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ऑस्ट्रेलियाई टीम थी सर्वश्रेष्ठ: फ्लेमिंग

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मेलबोर्न (वार्ता) , बुधवार, 15 अप्रैल 2009 (18:29 IST)
ऑस्ट्रेलिया के पूर्व तेज गेंदबाज डेमियन फ्लेमिंग ने कोलकाता नाइट राइडर्स टीम के कोच जॉन बुकानन की एक से अधिक कप्तान नीति की लिटिल मास्टर सुनील गावस्कर द्वारा की गई आलोचना से सहमति जताते हुए कहा है कि ऐसी बेतुकी नीतियों की वजह से ही बुकानन फिरकी गेंदबाज शेन वार्न के साथ तालमेल नहीं बैठा पाए थे।

फ्लेमिंग ने पूर्व भारतीय कप्तान गावस्कर की इस बात से भी सहमति जताई कि कंगारू टीम के पूर्व कोच बुकानन के पास एक ऐसी टीम थी जिसमें कई स्टार खिलाड़ी मौजूद थे और यदि उनके पास बांग्लादेश जैसी टीम होती तो उन्हें वैसी सफलता नहीं मिली होती।

उन्होंने कहा कि कोच का मुख्य कार्य खिलाड़ियों के खेल के अलावा अन्य कुशलताओं को निखारना है न कि उन्हें बल्लेबाजी और गेंदबाजी सिखाना तथा कोलकाता नाइट राइडर्स टीम के साथ उन्हें ऐसी ही भूमिका निभानी पड़ेगी।

फ्लेमिंग ने एक वेबसाइट से कहा कि बुकानन ने ऑस्ट्रेलिया टीम के कोच रहते हुए काफी अच्छा प्रदर्शन किया क्योंकि ऑस्ट्रेलियाई टीम ने उनके कार्यक्राल में 75 प्रतिशत से अधिक टेस्ट जीते। लेकिन मुझे नहीं लगता कि यदि उनके पास बांग्लादेश जैसी टीम होती तो वह उसे भी नम्बर एक टीम में तब्दील कर पाते।

फ्लेमिंग ने कहा कि मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूँ कि क्योंकि आप बुकानन से यह आशा नहीं कर सकते कि वह युवा खिलाड़ियों की कुशलता को माँझने का कार्य करेंगे। नाइट राइडर्स टीम के खिलाड़ियों को बुकानन से अपने सकारात्मक सोच आदि गैर क्रिकेट गुणों को निखारना सीखना चाहिए।

उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में क्रिकेट के खेल में कोच की भूमिका काफी बदल गई हैं। कोच अब खिलाड़ियों को बल्लेबाजी और गेंदंबाजी करना नहीं सिखाता। बुकानन के पास वह तकनीकी बारीकियाँ नहीं थीं जिससे वह हमें क्रिकेट के गुण सिखा पाते। उदाहरण के तौर पर एक युवा खिलाड़ी के रूप में मैंने धीमी गति और यार्कर गेंदे फेंकने के गुण सीखे। इसका पूरा श्रेय तत्कालीन टीम के सदस्य मैकडर्मेट और ग्लेन मैक्ग्राथ को जाता है ।

ऑस्ट्रेलिया के लिए 20 टेस्ट खेलने वाले फ्लेमिंग ने इसके साथ ही यह भी खुलासा किया कि वार्न और माइकल स्लेटर जैसे खिलाड़ी को भी बुकानन के कार्य करने के तरीके से परेशानी थी। उन्होंने कहा कि आपको एक बात अच्छी तरह से समझ लेनी चाहिए कि टॉस होने के बाद कोच का कार्य समाप्त हो जाता है और यदि वह मैदान में चल रही गतिविधियों में हस्तक्षेप करता है तो समस्या खड़ी हो जाती है।

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