य, गुण (कैरेक्टरीस्टिक ) और जीवन शैली के साथ उपासन पद्धति से संबंधित है। मानव कल्याण के लिए धर्म की संकल्पना हिन्दूओं का महानतम योगदान है। हिन्दू धर्म को आचरण में लाने वाले सभी मत-पंथ हिन्दूत्व के अंग है।

गोष्ठी के प्रथम सत्र में ‘संघ यात्रा के सौ वर्ष’ विषय पर बोलते हुए होसबाले ने संघ स्थापना की पृष्ठभूमि और उद्देश्य को स्पष्ट किया। संगठन के अभाव, आचरण में धर्म को छोड़ने, पराधीनता के काल में सांस्कृतिक आत्महीनता और स्वार्थ केन्द्रित लालसा के कारण समाज पतन की ओर अग्रसर हुआ एवं पराधीन भी हुआ। अत: व्यक्तिगत एवं राष्ट्रीय चारित्र्य से युक्त समाज के निर्माण के लिये पूजनीय डॉ हेडगेवार जी ने संघ की स्थापना की। इस हेतु संगठन और संगठन हेतु शाखा पद्धति विकसित की।

प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं के द्वारा समाज जीवन में भारत केन्द्रित विचार पर चलने वाले संगठन खड़े किये। पूजनीय गुरूजी ने संघ के वैचारिक अधिष्ठान को पुष्ट किया और कार्यकर्ताओं के लिये प्रेरणा नेतृत्व दिया। अपने अलौकिक नेतृत्व से समाज के प्रमुख लोगों से संवाद कर संघकार्य को आगे बढ़ाया।  आपदाओं में संघ कार्यकर्ता सदैव अग्रणी रहे है।आपातकाल में अपार कष्ट सहते हुए लोकतंत्र की पुनर्स्थापना का कार्य संघ ने किया। 
इतिहास गवाह है कि हिंदू कनवर्जन नहीं करता। वह इंक्लूजन में विश्वास रखता है! स्वामी विवेकानंद ने भी अमेरिका में धर्म संस्कृति का प्रचार किया, किसी को रिलीजन बदलने के लिये नहीं कहा। 
 
पश्चिमीकरण और आधुनिकता से संबंधित प्रश्न के उत्तर में आपने कहा कि जीवन के हित और विकास के लिये जो ग्रहण करने योग्य है, वो स्वीकार करना चाहिये।  युवा और नशे से संबंधित प्रश्नों के जवाब में आपने कहा कि परिवारों में संस्कार के प्रयासों,  जीवन के उदाहरण और कठोर क़ानून के द्वारा इस समस्या का समाधान संभव है। स्वनियंत्रण और मोबाइल के दुष्प्रभावों के बारे में जनजागरण से मोबाइल की लत से बचाव संभव है। 
 
धर्म और पंथ से संबंधित प्रश्न के उत्तर में आपने कहा कि सबकी अपनी अपनी गाडी हो सकती है, छोटी-बडी, सस्ती महंगी! यातायात नियम सबके लिए एक हैं! गाडी 'रिलीजन' है और यातायात नियम 'धर्म'। रिलीजन बदला जा सकता है,  धर्म नहीं। रिलीजन बदलने के पीछे के इरादे गलत हों तो उससे सावधान होने, रोकने की आवश्यकता है, हम रोकेंगे भी।
एक प्रश्न के जवाब में बताया कि सेकुलिरज्म के दुराग्रह के कारण लोग अपने आप को हिन्दू कहने में संकोच करने लगे, जिसके कारण हिन्दुत्व के विषय को नयी पीढ़ी में ले जाने की आवश्यकता है। नई पीढ़ी अध्ययन और शोध के आधार पर हिन्दूत्व को समझने का प्रयास कर रही है। इसका स्वागत होना चाहिये, यही पीढ़ी भारत और हिन्दुत्व को पुनर्स्थापित करेगी।
 
कार्यक्रम में मालवा प्रांत के समाज जीवन के विभिन्न क्षेत्रों उद्योग, चिकित्सा, वैज्ञानिक, साहित्य , मीडिया, शिक्षा, प्रशासन, न्यायिक जगत, खेल और सामाजिक संगठनों के 750 से अधिक महानुभाव उपस्थित थे। कार्यक्रम में मंच पर माननीय प्रांत संघचालक प्रकाशजी शास्त्री एवं इन्दौर विभाग विभाग संघचालक मुकेशजी मोढ भी उपस्थित थे।
 
इंदौर में किया गृह संपर्क 
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष के महत्वपूर्ण कार्यक्रम वृहद गृह संपर्क अभियान के अंतर्गत सरकार्यवाह माननीय दत्तात्रेय जी होसबाले भी सम्मिलित हुए। अपने इन्दौर प्रवास में उन्होंने आज वाल्मीकि समाज के चौधरी जमींदार देव कुमार पिता ब्रम्हा बिरगड़े के 11/4 न्यू पलासिया हरिजन कालोनी इंदौर स्थित निवास पर गृह संपर्क किया। आपने परिवार के साथ आत्मीयता से संवाद किया। 
 
सरकार्यवाहजी ने परिवार को संघ साहित्य भेंट किया तथा चर्चा के दौरान संघ की शताब्दी यात्रा का वर्णन किया। उन्होने परिवार के प्रत्येक सदस्य से कुशलक्षेम की पूछताछ तथा राष्ट्र प्रथम के भाव को अपने  जीवन में सर्वोपरि रखने की सीख दी। उन्होने परिवार के सदस्यों को पंच परिवर्तन की विस्तार से जानकारी दी तथा इनका संकल्प लेकर भारत को 2047 तक विश्व का अग्रणी राष्ट्र बनाने की प्रेरणा दी।

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