लगभग सात महीने पहले भारत का मुकाबला जब कमजोर हॉलैंड से था तब फिरोजशाह कोटला स्टेडियम में तिल रखने की जगह नहीं थी, लेकिन सोमवार को मजबूत इंग्लैंड के खिलाफ नजारा एकदम से बदला हुआ था। भारत इंग्लैंड वनडे मैच के दौरान लगभग आधा स्टेडियम खाली ही रहा।
जिस स्टेडियम की क्षमता 48 हजार दर्शकों को समाने की है उसमें बमुश्किल 20 हजार दर्शक उपस्थित थे। हैदराबाद में खेले गए पहले मैच में भी दर्शकों ने खास दिलचस्पी नहीं दिखाई थी। इसका एक कारण यह भी था कि वहां हाल में चैंपियन्स लीग के मैच भी हुए थे लेकिन कोटला तो नौ मार्च के बाद किसी अंतरराष्ट्रीय मैच का आयोजन कर रहा था, लेकिन राजधानी के दर्शकों ने तब भी इसमें रुचि नहीं दिखाई।
स्टेडियम में दिल्ली गेट का छोर भरा हुआ था लेकिन उसमें भी कम्पलीमेंट्री पास रखने वाले दर्शक अधिक थे। स्टेडियम के प्रत्येक छोर के पहले और दूसरे तल के स्टैंड की अधिकतर कुर्सियां खाली पड़ी थी। ऐसे में कोटला की मशहूर मैक्सिकन वेब का तो सवाल ही नहीं उठना था। दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) ने मैच से तीन दिन पहले टिकटों की बिक्री शुरू की थी लेकिन इनके लिए किसी तरह की मारामारी नहीं देखी गई।
डीडीसीए के अधिकारी हालांकि अपने कर्मचारियों को पास देने से इन्कार कर दिया था जिसके कारण उन्होंने नारेबाजी करके हड़ताल पर जाने की भी धमकी दे दी थी। क्रिकेट के प्रति दर्शकों की इस बेरुखी का कारण अत्याधिक क्रिकेट और लगातार एक ही प्रतिद्वंद्वी से खेलना माना जा रहा है। भारत अभी इंग्लैंड दौरे से आया है और फिर उसी से भिड़ रहा है। (भाषा)