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नेपाल में Gen-Z revolution, कौन हैं प्रदर्शन करने वाले युवा, ओली सरकार के खिलाफ क्यों हैं आक्रामक, तोड़फोड़-आगजनी में 16 की मौत, 200 से ज्यादा घायल

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
सोमवार, 8 सितम्बर 2025 (16:50 IST)
नेपाल में ओली सरकार के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान 16 लोगों की मौत हो गई। मीडिया खबरों के मुताबिक नेपाल पुलिस ने इसकी पुष्टि की है। इस प्रदर्शन में छात्र और खासकर नई पीढ़ी के युवा सरकार के खिलाफ अपनी आवाज उठा रहे हैं। 200 से ज्यादा युवा घायल भी हुए। इस प्रदर्शन की अगुआई Gen-Z यानी 18 से 30 साल के युवा कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी संसद भवन में खुस गए। जानिए आखिर  किस मुद्दे को लेकर अक्रोश में हैं Gen-Z।  हजारों लोगों में सबसे अधिक युवा शामिल हैं। यही कारण है कि इस प्रदर्शन को जेन जी रिवॉल्यूशन (Gen-Z Revolution) नाम दिया गया है। 
 
सोशल मीडिया पर सरकार ने लगाया था बैन
नेपाल ने निर्धारित समय सीमा के भीतर संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में पंजीकरण कराने में विफल रहने फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब जैसी सोशल मीडिया मंचों पर प्रतिबंध लगा दिया। मंत्रालय द्वारा जारी नोटिस में कहा गया है कि इन सोशल मीडिया कंपनियों को पंजीकरण के लिए 28 अगस्त से सात दिन का समय दिया गया था।
कौन है Gen-Z  
जेन जी (Gen-Z) एक जनरेशन यानी पीढ़ी है, जिसे Generation Z कहा जाता है। इसमें वे लोग आते हैं जिनका जन्म साल 1997 से लेकर 2012 तक हुआ है। यानी आज के समय में ये लोग ज्यादातर किशोर और युवा हैं। दरअसल, Gen Z लोग डिजिटल टेक्नोलॉजी, इंटरनेट, सोशल मीडिया और स्मार्टफोन के साथ बड़े हुए हैं। इस जनरेशन के लोग सबसे अधिक सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हैं। >
 
Gen Z वाले युवा सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर होते हैं। यानी इनका बचपन मोबाइल, इंटरनेट, सोशल मीडिया और गेमिंग के साथ ही बीता है। इन्हें सोशल मीडिया पर कंटेंट बनाना, नए आइडियाज सोचना और आर्टिस्टिक काम करना पसंद होता है। ये लोग फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब जैसे कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपनी क्रिएटिविटी दिखाते हैं। जेन जी जेंडर इक्वालिटी सहित कई मुद्दों पर अपनी आवाज उठाते हैं और समाज में बदलाव लाने के लिए ऑनलाइन कैंपेन और मूवमेंट्स चलाते रहते हैं। ये सोशल मीडिया के माध्यम से अपना कल्चर सेटअप कर रहे हैं, रोज नई चीजों को अपना रहे हैं और नए ट्रेंड सेट कर रहे हैं।  जेन जी वाले लोग क्रिएटिविटी पर ज्यादा फोकस करते हैं और अपने प्रेजेंटेशन स्किल्स को लगातार अपडेट करते रहते हैं।
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9 youth died in the Gen_Z protest in Nepal against socialist government ban on 26 social media apps including Facebook, youtube and @X .

