कृष्णमाचारी श्रीकांत की अगुआई वाली क्रिकेट की राष्ट्रीय चयन समिति ने पहली बार कोई दम दिखाया, जिसे सैल्यूट करने का मन करता है। जब देर रात बोर्ड के सचिव संजय जगदाले ने इंग्लैंड के खिलाफ शेष तीन वनडे मैचों की टीम का ऐलान करते हुए ये बताया कि 'विनिंग कॉम्बिनेशन' में कोई चेंज नहीं किया गया है तो लगा कि भारतीय क्रिकेट के इतिहास में वाकई पहली बार युवा क्रिकेटरों की योग्यता का पूरा सम्मान किया गया है।
सोमवार की गहराती हुई शाम को दिल्ली के फिरोजशाह कोटला की विकेट पर जब गौतम गंभीर और विराट कोहली भारत की 'विराट जीत' की इबारत लिख रहे थे, तब राष्ट्रीय चयनकर्ता मंथन करने में जुटे थे कि इंग्लैंड के खिलाफ शेष तीन वनडे मैचों के लिए किन खिलाड़ियों का चयन किया जाए?
धोनी के युवा धुरंधर हैदराबाद में जब 126 रनों से इंग्लैंड की मदमस्त टीम को रौंद चुके थे, तभी इंग्लैंड की जमीं पर हुई शर्मनाक हार का कलंक धुल चुका था और इन्हीं युवाओं ने कोटला पर इंग्लैंड का कचूमर निकालकर अपने मस्तक पर 'विजय तिलक' लगाने के साथ ही यह साबित करने की कोशिश की कि उनकी बाजुओं में भी फौलाद भरा हुआ है।
सचिन, सहवाग, युवराज, हरभजनसिंह , जहीर खान, यूसुफ पठान जैसे नामी खिलाड़ियों को जब चोट और फिटनेस समस्याओं के कारण आराम दिया गया, तब युवा क्रिकेटरों के सामने अवसर को लपकने का सुनहरा मौका मिला था और जिस तरह से दो वनडे मैचों के परिणाम सामने आए हैं, उससे यह तो भरोसा जागा है कि वनडे का विश्व चैम्पियन भारत अभी भी काफी ताकतवर है।
जिस तरह इंग्लैंड की जमींन पर भारत मैच दर मैच बुरी से बुरी हार कबूलता गया था, ठीक वही हालत भारत की जमीन पर इंग्लैंड की हो रही है। जिन युवाओं को मौके मिले हैं, उनके पास खोने को कुछ नहीं है जबकि पाने को बहुत कुछ है। यही कारण है कि चयनकर्ताओं ने भी युवा जोश पर भरोसा कायम रखा और शेष तीन वनडे टीम में कोई बदलाव नहीं किया।
सवाल यह है कि हरभजनसिंह को टीम में जगह बनाने के लिए आप बाहर किसे करते? अभी तो कुछ गेंदबाजों को अंतिम 11 में भी खेलने मौका ही नहीं मिला है, क्या उनके साथ एक बार फिर खिलवाड़ किया जाता? चयनकर्ताओं ने कायरता नहीं दिखाई और बहादुरी के साथ भज्जी को अगली सिरीज तक इंतजार करने का फरमान सुनाया।
एक अच्छा निर्णय है, जिसका स्वागत किया जाना चाहिए। अब वक्त आ गया है, जब आपको हिम्मत भरे फैसले लेने ही पड़ेंगे और भविष्य की टीम के लिए युवाओं को मौके देने ही पड़ेंगे। कोई जन्म से सहवाग और सचिन बनकर नहीं आता, मैदान पर मेहनत करके ही उन्होंने खुद को स्थापित किया हैं। नाम कमाया, दौलत कमाई और भारत की शान बढ़ाई।
इंग्लैंड के खिलाफ खेल रही इस युवा टीम को लगातार मौके मिलते रहे तो निश्तित रूप से भविष्य की एक ताकतवर 'टीम इंडिया' का निर्माण होगा। ये सभी युवा खिलाड़ी घरेलू क्रिकेट से ही चमके हैं और भारतीय टीम का हिस्सा बनकर दुनिया को दिखा रहे हैं कि उनमें कितना हौसला है। फिरोजशाह कोटला के धीमे विकेट पर विनय कुमार का चार विकेट निकालना, यकीनन तारीफ के काबिल है।
धोनी की पहले मैच से ठीक पहले ड्रेसिंग रूम में युवा खिलाड़ियों से कही वह बात याद आ रही है कि जितना बुरा हो सकता था, हो चुका (भारत का इंग्लैंड दौरा) अब नए जोश और जज्बे के साथ उतरना है और अपनी हिम्मत का जलवा बिखेरना है। 'युवा ब्रिगेड' ने कप्तान की इस सीख को सिर पर कफन की तरह बांधा और आप हैदराबाद के बाद दिल्ली वनडे मैच का परिणाम देख ही रहे हैं। यह तो शुरुआत है, आगे और भी जीत की नई कहानियां लिखनी बाकी है...