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'रोजगार बढ़ाने के लिए नई नीति जरूरी'

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नई दिल्ली (वार्ता) , रविवार, 16 दिसंबर 2007 (11:22 IST)
प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह ने राष्ट्रीय आय में कृषि के घट रहे हिस्से को ध्यान में रखते हुए गैर कृषि रोजगार बढ़ाने के लिए रचनात्मक सोच और नई नीति की जरूरत पर बल दिया है।

डॉ. सिंह ने कहा कि हमारी कृषि आधारित अर्थव्यवस्था आबादी के दो तिहाई हिस्से से अधिक को हमेशा रोजगार नहीं दिला सकती। राष्ट्रीय आय में कृषि का हिस्सा कम हो रहा है जिससे रोजगार में भी उसका हिस्सा घटना लाजिमी है।

उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में गैर कृषि रोजगार बढ़ना चाहिए। इसको बढ़ावा देने वाली नीतियों की जरूरत है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इन चुनौतियों का सामना करने के लिए उन्हें रचनात्मक सोच का अभाव दिखाई देता है। सरकार बनाम बाजार की बहस पर डॉ. सिंह ने कहा कि इससे असंतुलन और असमानता के मसलों का आंशिक समाधान होता है।

उन्होंने कहा कि हालाँकि भारत ने मिश्रित अर्थव्यवस्था के मॉडल को अपनाया लेकिन अफसोस की बात यह है कि यह घालमेल वाली अर्थव्यवस्था हो गई। अलबत्ता उन्होंने कहा कि विगत के हमारे अनुभवों से हमें एक बार फिर मध्यमार्ग को अपनाने के लिए हतोत्साहित नहीं होना चाहिए।

डॉ. सिंह ने कृषि और उद्योग में संतुलन बिठाने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि अब बहस कृषि बनाम उद्योग नहीं होनी चाहिए, बल्कि गाँवों और शहरों के वास्ते कृषि के साथ-साथ उद्योग के लिए रणनीति तैयार किए जाने की जरूरत है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि विकास का रास्ता ऐसा होना चाहिए कि इसमें पर्यावरण संरक्षण का पूरा ध्यान रखा जाए तथा ऊर्जा सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।

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