Youths demand complete change of leadership in the country most deaths are due to police firing. #Nepal #genznepal #genzie pic.twitter.com/XEuh6yk8ts

— Tulsi For President (@TulsiPotus) September 8, 2025 >
कौन-कौन से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लगा बैन
मंत्रालय ने कहा कि बुधवार रात को जब समय सीमा समाप्त हो गई, तब भी किसी भी बड़े सोशल मीडिया मंच ने आवेदन जमा नहीं किया। उनमें मेटा (फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप), ‘अल्फाबेट (यूट्यूब), एक्स (पूर्व में ट्विटर), ‘रेडिट’ और ‘लिंक्डइन’ शामिल हैं। हालांकि, मंत्रालय के अनुसार, ‘टिकटॉक, ‘वाइबर’, ‘विटक’, ‘निंबज’ और ‘पोपो लाइव’ को सूचीबद्ध किया गया है, जबकि टेलीग्राम और ग्लोबल डायरी ने आवेदन किया है और वे अनुमोदन की प्रक्रिया में हैं। मंत्रालय की ओर से जारी नोटिस के मुताबिक, सोशल मीडिया कंपनियों को पंजीकरण के लिए 28 अगस्त से सात दिन का समय दिया गया था। 
 
नेपाल में सोशल मीडिया पर क्यों लगा बैन 
मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार सोशल मीडिया मंचों पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिया गया। ये मंच सोशल नेटवर्क उपयोग प्रबंधन के निर्देश, 2023 के तहत अनिवार्य पंजीकरण प्रक्रिया का पालन नहीं कर रहे थे। मंत्रालय ने नेपाल दूरसंचार प्राधिकरण को अपंजीकृत सोशल मंचों को निष्क्रिय करने का भी निर्देश दिया है। फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया कंपनियों ने अभी तक नेपाल सरकार के फैसले पर कोई टिप्पणी नहीं की है।
 
क्यों हिंसक बने युवा
राजधानी काठमांडू में सुबह-सुबह स्कूल के छात्रों समेत हजारों युवाओं ने मैतीघर और बानेश्वोर इलाकों में मार्च निकाला। प्रदर्शनकारी छात्रों ने सरकार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाते हुए फेसबुक, व्हाट्सएप और एक्स सहित 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगाकर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाने का आरोप लगाया। इस दौरान प्रदर्शन हिंसक हो गया, जब प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन के पास पुलिस के अवरोधकों को तोड़ दिया।
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They shot kids, protestors..fired hundreds of tear gas and even blocked ambulances. A peaceful “Gen-Z”protest was hijacked by outsiders with agendas. Years of corruption by Oli, Deuba & Prachanda brought us here. This government must resign, Nepal and nepalese deserves justice. pic.twitter.com/uZOcBWGa64

— BRS (@daarlagyomylord) September 8, 2025 >
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि आनन-फानन में भीड़ को तितर-बितर करने के लिए सुरक्षाकर्मियों ने लाठी चार्ज किया, आंसू गैस के गोले दागे और रबर की गोलियां चलाईं। काठमांडू जिला प्रशासन ने संसद भवन के आसपास के क्षेत्रों में अशांति को रोकने के लिए अपराह्न 12:30 बजे से रात 10:00 बजे तक निषेधाज्ञा लागू की। मुख्य जिला अधिकारी छवि लाल रिजाल ने एक नोटिस में कहा कि प्रतिबंधित क्षेत्र में लोगों के आवागमन, प्रदर्शन, बैठक, सभा या धरना-प्रदर्शन की अनुमति नहीं होगी।’’
 
प्रदर्शनकारी छात्रों का क्या है कहना  
नेपाली सरकार द्वारा कुल 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बैन लगाए जाने के बाद हजारों युवा नाराज़ हो गए हैं। उनका कहना है कि नेपाल में युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा है। वहीं, हजारों छात्र यूट्यूब से पढ़ाई करते हैं और इस ऐप पर बैन लगाने के बाद अब उनकी पढ़ाई भी ठप हो गई है। कुछ का कहना है कि सोशल मीडिया के माध्यम से कई लोगों की अच्छी कमाई हो रही थी, लेकिन बैन के बाद अब यह भी संभव नहीं हो पाएगा। 
 
सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने क्या कहा 
मंत्रालय के प्रवक्ता गजेंद्र कुमार ठाकुर ने कहा कि सूचीबद्ध पांच मंचों और प्रक्रियाधीन दो मंचों को छोड़कर, बाकी सभी सोशल मीडिया मंच नेपाल में निष्क्रिय कर दिए जाएंगे।" उन्होंने कहा कि अगर कोई मंच पंजीकरण पूरा कर लेता है, तो उसे उसी दिन फिर से खोल दिया जाएगा।
 
पर्यवेक्षकों ने बताया कि इस निर्णय से निश्चित रूप से विदेशों में रहने वाले, कमाने या सीखने वाले लाखों नेपाली प्रभावित होंगे, क्योंकि उनमें से ज़्यादातर लोग रोजाना बातचीत के लिए फेसबुक मैसेंजर और व्हाट्सएप जैसे सोशल मीडिया मंचों का इस्तेमाल करते हैं। इस बीच, नेपाली पत्रकार महासंघ (एफएनजे) ने इन सोशल मीडिया मंचों पर प्रतिबंध लगाने के सरकार के फैसले पर आपत्ति जताई और इस फैसले को तुरंत वापस लेने की मांग की।
 
क्या कहा प्रधानमंत्री ओली ने 
प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने देश में अपंजीकृत सोशल मीडिया मंचों पर प्रतिबंध लगाने के अपने सरकार के फैसले का समर्थन करते हुए रविवार को कहा कि “राष्ट्र को कमजोर किए जाने के प्रयास कभी बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे।” ओली की यह टिप्पणी विभिन्न समूहों के उनकी सरकार के इस फैसला का विरोध किए जाने के बीच आई है। ओली ने सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के सम्मेलन के अंतिम दिन पार्टी नेताओं को संबोधित करते हुए कहा कि पार्टी “हमेशा विसंगतियों और अहंकार का विरोध करेगी तथा राष्ट्र को कमजोर करने वाले किसी भी कार्य को कतई बर्दाश्त नहीं करेगी।”
 
समाचार पत्र ‘माई रिपब्लिका’ की खबर के अनुसार, प्रधानमंत्री ने कहा कि पार्टी सोशल मीडिया के खिलाफ नहीं है, “लेकिन इस बात को स्वीकार नहीं किया जा सकता कि जो लोग नेपाल में व्यापार कर रहे हैं, पैसा कमा रहे हैं, वे कानून का पालन नहीं करें।” ओली ने कहा, “देश की आजादी मुट्ठी भर लोगों की नौकरी जाने से कहीं ज्यादा अहम है। कानून की अवहेलना, संविधान की अवहेलना और राष्ट्रीय गरिमा, स्वतंत्रता एवं संप्रभुता का अनादर करना कैसे स्वीकार्य हो सकता है?”
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CLOSE VISUAL OF THE NEPAL PROTEST

- GOVT banned almost all social media apps, including WhatsApp and Youtube.
- The protest is definitely justified! Restricting all social media apps means having a digital jail.#Nepal | #SocialMediaBan pic.twitter.com/i3SH4EIixm

— Kshitij (@Kshitij45__) September 8, 2025 >
हाल ही में बढ़ती आलोचनाओं का जिक्र करते हुए उन्होंने प्रदर्शनकारियों और आंदोलनकारी आवाजों को “ऐसी कठपुतलियां करार दिया, जो केवल विरोध के लिए विरोध करती हैं।” इस बीच, रविवार को काठमांडू के मध्य में मैतीघर मंडला में दर्जनों पत्रकारों ने 26 सोशल मीडिया मंचों पर प्रतिबंध लगाने के सरकार के फैसले का विरोध करते हुए प्रदर्शन किया। उन्होंने प्रतिबंध को तत्काल हटाने की मांग की और कहा कि यह कदम प्रेस की स्वतंत्रता और नागरिकों की अभिव्यक्ति की आजादी का उल्लंघन है। शांतिपूर्ण प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शकारी पत्रकारों ने “जनता की आवाज को दबाया नहीं जा सकता” और “आओ बोलें” जैसे नारे लिखी तख्तियां थाम रखी थीं। इनपुट एजेंसियां Edited by : Sudhir Sharma
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