Hanuman Chalisa

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

नेपाल में Gen-Z आंदोलनकारियों की मांग, संविधान में संशोधन, संसद भंग करो, राजनीतिक दलों को दी चेतावनी, क्या अंतरिम PM को लेकर बन गई सहमति

Advertiesment
हमें फॉलो करें nepal violence

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

काठमांडू , गुरुवार, 11 सितम्बर 2025 (23:12 IST)
नेपाल में सरकार विरोधी प्रदर्शनों का नेतृत्व कर रहे Gen-Z समूह ने गुरुवार को कहा कि संसद को भंग किया जाना चाहिए और लोगों की इच्छा को प्रतिबिंबित करने के लिए संविधान में संशोधन किया जाना चाहिए। इस बीच प्रदर्शनों में मरने वालों की संख्या बढ़कर 34 हो गई है। मीडिया खबरों के मुताबिक 1338 लोग घायल हुए हैं। मीडिया प्रदर्शनकारियों ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया।
ALSO READ: नेपाल में तख्तापलट के बाद अंतरिम सरकार के गठन पर गहराया संकट, बड़ा सवाल, क्या भटक गया Gen-Z आंदोलन?
Gen-Z कार्यकर्ताओं ने बातचीत और सहयोग के माध्यम से समाधान खोजने की आवश्यकता पर बल दिया। शुक्रवार को अंतरिम प्रधानमंत्री को लेकर फिर चर्चा होगी। इस बीच, नेपाल के विभिन्न राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई हैं। उनका कहना है कि शांति बहाली के प्रयास लोकतांत्रिक मर्यादा के अनुरूप और संविधान के दायरे में हों।
पुराने राजनीतिक दलों को दी चेतावनी 
Gen-Z समूह के प्रतिनिधि दिवाकर दंगल, अमित बनिया और जुनल दंगल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। उन्होंने पुराने राजनीतिक दलों को चेताया कि वे अपने निहित स्वार्थों के लिए उनका इस्तेमाल ना करें। एक कार्यकर्ता ने कहा कि यह पूरी तरह से नागरिक आंदोलन है, इसलिए इसमें राजनीति करने की कोशिश ना करें। दंगल ने कहा कि हमारे सामने राष्ट्रीय संप्रभुता, एकता की रक्षा और आत्म-सम्मान बनाए रखने की चुनौती है। हम सभी नेपालियों को इस कठिन परिस्थिति में नेपाली जनता के कल्याण और हितों की रक्षा के लिए एकजुट होना चाहिए। 
 
संसद को भंग करें, संविधान में संशोधन हो
एक अन्य कार्यकर्ता ने कहा कि संसद को भंग कर देना चाहिए और लोगों की भावना के अनुसार संविधान में संशोधन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारा संविधान को खत्म करने का कोई इरादा नहीं है, लेकिन हम चाहते हैं कि लोगों की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए कुछ बड़े संशोधन किए जाएं। 
सुशीला कार्की और घीसिंग के नाम को लेकर तकरार
कुछ कार्यकर्ताओं ने नए प्रधानमंत्री पद के लिए पूर्व प्रधान न्यायाधीश सुशीला कार्की का समर्थन किया, जबकि अन्य ने नेपाल विद्युत प्राधिकरण के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) कुलमन घीसिंग का समर्थन किया। एक अन्य कार्यकर्ता ने कहा कि उनका देश का नेतृत्व संभालने का कोई इरादा नहीं है, बल्कि वो सिर्फ एक प्रहरी बनना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि हम सरकार में भाग नहीं लेंगे, बल्कि एक प्रहरी बने रहना चाहते हैं।  
स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया मौत का आंकड़ा 
स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि सोमवार और मंगलवार को हुए जबरदस्त विरोध प्रदर्शनों में अब तक 34 लोगों की मौत हो चुकी है। मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, देश भर के अस्पतालों में 1,338 लोग भर्ती हैं, जबकि 949 को पहले ही छुट्टी दे दी गई है। नेपाल में राजनीतिक संकट तब पैदा हो गया था जब मंगलवार को भारी विरोध प्रदर्शनों के बीच ओली ने पीएम पद से इस्तीफा दे दिया था। इनपुट एजेंसियां  Edited by : Sudhir Sharma

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Ajaz Khan पर FIR, गैंगस्टर सलमान लाला को लेकर सोशल मीडिया पर पोस्ट की थी वि‍वादित रील, अब पुलिस से मांगने लगे माफी